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बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  ‘मदिरा मुगल’ माल्या पर चढ़ा वाइन का सुरूर
लेख

‘मदिरा मुगल’ माल्या पर चढ़ा वाइन का सुरूर

बीएस संवाददाताबीएस संवाददाता—July 21, 2008 10:13 PM IST
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वाइन को हमेशा से शान के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है। हाल के कुछ वर्षों में भारत में उम्मीद से कहीं बढ़कर परिवर्तन हुए हैं। तेजी से होती आर्थिक वृद्धि ने लोगों के कई शौक बढ़ाए हैं।


भला लोगों की शराब पीने की आदत इस परिवर्तन से कैसे बच पाती? भारत में शराब खरीदना खासा खराब अनुभव साबित हो सकता है। यहां पर शराब बेचने वाला आपको कितनी भी बोतलें पकड़ा सकता है, उसको इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि आप उन बोतलों को कैसे ले जाएंगे? धीमे-धीमे ही सही अब इसमें परिवर्तन का दौर भी शुरू हो चुका है। सुपरमार्केट अब वाइन बेचना मुनासिब समझ रहे हैं।

हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड की एक महिला संवाददाता ने गुड़गांव में वाइन बेचने के लिए आजमाए जाने वाले शालीन तरकीबों को देखा। पिछले साल जुलाई में ही अमेरिका और यूरोपीय संघ ने विश्व व्यापार संगठन से इस बाबत शिकायत की थी कि भारत ने विदेशी शराबों के आयात पर बहुत ज्यादा शुल्क लगा रखा है। इसके बाद भारत ने आयातित शराब पर लगे कर में कटौती की जिससे कई विदेशी ब्रांड भारतीयों के लिए किफायती बन गए और इसके चलते इन ब्रांडों के लिए भारतीय बाजार में संभावनाएं बनीं।

अब तक टैरिफ में 150 फीसदी की कटौती की गई है, इससे पहले इस पर 550 फीसदी तक का ऊंचा टैरिफ लगा हुआ था। पहले जब ड्रिंक ऑफर करने की बात की जाती थी तब यही चीज मायने रखती थी कि आप कौन सी व्हिस्की पेश कर रहे हैं? भारत में वाइन का बाजार अभी भी बहुत छोटा है, लेकिन यह बहुत तेजी से बढ़ भी रहा है। इन दिनों शादी-ब्याहों और कारोबारी बैठकों में भी वाइन का चलन बढ़ा है। इनमें से कई दुनिया के नक्शे पर बोर्दे (फ्रांस में वाइन बनाने के लिए मशहूर क्षेत्र) को भी पहचान सकते हैं।

तेजी से वाइन क्लब खुलते जा रहे हैं जो लोगों को वाइन टेस्ट करा रहे हैं। यहां तक कि पत्रकारों की पार्टी में भी भारत में बनने वाली पुरानी ओल्ड मोंक की जगह भी दूसरी वाइन ब्रांड लेती जा रही हैं। हाल ही में हुए इंडियन प्रीमियर लीग में भी यह बदलाव देखने में आया जब लीग के उद्धाटन मैच की पार्टी में वाइन पेश की गई। विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस तो आईपीएल से जुड़ी ही हुई थी, माल्या बेंगलुरु की टीम के मालिक भी थे।

माल्या के यूबी समूह की फ्लैगशिप कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) अब भारत में वाइन को प्रमोट करने में लगी है। लंबे समय से कंपनी बियर और व्हिस्की पर ध्यान केंद्रित किए हुए थी जिसका नतीजा भी कंपनी की नीति के मुताबिक ही रहा और कंपनी इन दोनों क्षेत्रों में अगुआ बनी रही।

 ऊंची हैं उम्मीदें

कंपनी ने युवाओं और नए-नए पीने वालों को ध्यान में रखते हुए फरवरी में ही जिंजी नाम से वाइन लॉन्च की है। अगले पांच सालों में कंपनी वाइन सेगमेंट में 100 करोड़ रुपये खर्चने जा रही है। इसमें से 80 करोड़ रुपये यूएसएल की सहायक कंपनी ‘फोर सीजन्स वाइन्स लिमिटेड’ को दिए जाएंगे। ‘फोर सीजन्स वाइन्स लिमिटेड’ में यूएसएल की 51 फीसदी भागीदारी है जबकि बाकी बची हिस्सेदारी महाराष्ट्र के बारामती क्षेत्र के किसानों की है।

फोर सीजन्स वाइन्स 6 तरह की वाइन बनाया करेगी और जब वाइनरी पूरी उत्पादन क्षमता पर होगी तो 10 लाख पेटियां वाइन बनेगी। इसके अलावा इस साल के आखिर तक या फिर अगले साल ओक बैरल्ड और स्पार्कलिंग वाइन लॉन्च करना भी कंपनी की योजना का हिस्सा है। यूएसएल के चीफ वाइन मेकर और बिजनेस हेड अभय केवडकर का कहना है, ‘भारत में वाइन का बाजार बहुत थोड़ा है- बमुश्किल पूरी शराब बिक्री का 1 फीसदी जबकि यूरोपीय देशों में यह 50 फीसदी है। लेकिन भारत में वाइन बाजार में बेहद संभावनाएं हैं और हम इस मौके को पूरी तरह से भुनाना चाहते हैं।’

वैसे यहां यह तथ्य भी बता दें कि भारत में प्रति व्यक्ति वाइन की खपत महज 10 मिलीलीटर है जो कि फ्रांस की प्रति व्यक्ति खपत 73 लीटर प्रति व्यक्ति से खासी कम है। यहां तक कि यह दुनिया की प्रति व्यक्ति खपत 4 लीटर से भी बहुत कम है। भारत में शराब उतनी महंगी नहीं है, लेकिन उसका  प्रति व्यक्ति उपभोग 1.05 लीटर काफी कम है जबकि दुनिया भर में यह औसत 3.04 लीटर प्रति व्यक्ति है। रेबोबैंक इंटरनेशनल के एक अनुमान के मुताबिक भारतीय वाइन बाजार 2010 तक 25 से 30 फीसदी की दर से बढ़ेगा जिसकी वजह से यह देश में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योग में शुमार हो जाएगा।

सभी को साधने की कोशिश

इंडियन वाइन एकेडमी मध्य वर्ग के 25 करोड़ लोगों के सहारे वाइन के एक लीटर प्रति व्यक्ति उपभोग की आस लगाए बैठा है। भारत में वाइन बनाने के लिए काम में आने वाले अंगूरों के बगीचों (विनेयार्ड)की जिनकी संख्या कुछ समय पहले तक एक दर्जन से ज्यादा नहीं थी, उनकी संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है और अब इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। और इनमें से अधिकतर महाराष्ट्र के नासिक में ही केंद्रित हैं। यह पूरी कहानी फोर सीजन्स वाइन्स के बारामती के 500 किसानों से गठजोड़ की कहानी खुद बयां करती है।

फोर वाइन्स लिमिटेड देश में सबसे बड़े वाइन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट के मुताबिक कंपनी पुणे से 65 किलोमीटर दूर कंपनी 330 एकड़ में वाइनरी बनाएगी जिसमें विनेयार्ड भी होगा। पांच साल में इसकी क्षमता 50 लाख बोतल बनाने की हो जाएगी। कंपनी के पास अभी ठेका खेती के तहत 500 एकड़ जमीन है। जिसको अगले दो साल में बढ़ाकर 2,000 एकड़ तक किया जाएगा। और इसमें शामिल 500 किसानों को भी इसमें से हिस्सा दिया जाएगा।

महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ही राज्यों में वाइन फ्रेंडली पॉलिसी है जिसमें आराम से लाइसेंस मिलना, वाइनरी के लिए अनुमति, वाइन पर्यटन को बढ़ावा देना और वाइन पार्कों को स्थापित करने जैसी चीजें शामिल हैं। वाइन आयात करने की अपनी रणनीति के लिए यूएसएल ने दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों से गठजोड़ किया हुआ है। इसने 2007 में फ्रांसीसी वाइन कंपनी ‘बॉवेट लेडूबे’ का अधिग्रहण किया। हाल ही में इसने बोईसेट के साथ साझेदारी की है और अगले तीन महीनों में देश में 20 लेबल लॉन्च करने की घोषणा भी की है।

यूएसएल ने जबसे व्हाइट ऐंड मैके पर अपना कब्जा जमाया है तभी से इसकी लगातार यह कोशिश है कि वह बियर और व्हिस्की को और प्रमोट करे। जहां तक व्हाइट एंड मैके (डब्ल्यू ऐंड एम)की बात है यह कंपनी दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कॉच ब्रांड को अपना बना चुकी है। यूएसएल पहले से ही भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली व्हिस्की ब्रांड जैसे की मैकडॉवल्स  नं.1 के जरिए झंडा गाड़ चुकी है और इसके जरिए प्रीमियम स्कॉच व्हिस्की के सेगमेंट में डब्ल्यू ऐंड एम से बाजी मारने की कोशिश में लगा हुआ है। फिलहाल यह 18.2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।

दमदार मुकाबला

यहां घरेलू स्तर पर वाइन के सेगमेंट में प्रतियोगिता की बात करें तो सुला, इंडेज और ग्रोवर जैसी कंपनियां हैं जिनका शराब के पूरे मार्केट के 90 फीसदी पर कब्जा है। इससे राह आसान नहीं होगी। शराब उद्योग पैकेजिंग, वितरण और कम्यूनिकेशन के मामले में थोड़ा नियंत्रण बरतती हैं। अगर इनके विज्ञापनों की बात करें तो वह भी थोड़ी कम है।

यूएसएल के प्रेसीडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर विजय रेखी का कहना है, ‘बहुत सारी बाधाओं के बावजूद हमने विकास किया है और हमने सबसे बेहतरीन स्पोर्टस और म्यूजिक के लाइफस्टाइल इवेंट में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और हमने अपने ब्रांड वैल्यूज के  बारे में भी बताया है। हमारी कोशिश है कि हम हरेक तिमाही के दौरान कुछ बेहतर करके दिखाएं।’

शराब की बोतलें जहां रखीं जाती हैं वह भी गर्म हो सकता है। कुछ वाइन ऐसी होती हैं जो कमरे के तापमान पर ही सर्व की जाती हैं। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि दिल्ली जैसे शहर के  तापमान पर भी यह ठीक रह पाएगा। अगर हम दिल्ली की गर्मी और मानसून के महीनों की बात करें तो आप पाएंगे कि यहां का तापमान कुछ ज्यादा ही होता है।

चुनौतियां भी हैं राह में

भारतीय वाइन तो इसी तरह की चुनौतियों का सामना करती है। इसके गोदाम और भंडार को शायद ही ठंडा रखा जाता है। वाइन के सभी शेल्फ बहुत आसानी से ऑक्सीडाइज्ड हो जाते हैं। यूएसएल शिक्षा, जागरुकता और पहुंच के लिए एक रणनीति पर काम कर रहे हैं। इनकी कोशिश यह है कि उपभोक्ताओं और रिटेलरों को शिक्षित किया जाए इसके साथ ही फूड और बेवरेज स्टाफ को भी उपभोक्ताओं को लुभाने का हुनर सिखाया जाए। इस तरह के तरीकों के जरिए भी वाइन टेस्टिंग सेशन, वाइन न्यूजलेटर्स, मैगजीन और वाइन टूरिज्म को बढ़ावा मिलता है।

केवाडकर का कहना है, ‘यूएसएल का इरादा यही है कि वह अपने वाइन को जनता तक सुपरमार्केट और हाइपर मार्केट के जरिए आसानी से मुहैया करा सके।’  इंटरनेशनल वाइन ऐंड स्प्रिट्स रिकॉर्ड के चेयरमैन वॉल स्मिथ को यह यकीन है कि यूएसएल आखिरकार अपनी सभी बाधाओं पर जीत दर्ज करा ही लेगी। भारतीय बाजार में यूबी ग्रुप पूरी तरह से हावी है। इसकी वितरण व्यवस्था और इसकी मार्केटिंग क्षमता इतनी मजबूत है कि इसके जरिए कंपनी इन चुनौतियों को दूर कर सकती है।

इस तरह की कोशिशों में यूएसएल को कई तरह के स्रोतों के जरिए सहयोग मिल सकता है। जहां तक भारतीय समाज की बात है यहां हमेशा बदलाव होते रहते हैं। पुरुषों का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भी अब महिलाओं की धाक जम रही है। यूएसएल के मुताबिक, आजकल ज्यादातर महिलाएं कामकाजी हो गई हैं और उनमें से भी ज्यादातर महिलाएं वाइन जैसे मॉडरेट ड्रिंक के साथ प्रयोग करती हैं। 

magic of wine climbed on liquor giant mallya
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