अगर आंकड़ों की बात करें तो डायरेक्ट टू होम(डीटीएच) के ग्राहकों की संख्या आईपीटीवी से बहुत आगे है।
एक ओर जहां डीटीएच के ग्राहकों की संख्या 1.1 करोड़ तक पहुंच गई है वहीं आईपीटीवी के अभी तक केवल 12,000 ग्राहक ही बन पाए हैं।
लेकिन आईपीटीवी एक मामले में डीटीएच को मात दे रहा है और वह यह कि आईपीटीवी विज्ञापनदाताओं की पसंद के तौर पर उभर रहा है।
एमटीएनएल और बीएसएनल की आईपीटीवी सेवा आईकंट्रोल (अक्श टीवी) में ‘ए टयूब’ नाम का एक अलग किस्म का फीचर है। जिसमें सिर्फ एक बटन दबाने से दर्शक अपनी मर्जी के विज्ञापन देख सकते हैं। यह कार्यक्रमों पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों से अलग है।
इसमें बस करना इतना होता है कि आप मेन मेन्यू से किसी उत्पाद की श्रेणी को चुनें, उसके बाद उत्पाद और ब्रांड्स पर जाएं।
इस तरह आपको उस उत्पाद के बारे में अधिक से अधिक जानकारियां मिल जाएंगी। मिसाल के तौर पर आपको कोई घर खरीदना है और आपके पास घर ढूंढने का वक्त नहीं है।
यह फीचर आपकी इस समस्या का समाधान करता है। किराये या फिर खरीदने के लिए ए टयूब पर मौजूद घरों के वीडियो देखकर आप पसंद कर सकते हैं और फिर इसके बाद अपना फैसला ले सकते हैं।
हालांकि इसको देखने वालों की संख्या कम हो सकती है। लेकिन विज्ञापनदाताओं के लिए तो यह अच्छा ही है क्योंकि उनके विज्ञापन को लोग अपनी जरूरत के हिसाब से देख रहे हैं।
आम तरीके से प्रसारित होने वाले विज्ञापन की तुलना में ग्राहक को प्रभावित करने की संभावना भी अधिक है।
वह इसलिए कि ग्राहक जब किसी चीज के खरीदने की प्रक्रिया शुरू करता है तो शुरुआती स्तर पर वह उसके बारे में जानकारियां इकट्ठी करना शुरू करता है। इस तरह से ये विज्ञापन ग्राहक के मानस को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं।
अक्श के स्ट्रेटिजिक इनिशिएटिव के प्रमुख अशोक कुमार वाही कहते हैं, ‘विज्ञापनदाता की यह जानने में बड़ी दिलचस्पी होती है कि आखिर कितने लोगों ने उनका विज्ञापन देखा और उसमें से भी कितने लोगों ने विज्ञापन देखकर उनके उत्पाद को खरीदा। परंपरागत प्रसारण तकनीक से यह पता लगाना संभव नहीं इसलिए ही टीआरपी रेटिंग का चलन शुरू हुआ।
लेकिन आईपीटीवी तकनीक के आने से विज्ञापनदाताओं के इन सवालों का जवाब मिल सकेगा। आने वाले वक्त में परंपरागत तरीके से विज्ञापन के बजाय वन ऑन वन एडवरटाइजिंग का चलन बढ़ेगा।’
वैसे ए टयूब के प्लेटफॉर्म पर कई बड़े नाम विज्ञापन दे भी रहे हैं। जिनमें से मेरीडियन, जायका, अरेबियन डिलाइट्स, अग्रवाल स्वीट्स, रेसिपीज फ्रॉम टेस्ट ऑफ इंडिया, ट्रैवल यूरोप, लिबास, छाबड़ा साड़ीज, जीएनआईआईटी, मदर्स प्राइड, भारतीय विद्या भवन, शिव खेड़ा, पृथ्वी प्रॉपर्टीज, निबरस कंस्ट्रक्शन, हीरो होंडा, स्कोडा का सबसे बड़ा शोरूम सिल्वरटोन मोटर्स के अलावा और भी कई बड़े नाम शामिल हैं।
छोटे विज्ञापनदाता को अपने 10 से 15 सेकंड के विज्ञापन के लिए तीन महीने के बुके के लिए 20,000 से 30,000 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं वहीं बड़े विज्ञापनदाताओं को 3 से 4 मिनट के विज्ञापन के तीन महीने के बुके के लिए एक लाख रुपये से ज्यादा की रकम खर्च करनी पड़ रही हैं।
पृथ्वी रियलटर्स में कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस के प्रमुख अमित मल्होत्रा कहते हैं, ‘ आर्थिक मंदी के दौर में रियल एस्टेट सेक्टर को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसके जरिये विज्ञापन देने से इतना फायदा हुआ है कि वास्तविक खरीदार विज्ञापन देख रहे हैं। 24 घंटे प्रसारित होने वाले चैनलों पर यह संभव नहीं है।
वास्तव में टीवी बड़ा ही कन्फ्यूजिंग मीडियम बन गया है। दूसरी ओर आउटडोर मीडिया बहुत खर्चीला माध्यम है। अगर प्रिंट की बात करें तो वहां भी 10 सेंटीमीटर के छोटे से विज्ञापन के लिए 15,000 से 20,000 रुपये का खर्च आता है।
इसको देखते हुए आईपीटीवी पर 3 महीने तक विज्ञापन के एवज में 30,000 रुपये खर्च करने को मैं समझदारी वाला फैसला ही मानूंगा।
पूल एडवर्टाइजिंग होने के बावजूद इसका कनवर्जन रेट बहुत ज्यादा है। आईपीटीवी पर विज्ञापन देने के बाद हमारे पास पूछताछ करने के लिए 25 से 30 फीसदी लोगों ने रुचि दिखाई जिनमें से 2 से तीन 3 सौदे हो भी गए।’
दिल्ली में एक रिटेल गारमेर्ट चेन के मालिक योगेश कुमार भी इसके फायदे गिनाते हैं। वह कहते हैं ‘ए टयूब पर विज्ञापन देने के बाद हमारे पास काफी फोन कॉल्स आने लगी हैं।’ आपको बता दें कि आईपीटीवी ने जून में दिल्ली और मुंबई में आईपीटीवी की शुरुआत की थी।
वहीं बीएसएनएल उत्तर भारत के 20 शहरों में इस सेवा को शुरू करेगा। इनमें से भी राजस्थान और हरियाणा के तीन शहरों में यह सेवा अगस्त में शुरू हो गई।
आईकंट्रोल के फिलहाल 12,000 ग्राहक हैं और वर्ष 2009 के आखिर तक इसका लक्ष्य अपने ग्राहकों की संख्या बढ़ाकर डेढ़ लाख तक करने का है।