अमेरिकी चुनाव में जो परिणाम आया, उसे हमलोग बहुत ही सकारात्मक तरीके से ले रहे हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा सस्ती दवाओं को प्रोत्साहन देते रहेंगे और उससे जुड़ी नीतियों के बारे में न्यायसंगत रवैया ही अपनाएंगे। हम अपने व्यापार के विस्तार के बारे में अभी भी आशान्वित हैं।
हम अपने अमेरिका में तीन प्लांट और भारत के दो प्लांट, जिसे अमेरिका की मंजूरी लेनी है, के विकास के बारे में प्रतिबद्ध हैं। हालांकि ओबामा डेमोक्रेट उम्मीदवार हैं और डेमोक्रे ट का भारत से बहुत ज्यादा संबंध नही रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में अमेरिका में यह देखा गया है कि वहां के सारे राष्ट्रपति जेनेरिक दवाओं के प्रति नरम रवैया अपनाते रहे हैं।
अमेरिका में 67 फीसदी प्रिसक्रिप्शन सस्ती दवाओं से भरे पड़े हैं। यह चलन जारी रहेगा। ओबामा कह भी चुके हैं कि वे जेनेरिक दवाओं के चलन को बढ़ावा देंगे, ताकि सभी की जरूरतें पूरी हो सकें। इससे भारतीय दवा कंपनियों को भी फायदा होगा। एक बार अगर किसी प्लांट को यूएसएफडीए से मंजूरी मिल जाती है, तो सबके साथ एक जैसा ही व्यवहार किया जाता रहा है।
बातचीत : कुमार नरोत्तम