इस साल अगस्त के प्रमुख श्रम आंकड़े उम्मीद के मुताबिक निराशाजनक रहे। साप्ताहिक अनुमानों में भी इस तरह के नतीजे आने की आशंका बताई जा रही थी। अगस्त के चारों हफ्तों में हर सप्ताह के दौरान बेरोजगारी की दर 8 फीसदी से अधिक ही थी और महीने के आखिर में रोजगार की दर में तेजी से कमी आई।
अगस्त के अंतिम अनुमानों से पता चलता है कि बेरोजगारी की दर जुलाई के 7 प्रतिशत से बढ़कर 8.3 प्रतिशत हो गई। रोजगार की दर जुलाई में 37.4 प्रतिशत थी जो अगस्त में कम होकर 37.2 प्रतिशत रह गई। रोजगार का स्तर जुलाई के 39.97 करोड़ से घटकर 39.78 करोड़ पर आ गया। देश में रोजगार मुहैया कराने की चुनौती का संकट बढ़ रहा है। यह नुकसान कृषि क्षेत्र में मिलने वाले रोजगार में हुआ है। कृषि क्षेत्र में बेरोजगार हुई एक बड़ी आबादी किसी तरह गैर-कृषि क्षेत्र की नौकरियों में हुई बढ़ोतरी की वजह से खप रही है। हालांकि, जिन गैर कृषि क्षेत्र की नौकरियों का विस्तार हुआ है उनमें से ज्यादातर ऐसी हैं जिन्हें संगठित या अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियां नहीं माना जा सकता है।
अगस्त में कृषि क्षेत्र में रोजगार के 87 लाख मौके कम हो गए। उसी दौरान गैर-कृषि क्षेत्र में 68 लाख नौकरियों के मौके बने। इनमें से, कारोबारी व्यक्तियों की संख्या में बढ़ोतरी के लिहाज से देखा जाए तो रोजगार में 40 लाख की बढ़ोतरी हुई। वहीं छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों की संख्या में 21 लाख की वृद्धि हुई। वेतन वाली नौकरियों में मामूली वृद्धि हुई और इस महीने के दौरान इसमें 7 लाख की बढ़त दिखी।
कृषि क्षेत्र में रोजगार में कमी की मुख्य वजह इस साल अनियमित मॉनसून की वजह से बनी अनिश्चितता की स्थिति और केवल मौसमी आधार पर ही रोजगार मिलना है। अगस्त के अंत तक मॉनसून की बारिश उम्मीद से करीब 9 प्रतिशत कम थी। ऐसे में खरीफ फसल की बुआई एक साल पहले की तुलना में 17 प्रतिशत कम ही रही। मई, जून और जुलाई महीने में जब खरीफ फसल की बुआई होती है, उस दौरान औसतन 12.4 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था। अगस्त में यह तादाद कम होकर 11.6 करोड़ हो गई जबकि बुआई सीजन से पहले अप्रैल में इस क्षेत्र में 11.4 करोड़ लोग काम कर रहे थे।
कृषि क्षेत्र से बेरोजगार हुए अधिकांश श्रमिकों को सेवा क्षेत्र में ही काम मिला जबकि औद्योगिक क्षेत्र इन्हें काम देने की स्थिति में नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में इस महीने नौकरियों के मौके कम हुए। जुलाई की तुलना में अगस्त में औद्योगिक क्षेत्र में 25 लाख रोजगार के मौके कम हुए थे। अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र में 9.4 लाख नौकरियां कम हो गईं। ऐसा लगता है कि कारखाना अब रोजगार देने के लिए विश्वसनीय स्रोत नहीं है। लॉकडाउन लगने से स्थायी रूप से इस क्षेत्र की करीब एक करोड़ नौकरियां कम हो गईं।
कोविड-19 संकट से पहले विनिर्माण क्षेत्र में लगभग 4 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ था। पिछले साल अप्रैल तक इस क्षेत्र में 2.1 करोड़ रोजगार के मौके ही बचे, हालांकि जुलाई 2020 तक फिर से 3 करोड़ लोगों को रोजगार मिल गया। इसके बाद इस क्षेत्र में 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने के स्तर तक पहुंचने में इस साल फरवरी तक का वक्त लग गया। इसके बाद ही महामारी की दूसरी लहर व्यापक स्तर पर फैलने लगी जिससे विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार का स्तर फिर से 2.6 करोड़ पर पहुंच गया। जुलाई तक इस क्षेत्र के रोजगार के स्तर में सुधार दिखा और फिर से 2.9 करोड़ लोग इस क्षेत्र में नौकरियां कर रहे हैं। हालांकि अगस्त में फिर से रोजगार के मौके कम हुए और यह संख्या 2.8 करोड़ पर टिक गई। विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियां भी अस्थिर हो गई हैं।
सेवा क्षेत्र ने अगस्त में 85 लाख अतिरिक्त नौकरियां दीं। इसमें रोजगार के बड़े मौके देने वालों में व्यक्तिगत गैर-पेशेवर सेवाएं और खुदरा व्यापार जैसी श्रेणियां थीं। वकीलों, कर या निवेश सलाहकार के रूप में लोगों को पेशेवर सेवाएं देने वालों की तुलना में व्यक्तिगत गैर-पेशेवर सेवाएं बिल्कुल अलग हैं। गैर पेशेवर सेवा देने वालों में घर में काम करने वाली सहायिका, रसोइये, ब्यूटीशियन, मालिश करने वाले, जिम प्रशिक्षक, नाई, प्लंबर, माली और सुरक्षा गार्ड आदि जैसे लोग शामिल हैं। अगस्त में इस तरह की नौकरियों में अच्छी वृद्धि देखने को मिली जो करीब 47 लाख थी। इस श्रेणी में कुल करीब 3 करोड़ नौकरियां हैं लेकिन जून और जुलाई महीने में ये नौकरियां घटकर 2.39 करोड़ रह गईं। अगस्त महीने में बढ़कर 2.86 करोड़ हो गईं।
अगस्त में जिन अन्य सेवा क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि देखी गई वह खुदरा व्यापार था। इस उद्योग में रोजगार, रिकॉर्ड स्तर पर 6.44 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। जुलाई में खुदरा कारोबार क्षेत्र में 5.99 करोड़ नौकरियां थीं इसीलिए उद्योग ने इस महीने में 45 लाख नौकरियों में बढ़ोतरी देखी।
कृषि क्षेत्र में मौसम के आधार पर श्रम करने वाले लोगों को आमतौर पर निर्माण स्थलों पर काम मिल जाया करता है। बेहतर समय में भी लोग खेतों से कारखानों में काम करने जाते रहे हैं। लेकिन अब निर्माण उद्योग में ही अगस्त महीने में 5 लाख से अधिक नौकरियां कम हो गई हैं। वहीं विनिर्माण क्षेत्र में करीब 10 लाख नौकरियां कम हुई हैं।
श्रमिकों को घरेलू क्षेत्र में रोजगार मिल रहा है जैसे कि घरेलू सहायिका, रसोइया, माली, सुरक्षा गार्ड आदि जैसे काम। अब यह कहा जा सकता है कि खेत से निकलकर कारखानों में काम ढूंढने के बजाय लोगों के घरों में रोजगार ढूंढा जा रहा है। हमने पहले देखा था कि कामगार कारखानों से खेत और खेत से कारखाने में काम करने जा रहे थे लेकिन अब इनका अगला पलायन किचन सिंक तक या इससे भी बुरा नहीं होना चाहिए।