मंदी के बावजूद भी सभी तरह की सुविधाओं से लैस दफ्तरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे दफ्तरों की मांग को पूरा करने वाली यह नई रियल एस्टेट सेवा काफी लोकप्रिय हो रही है।
सभी सुविधाओं से लैस दफ्तरों की जगह मुहैया कराने वाली कंपनियां पहले दिन से ही दफ्तर खोलने के लिए जगह मुहैया कराने का ऑफर दे रही हैं।
आजकल कंपनियां दफ्तर खोलने के लिए न तो ज्यादा निवेश करना चाहती है और न लंबी अवधि के पट्टे लेने जैसेर् शत्तों में नहीं बंधना चाहती हैं।
इसी तरह की सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी सर्व कॉर्प ने पिछले साल मार्च में भारतीय बाजार में प्रवेश किया। इसकी योजना दो साल के अंदर ही सभी मेट्रो शहरों में विस्तार करने की भी है। ब्रिटेन की कंपनी अवंता ने भी भारत में अपनी कंपनी खोल दी है।
अगले दो सालों में यह कंपनी सभी सुविधाओं से लैस 20 दफ्तर खोलेगी और ग्राहकों को देगी। सर्व कॉर्प इंडिया के महाप्रबंधक मिनल सिन्हा का कहना है, ‘अगले 2-3 सालों तक इस क्षेत्र में भारत के लिए कारोबार के बेहतर मौके हैं। दरअसल, कंपनियां विस्तार तो करना चाहती हैं लेकिन मंदी की वजह से दफ्तर के बुनियादी ढांचे में ज्यादा निवेश नहीं करना चाहती हैं।’
विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों को सभी सुविधाओं से लैस दफ्तर मिल जाने पर पहले तीन सालों तक के लिए उनके रियल एस्टेट लागत में 30 फीसदी की बचत हो जाती है।
ब्रिटेन की कंपनी इंटरनेशनल बिजनेस वेल्स (आईबीडब्ल्यू) ने पिछले साल फरवरी में बेंगलुरु में सर्व कॉर्प के एक बिजनेस सेंटर में अपना दफ्तर खोला है।
आईबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष कांत सिंह का कहना है, ‘ऐसे सुविधायुक्त दफ्तर मिलने पर हमें इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप और दूसरी समस्याओं से नहीं जूझना पड़ा।’ अवंता इंडिया के प्रबंध निदेशक सीन मार्गन का कहना है, ‘भारत में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां कारोबार के मौके तलाशने की फिराक में हैं।
ये कंपनियां लंबे समय के लिए पट्टे पर जगह लेने जैसीर् शत्तो में नहीं फंसना चाहती हैं। ऐसे में उनके लिए यह सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि वे यहां बड़ी आसानी से आ भी सकते हैं और निकल भी सकते हैं।’
इन सुविधायुक्त दफ्तरों को प्रति वर्क स्टेशन के हिसाब से किराए पर दिया जाता है। कुशमैन एंड वेकफिल्ड के मुताबिक यह किराया अलग-अलग लोकेशन के लिहाज से 15, 000 रुपये से लेकर एक लाख रुपये प्रति वर्कस्टेशन भी हो सकता है। हालांकि अवंता 55,000 रुपये प्रति वर्कस्टेशन वसूल रही है।
इन सुविधायुक्त दफ्तरों में ऑफिस की जरूरतों को पूरा करने वाली सभी सुविधाएं मौजूद होती हैं। इसके अलावा अगर किसी को सहायक सेवाएं चाहिए होती हैं तो उसके लिए कंपनियों को अतिरिक्त भुगतान भी करना पड़ता है।
मंदी के दौर में कंपनियां अपने विस्तार की योजनाओं के बारे में उतनी आश्वस्त नहीं हैं ऐसे में वे रियल एस्टेट कंपनियों के साथ लंबे समय के लीज एग्रीमेंट कीर् शत्तों में नहीं फंसना चाहतीं। जब कंपनियां इन दफ्तरों को छोड़ना चाहेंगी तो वे एक महीने के नोटिस पर ऐसा कर सकती हैं।