टी. राजगोपाल को दुनिया की बेहतरीन कारों के छोटे-छोटे मॉडल एकत्रित करने का शौक है।
मुंबई में हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) मुख्यालय में उनके दफ्तर में कई ऐसे छोटे मॉडल हैं। पेशे से डॉक्टर राजगोपाल को जाहिर तौर पर रफ्तार बहुत पसंद है। जी हां, काम के मामले में भी।
भारत की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी के उपाध्यक्ष (मेडिकल ऐंड ऑक्यूपेशनल हेल्थ) के तौर पर राजगोपाल और उनकी टीम बहुत तेजी के साथ भारत में एचयूएल के 15,000 से ज्यादा कर्मचारियों के लिए ”वैयक्तिक तंदरुस्ती ” योजना शुरू करने में सक्षम रही है। यह स्वास्थ्य योजना कंपनी के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। यह एक समझदारी वाला कदम है।
आखिरकार, किसी कंपनी की सेहत पर इस बात की उम्मीद से कहीं ज्यादा असर पड़ता है कि उसके कर्मचारी लंच के दौरान और काम के बाद क्या करते हैं। कई वैश्विक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए हेल्थ प्लान लागू किया है और उनके रिवार्ड रेशियो पर एचयूएल की नजर हो सकती है।
जॉनसन ऐंड जॉनसन में रिवार्ड रेशियो 3.8:1 है। इसका मतलब यह हुआ कि 1 डॉलर के निवेश पर 3.8 डॉलर मिलेंगे। सिटीबैंक में यह अनुपात 4.56:1 है जबकि पेप्सीको, मोटोरोला और डूपोंट में यह 1.9:1 और 6.1:1 के बीच है।
राजगोपाल कहते हैं, ”हम लोग कर्मचारियों को उत्साह के साथ-साथ ऐसी सुविधा दे रहे हैं, जो उनके अस्वस्थकारी रहन-सहन को स्थायी बीमारी की वजह बन जाने से पहले बदल सके। हम इसे बेहद मजेदार तरीके से कर रहे हैं। हम कर्मचारियों को वैसा रास्ता अपनाने का विकल्प भी मुहैया करा रहे हैं, जो उन्हें उपयुक्त लगे।”
एचयूएल की इस पहल के मूल में तंदरुस्ती सूचकांक है। इसके तहत हर कर्मचारी की वैयक्तिक तंदरुस्ती का पता लगाने के लिए 4 मानदंड तैयार किए गए हैं। ये मानदंड हैं- बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर, ब्लड कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर। इन 4 मानदंडों के आधार पर हर कर्मचारी को अंक दिए जाएंगे। ये अंक उस कर्मचारी के तंदुरुस्ती सूचकांक स्कोर कार्ड में दर्ज हो जाएंगे।
जिस कर्मचारी का जितना कम स्कोर होगा, उसे उतना ही तंदरुस्त माना जाएगा। जिस कर्मचारी का स्कोर 0 से 4 के बीच होगा, वह ग्रीन जोन में माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि उसकी सेहत ठीक है। जिस कर्मचारी का स्कोर 5 से 6 के बीच होगा, उसे अंबर जोन में माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि उसकी सेहत पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। जिस कर्मचारी का स्कोर 7 से ज्यादा होगा उसे रेड जोन में माना जाएगा।
मतलब ये कि उसकी सेहत खराब है और उसकी तंदरुस्ती को लेकर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। हर कर्मचारी को उसके वैयक्तिक तंदरुस्ती स्कोर और रंग की जानकारी दी जाएगी। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि ये जानकारी गोपनीय बनी रहे। इस प्रक्रिया का पहला चरण 2 से 4 दिन में पूरा कर लिया जाएगा।
ऐसे कार्यक्रमों की सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी यह होता है कि इसमें शीर्ष स्तर के अधिकारियों की भागीदारी हो। एचयूएल में इस मोर्चे पर यह अहम बात उस प्रबंधन समिति पर निर्भर करती है जिसका नेतृत्व सीईओ नितिन परांजपे करते हैं। इस कंपनी में इन सभी को तंदरुस्ती सूचकांक में शामिल किया गया है। कहा जा सकता है कि ऐसा हो जाने से आधा काम हो गया है।
इस राह में अगली चुनौती यह रही कि इस तंदरुस्ती की इस पहल के बारे में लोगों को कैसे जागरूक किया जाए। इसके लिए मेल और पोस्टर का सहारा लिया गया। इसके जरिए सेहत खराब हो जाने से पहले इसके प्रति खुद सचेत रहने का संदेश दिया गया। दूसरे चरण में कर्मचारियों को अपने वैयक्तिक तंदरुस्ती स्कोर में सुधार के लिए उत्साहित किया गया।
इसके लिए कर्मचारियों को कंपनी के अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यशाला आयोजित करने को प्रोत्साहित किया गया। इसके अलावा कर्मचारियों को तंदरुस्ती प्रदर्शनी, परिवार दिवस, पदयात्रा और पोषण से जुड़ी काउंसलिंग आयोजित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। आपसी संवाद वाले सत्र के जरिए कर्मचारियों को बीएमआई की संकल्पना के बारे में बताया गया।
इसके अलावा उन्हें इसकी माप और रहन-सहन में सुधार के रास्ते भी बताए गए। साथ ही कर्मचारियों को यह बताया गया कि गुणकारी और नियंत्रित खानपान के जरिए मोटापा को घटाया या इससे बचा जा सकता है। इन कार्यशालाओं में पोषण से जुडे व्यावहारिक सुझावों को अमल में लाने पर भी विशेष तौर पर ध्यान दिया गया। इसके अलावा कसरत के लिए वैज्ञानिक तरीके और तनाव से निपटने के गुर भी सिखाए गए।
इस पूरी कवायद का मकसद सेहत के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसके जरिए कर्मचारियों के तंदरुस्ती स्तर और रहन-सहन को सुधारने का लक्ष्य रखा गया। वैसे प्रबंधकों के लिए भी कार्यशाला आयोजित की गई जो सेवानिवृत होने वाले हैं। इन प्रबंधकों को सेवानिवृत होने के बाद सेहत दुरुस्त रखने के तरीके बताए गए।
कर्मचारियों को खानपान के चयन के प्रति जागरूक बनाने के मकसद से कंपनी के कैफेटेरिया में कैलोरी तालिका लगाई गई है। इस तालिका में यह बात दर्ज है कि वहां जो चीज खाने के लिए उसमें उपलब्ध है उसमें कितनी कैलोरी है। कंपनियों का आकलन उनके यहां के व्यावसायिक स्वास्थ्य खतरों के आधार पर किया गया है।
इसमें ये बात देखी गई कि उनके यहां काम करने वालों को किस हद तक तनाव, शोर, पूरे बदन में स्पंदन और सांस व चमड़े से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्या तंदरुस्ती सूचकांक ने अपना महत्व स्थापित किया है? इस सवाल के जवाब में राजगोपाल तुरंत कहते हैं कि 2006 में एचयूएल के 938 कर्मचारी रेड जोन में थे।
2008 में यह संख्या घटकर 501 रह गई। निश्चित तौर पर कंपनी ने उनके लिए डॉक्टरी सलाह का प्रबंध किया। एचयूएल की कार्यकारी निदेशक (एचआर) लीना नायर कहती हैं, ”मैं व्यक्तिगत तौर पर तंदुरुस्ती से जुड़ी इस पहल के विकास की निगरानी करती हूं। क्योंकि ये सभी एचयूएल कर्मचारियों के लिए जीने का एक तरीका होना चाहिए। हम इसके प्रति बेहद गंभीर हैं।”
कंपनी ने अभी तक तंदरुस्ती सूचकांक में बेहतर अंक पाने वालों के लिए किसी तरह की वित्तीय व्यवस्था नहीं की है। अच्छा प्रदर्शन करने वालों को चैंपियन का तमगा दिया जाता है। पर नायर भविष्य में इस बारे में वित्तीय व्यवस्था करने की संभावना से इनकार नहीं करती हैं।
अलबत्ता वह रेड जोन में बरकरार रहने वाले कर्मचारियों से बातचीत जरूर करती हैं। बुनियादी स्तर पर तंदुरुस्ती सूचकांक इस समझदारी को दर्शाता है कि जो कर्मचारी जितना सेहतमंद होगा, वह काम के मामले में भी उतना ही बेहतर साबित होगा।
