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बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  आईपीटीवी : नए जमाने का नया टीवी
लेख

आईपीटीवी : नए जमाने का नया टीवी

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —July 10, 2008 11:21 PM IST
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जमाना बदल रहा है और उसके साथ-साथ बदल रहे हैं मनोरंजन के तरीके भी। अब सिनेमा हॉल की जगह मल्टीप्लेक्सों ने ले ली है और कैसेट्स की जगह एमपी3 ने ली है।


तो ऐसे में आपका टीवी कैसे इस बदलाव से अछूता रह सकता है। आज केबल टीवी पुराने जमाने की बात हो चुकी है और डाइरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवा तेजी से अपने कदम पसार रही है। अब ये बड़े शहरों से आगे बढ़कर ये छोटे शहरों के गली-मोहल्लों में भी अपनी जगह बना चुके हैं।

यह टीवी मनोरंजन की ही माया है, जिसकी वजह से अब कंप्यूटर भी केवल काम करने के लिए नहीं रह गया। अब तो आप इस पर टीवी भी देख सकते हैं, लेकिन आपको दस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पहले तो टीवी टयूनर कार्ड खरीद कर लेकर आओ, फिर केबल वाले से इस बारे में घंटे भर तक बहस करो।

तब कहीं जाकर तो आप कंप्यूटर पर टीवी का लुत्फ उठा सकते हैं। लेकिन इसमें भी दिक्कत यह है कि आप उस केबल के जरिये इंटरनेट सर्फ नहीं कर सकते। मतलब, इसके लिए फिर से पूरी कवायद करो। आपकी इन्हीं दिक्कतों को खत्म करने के लिए आया है आईपीटीवी यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी। इसमें आपको ब्रॉडबैंड के जरिये ही टीवी चैनलों को भी देख सकते हैं।

क्या बला है ये?

आईपीटीवी का मतलब होता है, इंटरनेट प्रोटोकॉल टीवी। यह आम टीवी से बिल्कुल ही अलग होता है। इसमें टीवी को कंप्यूटर नेटवर्क के जरिये दिखाया है। कुछ समय पहले तक यह मुमकिन नहीं था। इसकी वजह थी, डाउनलोड की धीमी स्पीड। लेकिन अब तो भारत में सूचना क्रांति हो चुकी है।

आज की तारीख में रिलायंस कम्युनिकेशन, भारती एयरटेल और वीएसएनएल जैसी कंपनियां मुल्क में लाखों किमी तक फाइबर ऑप्टिक केबल बिछा चुकी हैं। इस वजह से ब्रॉडबैंड का प्रसार भी खूब तेजी से हो रहा है, जो लोगों को तेज इंटरनेट सर्फिंग की सुविधा मुहैया कराता है। इस वजह से आईपीटीवी भी अपने पांव काफी तेजी से पसार रहा है। वैसे, अगर आप यह समझ रहे हैं कि आईपीटीवी का मतलब इंटरनेट के जरिये टीवी दिखाना है, तो माफ कीजिए हुजूर लेकिन आप गलत सोच रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यहां आईपी का ताल्लुक इंटरनेट प्रोटोकॉल से है, ना कि इंटरनेट से। इंटरनेट प्रोटोकॉल एक तरीका है, जिसके जरिये एक सुरक्षित और अच्छी तरह प्रबंधित नेटवर्क से सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इसी नेटवर्क के जरिये टीवी सिग्नल्स आप तक पहुंचाए जाते हैं। इस नेटवर्क के आपको मिलेगा जबरदस्त पिक्चर क्वालिटी और धांसू आवाज। उस क्वालिटी की तुलना आप अपने केबल टीवी की पिक्चर और साउंड क्वालिटी के साथ नहीं कर सकते हैं। इसमें टीवी के साथ वॉयस और डेटा सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं।

कैसे अलग है ये?

आसान शब्दों में कहें तो यह टीवी देखने के अनुभव को ज्यादा मजेदार बना देगा। साथ ही, यह टीवी देखने को काफी पर्सनलाइज्ड बना देगा। आज अगर आप किसी गेम शो या रियल्टी शो को देख रहे हैं, तो आप उसमें भाग लेने के लिए अपने टीवी के रिमोट का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। लेकिन अब आपकी दुनिया बदलने के लिए आ गया है आईपीटीवी। इसके जरिये आप तुरंत ही उस गेम शो या रियल्टी शो में हिस्सा ले सकते हैं।

साथ ही, इसके जरिये आप अपने पसंद के चैनलों को ही देख सकते हैं। आम तौर पर आपका केबल ऑपरेटर आपके टीवी सेट पर 100-150 चैनलों की बारिश कर देता है। इसमें से ज्यादातर तो आपके काम के ही नहीं होते हैं। फिर अपने पसंदीदा टीवी चैनल को देखने के लिए रिमोट को दबाते रहिए। लेकिन आईपीटीवी में आप अपने पसंदीदा चैनल को चुन सकते हैं। मतलब आपको उन चैनलों को देखने की जरूरत नहीं है, जो आपके मतलब के नहीं हैं। साथ ही, आप आईपीटीवी के जरिये टीवी देखने के साथ-साथ अपने दोस्तों के साथ चैट भी कर सकते हैं और इंटरनेट भी सर्फ कर सकते हैं।

जरा सोचिए कि भारत पाकिस्तान का मैच आ रहा है। धोनी की सेंचुरी होने वाली है, तभी आपके ऑफिस से बुलावा आ जाता है। गुस्सा कितना आएगा न? लेकिन अब गुस्सा होने की जरूरत नहीं है। आईपीटीवी के जरिये आप उस मैच को बाद में भी देख सकते हैं। साथ ही, जब आपको फुर्सत मिले, तब आप अपनी मनपसंद सीरियल को भी देख सकते हैं।

तस्वीर का दूसरा पहलू

आईपीटीवी वाकई काफी जबरदस्त है। लेकिन ऐसी कई खामियां हैं, जिसकी वजह से इसकी खूबियों पर ग्रहण लग जाता है। सबसे पहले बात तो यह है कि केबल टीवी के उल्ट इसके लिए आपको कई सारी चीजों की भी जरूरत होगी। पहले तो आपको चाहिए एक सेट टॉप बॉक्स और एक ब्रॉडबैंड कनेक्शन।

फिर आपको आईपीटीवी मुहैया करवाने वाली कंपनी के चक्कर काटने होंगे। दूसरी तरफ, आम केबल कनेक्शन के लिए आपको बस तार की जरूरत होती है। इसके साथ एक और बड़ी दिक्कत है कम चैनलों का मौजूदा होना। जो आज आईपीटीवी पर मुहैया कराए जा रहे हैं, उस लिस्ट में कई लोकप्रिय चैनलों का नाम नहीं है। इसके साथ-साथ आपको आईपीटीवी के लिए मोटी रकम भी चुकानी पड़ेगी।

टेलीकॉम विशषेज्ञों की मानें तो अपने मुल्क में तो फाइबर ऑप्टिक तारें तो बिछा दी गईं हैं, लेकिन उनमें से 90 फीसदी का फायदा उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच रहा है। साथ में, अपने मुल्क में बैंडविथ की भी काफी तंगी है। ऐसी हालत में पिक्चर और साउंड क्वालिटी पर काफी असर पड़ता है। दरअसल, जब भी उपभोक्ता चैनल बदलेगा तो उस हालत में डेटा वापस सेवा प्रदाता के पास जाता है। फिर वह उपभोक्ता के पास नए चैनल के सिग्नल भेजता है। ऐसी हालत में अगर बैंडविथ कम रहा तो चैनल बदलने में आपको कई-कई मिनट लग सकते हैं।

फायदे की घंटी

अब तो अपने मुल्क में भी आईपीटीवी का धंधा टेलीकॉम कंपनियों को काफी चोखा लग रहा है। इसलिए तो वे तेजी से इस फील्ड में कूद रही हैं। एमटीएनएल और बीएसएनएल तो काफी पहले ही इस फील्ड में कूद चूकी हैं, जबकि एयरटेल और रिलायंस कम्युनिकेशन जैसी बड़ी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां भी उतरने की तैयारी कर रही हैं।

इस बारे में पिछले साल काफी हंगामा मचा था, लेकिन इस साल फरवरी में दूरसंचार मंत्रालय ट्राई के सुझाव को मानते हुए इन कंपनियों को आईपीटीवी को लॉन्च करने की इजाजत दे दी। इस बारे में सबसे ज्यादा विरोध केबल टीवी ऑपरेटरों ने किया था। उनकी मांग की थी कि टेलीकॉम कंपनियों को भी केबल टीवी कानून के तहत लाया जाए। इस पर सरकार ने यह फैसला किया था कि ये कंपनियां जो कार्यक्रम लोगों को मुहैया करवाएंगी, उस सूचना व प्रसारण मंत्रालय कड़ी निगाह रखेगा। 

वैसे, इस बात को सभी मान रहे हैं कि विवाद की असल जड़ मोटा मुनाफा है। केबल टीवी ऑपरेटरों को लगता है कि उनका मुनाफा मर जाएगा। विश्लेषकों की मानें तो दुनिया भर में 2010 तक आईपीटीवी से होने वाला मुनाफा 17 अरब डॉलर के पार चला जाएगा, जिसमें भारत का हिस्सा अच्छा-खासा होगा। उनका कहना है कि आज की तारीख में आईपीटीवी का बाजार 13 फीसदी की तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। मुल्क में आईपीटीवी उपभोक्ता भी 2011 तक 75 हजार के आंकड़े को पार कर जाएंगे। मगर कुछ विश्लेषक यह भी बताते हैं कि इसके लिए पहले जरूरी है कि ब्रॉडबैंड कनेक्शनों की तादाद में इजाफा किया जाए। 

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