‘फाइव प्वॉइंट समवन’, ‘वन नाइट एट कॉल सेंटर’ और ‘थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ जैसी बेहद मशहूर किताबों के लेखक चेतन भगत किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।
अपनी अनोखी लेखन शैली की वजह से काफी कम उम्र में ही भगत, लाखों नौजवानों के पंसदीदा लेखक बन चुके हैं। अंग्रेजी में उनकी उपन्यासों के कद्रदानों की कमी नहीं है और अब हिंदी के पाठक भी उनके किताबों का लुत्फ उठा सकेंगे।
उनके शुरुआती दो उपन्यासों ‘फाइव प्वांइट समवन’ और ‘वन नाइट एट कॉल सेंटर’ को हिंदी में अनूदित कर बाजार में उतारा गया है। इतना ही नहीं पिछले शुक्रवार चेतन के उपन्यास वन नाइट एट कॉल सेंटर पर आधारित फिल्म ‘हेलो’ भी रिलीज हो चुकी है। चेतन भगत से हमारी संवाददाता रुचि गुप्ता की बातचीत के प्रमुख अंश:
आपके दोनों बेस्टसेलर उपन्यासों वन नाइट एट कॉल सेंटर और फाइव प्वॉइंट समवन अब हिन्दी में भी उपलब्ध होंगे, इस बारे में आपका क्या कहना है?
मेरा हमेशा उद्देश्य रहा है कि जितना ज्यादा हो सके उतने भारतीयों तक पहुंच सकूं। पहले ही लोग मुझे यूथ राइटर का खिताब दे चुके हैं और अगर में हिन्दी पाठकों तक नहीं पहुंच रहा हूं तो मुझे नहीं लगता कि मैं खुद को भारतीय लेखक कह सकता हूं। मेरे लिए बहुत अहम था कि हिंदी भाषी लोग, जो अंग्रेजी नहीं बोल पाते या समझ नहीं बाते, उन तक भी यह किताब पहुंचनी चाहिए।
आपके उपन्यास ‘वन नाइट एट कॉल सेंटर’ पर बॉलीवुड फिल्म ‘हेलो’ बनी है। आपको लगता है कि फिल्म में अतुल अग्निहोत्री ने आपके उपन्यास के साथ न्याय किया है?
मुझे तो फिल्म अच्छी लगी। मुझे लगता है कि जो उसका लक्ष्य था वो हिंदी बोलने वालों को आकर्षित करे। क्योंकि यह उच्च वर्ग को तो पहले ही वह किताब पड़ चुका है। मुझे लगता है कि फिल्म हिट है, फिल्म ने बॉक्स ऑफिस अच्छा काम किया है। उसके बाद मुझे लगता है कि किसी भी इतने नए उपन्यास पर फिल्म बॉलीवुड में अभी तक तो नहीं बनी है। मेरे लिए यह काफी खुशी की बात है, जहां देवदास जैसे पुराने उपन्यासों पर फिल्म बनती है, वहीं मेरे उपन्यास पर काफी जल्द काम हो गया।
आपके और किस उपन्यास पर फिल्म बनने वाली है?
मेरे उपन्यास ‘फाइव प्वॉइंट समवन’ को राजकुमार हिरानी ने लिया हुआ है और ‘थ्री मिस्टेक्स…’ भी कईयों नी ली हुई है। मुझे ऐसी कोई जल्दी नहीं है, जब कुछ अच्छा मिलेगा तो सोचेंगे। उम्मीद है कि जल्द ही इस पर भी फिल्म देखने को मिलेगी।
आपका अगला उपन्यास कब तक आएगा और क्या यह भी आईटी या कॉल सेंटर पर आधारित होगा?
मेरा अगला उपन्यास 2010 तक आने की उम्मीद है। न तो मैंने अभी तक कोई पक्का फैसला किया है कि यह किस पर आधारित होगा और अगर किया भी होता तो मैं अभी यह नहीं बताता कि मैं किस बारे में लिख रहा हूं। लेखक को आगे भी जिज्ञासा बनाई रखनी चाहिए।
अरविंद अडिगा को हाल ही में ‘दी व्हाइट टाइगर’ के लिए बुकर अवॉर्ड मिला है। आपको यह अवॉर्ड कब मिलेगा?
बहुत अच्छी बात है। मुझे लगता है कि पिछला हफ्ता भारतीय लेखकों के लिए बहुत अच्छा था, जहां एक तरफ अरविंद अडिगा को उनकी किताब के लिए अवॉर्ड मिला, वहीं दूसरी और एक उपन्यास पर आधारित फिल्म के रोजाना 2500 शो चल रहे हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय किताबों और लेखकों ने दुनिया में अपनी छवि छोड़ी है।
मुझे बुकर अवॉर्ड मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि न तो मेरी किताबें इतनी अच्छी हैं और दूसरा बुकर अवॉर्ड उन्हीं किताबों के लिए दिया जाता है जो ब्रिटेन में रिलीज होती हैं। अभी तक तो मैंने अरविंद की किताब नहीं पढी, लेकिन मुझे पता है कि उनकी किताब बहुत अच्छी होगी। अगली किताब मैं उन्हीं की पढूंगा।
आप इनवेस्टमेंट बैंकर भी हैं, आपको नहीं लगता कि आपकी अगली किताब आज-कल की बाजार स्थितियों पर भी हो सकती है?
मुझे कई बार लोग पूछ चुके हैं कि आप बैंकिंग पर कब किताब लिखेंगे? मैं इस पर किताब जरूर लिखूंगा, लेकिन कब यह नहीं पता।
इनवेस्टमेंट बैंकर होने के नाते आप वैश्विक मंदी के बारे में क्या सोचते हैं?
काफी मुश्किल वक्त है। लेकिन वित्तीय बाजार में काफी ऊपर-नीचे होता रहता है। अगले दो साल काफी मुश्किल हैं। लोगों को कम खर्च करना चाहिए और उन्हें अपनी नौकरी बचाए रखना चाहिए।