मंदी, धूम्रपान और लोगों के कम खर्च करने की आदत की मार अब शराब उद्योग पर असर दिखाने लगी है।
शराब उद्योग को भी नुकसान होना शुरू हो गया है। इसके अलावा इस सीजन में विदेशी पर्यटकों की कम संख्या ने भी इस उद्योग के लिए हालात कुछ खराब ही किए हैं। हालांकि, कारोबार के जानकार मानते हैं कि अभी बिक्री के आंकड़ों का विश्लेषण करना जल्दबाजी होगा लेकिन बिक्री में कमी की बात से वे भी इनकार नहीं कर रहे हैं।
रेडिको खेतान लिमिटेड (और डियाजियो रेडिको डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड) के सीईओ राजू वजीरानी कहते हैं, ‘होटल और बार में कीमतें बढ़ने से इन जगहों पर बिक्री में 10 से 15 फीसदी की कमी आई है। इसकी वजह से लोग घर पर पीना पसंद कर रहे हैं और इस लिहाज से बिक्री में इजाफा भी हुआ है।’
वजीरानी यह भी कहते हैं कि ग्राहकों की कम खर्च करने की आदत की वजह से सुपर प्रीमियम और प्रीमियम ब्रांड्स प्रभावित हुई हैं। जबकि इस दौर में भी रेग्युलर और डीलक्स ब्रांड पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
डिआजिओ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक-मार्केटिंग संतोष कानेकर कहते हैं कि शराब उद्योग पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। पिछली तिमाही में उद्योग की वृद्धि दर 30 फीसदी रही है। लेकिन कानेकर कुछ बातों को स्वीकार करते हुए कहते हैं, ‘बिक्री में कुछ फर्क जरूर आया है। घर पर पीने की आदत में इजाफा हुआ है। लोग कम ही मौकों पर होटल और बार का रुख कर रहे हैं। केवल कुछ खास अवसरों पर ही लोग होटल और बार में जा रहे हैं।’
कानेकर यह भी मानते हैं कि उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी फर्क आया है। नये उत्पाद लॉन्च करने के लिहाज से यह वक्त सही नहीं है। नई ब्रांड के साथ लोग इस समय प्रयोग करना पसंद नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्थापित ब्रांड ही इस समय अच्छी तादाद में बिक रही हैं।
विदेशी पर्यटकों की घटती संख्या से भी आयातित शराब के उपभोग में कमी आई है। कानेकर कहते हैं, ‘हां, विदेशी पर्यटकों की घटती संख्या की वजह से बिक्री प्रभावित हुई है। मुझे हवाई अड्डों पर डयूटी फ्री दुकानों पर भीड़ भी नहीं नजर आती। केवल कुछ भारतीय ही वहां से शराब खरीदते दिखाई पड़ते हैं।’
वजीरानी कहते हैं, ‘डब्ल्यूटीओ में आबकारी शुल्क को लेकर सरकार के सही नजरिए की वजह से कुछ उम्मीदें बंधी हैं। इसके चलते तमिलनाडु और मुंबई में बिक्री में इजाफा हुआ है। लेकिन आयातित शराब पर इसके प्रभाव का आंकलन करना अभी जल्दबाजी होगा।’
यूनाइटेड ब्रेवरीज लिमिटेड के डिप्टी प्रेसीडेंट शेखर राममूर्ति इसके लिए दूसरी वजह को जिम्मेदार बताते हैं, ‘होटल और बार में धूम्रपान पर पाबंदी की वजह से इन जगहों पर बिक्री में कमी आई है। अभी सर्दियों की शुरुआत है और पर्यटकों की आवाजाही शुरू हुई है। फिलहाल उद्योग को देखो और इंतजार करो की नीति अपनानी होगी।’
एफ बार (अशोका) के महाप्रबंधक राजीव सरना कहते हैं, ‘धूम्रपान पर पाबंदी के चलते कुछ हद फर्क पड़ा है। कुल मिलाकर मंदी की वजह से पिछले एक-डेढ़ महीने में 25 से 30 फीसदी बिक्री में कमी आई है। वैसे तो प्रीमियम ब्रांड पसंद करने वाले लोग अभी भी प्रीमियम ब्रांड ही पसंद कर रहे हैं लेकिन प्रति व्यक्ति ड्रिंक्स की संख्या में कमी आई है।’
खत्री होटल समूह (जिसके तीन होटल दिल्ली और 2 राजस्थान में हैं।) के वाइस प्रेसीडेंट संजय मिश्रा कहते हैं, ‘इस समय पर्यटकों की संख्या की में 35 फीसदी की कमी आई है। मंदी और धूम्रपान पर पाबंदी की वजह से शराब उद्योग प्रभावित हुआ है।’