Skip to content
  रविवार 29 जनवरी 2023
Trending
January 29, 2023Budget 2023: फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय से तय होगी शेयर बाजार की दिशाJanuary 29, 2023अश्विन ने क्रिकेट प्रेमियों से रोहित और कोहली को समय देने के लिए कहा, जानें वजहJanuary 29, 2023IOC ने लॉन्च किया गया स्वदेशी विमान ईंधन, पापुआ न्यू गिनी भेजी गई पहली खेपJanuary 29, 202326/11 हमले में बाल-बाल बचे Gautam Adani के सामने कारोबारी जीवन की सबसे बड़ी चुनौतीJanuary 29, 2023सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से Maruti का उत्पादन अब भी प्रभावित : CFOJanuary 29, 2023Netherlands बना भारत का तीसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन, इन देशों को छोड़ा पीछेJanuary 29, 2023तकनीकी दशक बनने का भारत का सपना इन्नोवेटर और उनके पेटेंट से साकार होगा : प्रधानमंत्री मोदीJanuary 29, 2023Delhi Weather Today: दिल्ली में आज हो सकती है बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्टJanuary 29, 2023Omega Seiki बैटरी, पावरट्रेन मैन्युफैक्चरिंग के लिए 800 करोड़ रुपये के निवेश से लगाएगी दो प्लांटJanuary 29, 2023Budget 2023: बजट से पहले FPI का सतर्क रुख, जनवरी में अबतक शेयरों से 17,000 करोड़ रुपये निकाले
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  अफगानिस्तान में भारत का ‘आखिरी दांव’
लेख

अफगानिस्तान में भारत का ‘आखिरी दांव’

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —August 2, 2021 11:46 PM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

क्या हम अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह कब्जा हो जाने के मुहाने पर पहुंच चुके हैं? अमेरिकी एवं नाटो की सेनाओं की वापसी के बीच तालिबानी लड़ाके जिस रफ्तार से अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों पर कब्जा करते जा रहे हैं उससे ऐसा होना अवश्यंभावी ही लग रहा है। अफगान सरकार के सुरक्षाबल राजधानी काबुल एवं अन्य महत्त्वपूर्ण ठिकानों पर तालिबान के कब्जे को कुछ समय तक टाले रखने में सक्षम हो सकते हैं लेकिन तालिबान के कब्जे वाले इलाकों के बढ़ते दायरे को देखते हुए इन जगहों को अपने पास रख पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
साफ है कि तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में किसी तरह के बंटवारे के पक्ष में नहीं है। उसकी मंशा अफगानिस्तान के समूचे इलाके पर अपना कब्जा जमाने की है। एक तरफ अशरफ गनी सरकार को मिलता आ रहा सेना का पुरजोर समर्थन कम हुआ है, वहीं तालिबान को पाकिस्तान से पूरी मदद मिल रही है और पाकिस्तानी सेना से जुड़े लोगों से उसे सलाह एवं सहयोग मिलने की भी खबरें हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के लड़ाके भी अफगानिस्तान में जारी जंग में सक्रियता से हिस्सा ले रहे हैं। भले ही पाकिस्तान अफगान सरकार एवं तालिबान के बीच शांति बहाली की कोशिशों में लगे होने का दावा करता है लेकिन वह अफगानिस्तान में तालिबान का शासन स्थापित करने में पूरी शिद्दत से लगा हुआ है।
असल में पाकिस्तान ने ही तालिबान को पाला-पोसा है और पिछले दो दशकों में उसे पनाहगाह मुहैया कराता रहा है। पाकिस्तान ने अमेरिका की बढ़ती नाराजगी और अपनी सीमा पर स्थित तालिबानी ठिकानों पर ड्रोन हमलों से जुड़े जोखिमों के बावजूद ऐसा किया है। एक ताकतवर महाशक्ति को बाहर का रास्ता दिखाने से एक तरह का हर्षोल्लास भी है। पाकिस्तान के लिए अब तालिबान पर किए गए निवेश का लाभांश वसूलने का वक्त है। उसके लिए सबसे बड़ा लाभांश अफगानिस्तान से भारत की मौजूदगी को न्यूनतम करना है। भारत के खिलाफ सीमापार आतंकवादी गतिविधियों का एक ठिकाना बनाने और पाकिस्तान के भीतर पख्तून अलगाववाद पर काबू पाने में भी उसे मदद मिल सकती है।
यह स्पष्ट है कि चीन, ईरान एवं रूस जैसी प्रमुख क्षेत्रीय ताकतें तालिबान नेतृत्व के साथ संपर्क में हैं जिससे उसे राजनीतिक वैधता मिल जाती है। इन देशों का आकलन है कि तालिबान ही अफगानिस्तान के भावी शासक हैं, लिहाजा अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए उस पर ही निर्भर रहना होगा। अमेरिका भी आगे चलकर तालिबान शासन के साथ मेलमिलाप कर रिश्ते बहाल कर सकता है। यूरोपीय देश नए शासकों के सामने मानवाधिकारों का सम्मान करने और महिलाओं पर फिर से पाबंदियां न लगाने की मांगें पुरजोर तरीके से रखने के बाद अमेरिका का अनुसरण कर सकते हैं।
नब्बे के दशक के उलट तालिबान को इस बार कहीं बड़ी राजनीतिक वैधता मिल रही है। चीन की दरियादिली तब तक बरकरार रहेगी जब तक कि तालिबानी निजाम चिनच्यांग इलाके में चीन के शासन को चुनौती दे रहे पूर्व तुर्केस्तान स्वतंत्रता आंदोलन को किसी तरह की पनाह नहींं देगा। तालिबान ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान जारी किया है कि वह पूर्व तुर्केस्तान आंदोलन को अफगान सरजमीं का इस्तेमाल चीन के खिलाफ करने की मंजूरी नहीं देगा। ईरान एवं रूस भी तालिबान से कुछ इसी तरह का आश्वासन पाने की कोशिश में लगे हुए हैं और इस लिहाज से सबको यही लगता है कि पाकिस्तान की भूमिका सबसे अहम होगी। ऐसे में भारत के लिए रणनीतिक तौर पर समझदारी होगी कि वह भी तालिबान से संपर्क साधे और उससे बात करे लेकिन ऐसा कदम इस भ्रम के बगैर उठाया जाना चाहिए कि तालिबान एक ‘राष्ट्रवादी’ समूह है और उसे एक सीमा तक पाकिस्तानी सरपरस्तों से अलग किया जा सकता है।
अगर तालिबान का राष्ट्रवादी आडंबर है भी तो इस पहलू पर गौर करना होगा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत में क्या लेनदेन हो सकता है? अफगानिस्तान में भारत की कूटनीतिक मौजूदगी खत्म करने या वहां की किसी भी ढांचागत परियोजना में भारत को कोई भी भूमिका न देने की पाकिस्तान की मांग को पूरा करना तालिबान के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। दरअसल तालिबान को भी अंतरराष्ट्रीय वैधता हासिल करने में पाकिस्तान से भरपूर मदद मिल रही है और ताकतवर चीन के साथ सौदेबाजी में भी यह पड़ोसी एक असरदार बिचौलिये की भूमिका निभा सकता है। चीन का दीर्घकालिक अनुमान जो भी हो, निकट भविष्य में तो वह तालिबानी दबदबे वाले अफगानिस्तान के दुर्गम इलाकों से पार पाने के लिए पाकिस्तान पर ही निर्भर रहेगा। भारत के नजरिये से देखें तो इनमें से कोई भी पहलू अच्छा नहीं दिखता है। अफगानिस्तान में भारत की भूमिका सीमित पहुंच होने से बहुत कम हुई है। एक तरफ पाकिस्तान उसका रास्ता रोके हुए है तो दूसरी तरफ ईरान का रास्ता भी ज्यादा समस्याएं पैदा करने लगा है। रूस के चीन की राह पर ही चलने के आसार हैं जिसका मतलब पाकिस्तान के ही हिसाब से चलना होगा। यह 2001 से पहले के दौर से बहुत अलग होगा जब भारत तालिबान के खिलाफ ईरान, रूस एवं कुछ मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर एक गठजोड़ तैयार करने में सफल रहा था। अगर ऐसा कोई गठजोड़ इस बार भी बनता है तो भारत उसे सैन्य साजो-सामान के तौर पर कब तक समर्थन देगा?
असल में भारत और अमेरिका दोनों देशों के विश्लेषकों में एक हद तक सदिच्छा भरी सोच हावी दिखती है। यह दलील दी जा रही है कि पाकिस्तान एवं चीन दोनों ही समय के साथ अफगानिस्तान में अस्थिरता, हिंसा एवं आपसी संघर्ष के भंवर में फंसकर रह जाएंगे क्योंकि इस देश का इतिहास ही कुछ इसी तरह का रहा है। इसका मतलब है कि भारत को वक्तलेना चाहिए और अफगानिस्तान का इतिहास दोहराए जाने तक इंतजार करना चाहिए। संभवत: ऐसे हालात देखने को भी मिलेंगे लेकिन इस अवधि में भारत के हितों को गंभीर क्षति पहुंचने की आशंका बहुत ज्यादा है। इसका फौरी असर जम्मू कश्मीर पर पड़ सकता है जो संवेदनशील रूप से एक तरफ पाकिस्तान एवं दूसरी तरफ चीन से सटा हुआ है। सच है कि हमारे सामने बहुत थोड़े विकल्प ही हैं, लिहाजा वक्त का इंतजार करना हमारी मजबूरी है, विकल्प नहीं। अफगानिस्तान में कट्टरपंथी सुन्नी समूह का शासन होना और उसे चीन एवं पाकिस्तान दोनों से समर्थन मिलना भारत की असुरक्षा बढ़ाने का ही काम करेगा। इस जमावड़े को रोकने के लिए भारत के पास खुले एवं प्रच्छन्न दोनों ही तरीके आजमाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। हमने नब्बे के दशक में भी तालिबान के उभार के समय ऐसा किया था और इस कवायद को एक बार फिर दोहराया जा सकता है। हालांकि इस बार हालात कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं।
(लेखक पूर्व विदेश सचिव और सीपीआर के सीनियर फेलो हैं)

अफगानिस्तानएलईटीजेईएमतालिबाननाटोभारतसेना
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

Related Posts

  • Related posts
  • More from author
आज का अखबार

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सवाल

January 27, 2023 10:14 PM IST0
आज का अखबार

उपभोक्ता धारणा में मजबूती जारी रहने की उम्मीद

January 27, 2023 10:01 PM IST0
आज का अखबार

राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर

January 27, 2023 9:38 PM IST0
आज का अखबार

संतुलित रुख जरूरी

January 25, 2023 10:12 PM IST0
अन्य

सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ शिकायतों पर गौर करने के लिए जीएसी अधिसूचित

January 28, 2023 9:12 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

नार्थ कोरिया को मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा साउथ कोरिया

January 27, 2023 7:46 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Covid 19 : साउथ कोरिया ने चीन से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध की अ‍वधि बढ़ाई

January 27, 2023 4:54 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी इकॉनमी में सुस्ती जारी, पर पिछली तिमाही में ग्रोथ रेट बढ़ा

January 27, 2023 10:10 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Nepal plane crash: सिंगापुर में होगी ब्लैक बॉक्स की जांच

January 27, 2023 9:57 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है भारत: बाइडन प्रशासन

January 27, 2023 9:18 AM IST0

Trending Topics


  • Stocks to Watch Today
  • FIH Hockey World Cup 2023
  • Gold Rate Today
  • Share Market Crash
  • Nepal plane crash
  • Adani Total Gas Limited
  • Air India
  • Pathaan Box Office Collection
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


Budget 2023: फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

January 29, 2023 3:59 PM IST

अश्विन ने क्रिकेट प्रेमियों से रोहित और कोहली को समय देने के लिए कहा, जानें वजह

January 29, 2023 3:51 PM IST

IOC ने लॉन्च किया गया स्वदेशी विमान ईंधन, पापुआ न्यू गिनी भेजी गई पहली खेप

January 29, 2023 3:37 PM IST

26/11 हमले में बाल-बाल बचे Gautam Adani के सामने कारोबारी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती

January 29, 2023 3:26 PM IST

सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से Maruti का उत्पादन अब भी प्रभावित : CFO

January 29, 2023 3:18 PM IST

Latest News


  • Budget 2023: फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय से तय होगी शेयर बाजार की दिशा
    by भाषा
    January 29, 2023
  • अश्विन ने क्रिकेट प्रेमियों से रोहित और कोहली को समय देने के लिए कहा, जानें वजह
    by भाषा
    January 29, 2023
  • IOC ने लॉन्च किया गया स्वदेशी विमान ईंधन, पापुआ न्यू गिनी भेजी गई पहली खेप
    by भाषा
    January 29, 2023
  • 26/11 हमले में बाल-बाल बचे Gautam Adani के सामने कारोबारी जीवन की सबसे बड़ी चुनौती
    by भाषा
    January 29, 2023
  • सेमीकंडक्टर की कमी की वजह से Maruti का उत्पादन अब भी प्रभावित : CFO
    by भाषा
    January 29, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
59330.90 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स59331
-8741.45%
निफ्टी59331
-8740%
सीएनएक्स 50014875
-2971.96%
रुपया-डॉलर81.49
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.556.34
Bajaj Auto3937.705.93
Supreme Inds.2538.155.23
AIA Engineering2602.954.82
Emami438.954.52
Kajaria Ceramics1097.304.51
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.606.34
Bajaj Auto3936.755.90
Supreme Inds.2538.955.18
AIA Engineering2598.754.71
Kajaria Ceramics1097.554.66
Tata Motors-DVR225.154.58
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks to Watch TodayFIH Hockey World Cup 2023Gold Rate TodayShare Market CrashNepal plane crashAdani Total Gas LimitedAir IndiaPathaan Box Office CollectionUnion Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us