सुबह के 9 बजे हैं। नोएडा बाजार के सारे शोरूम के शटर अभी भी गिरे हुए हैं और पार्किंग की जगह वीरान पड़ी है।
लेकिन बाजार के एक कोने में स्थित मैकडॉनल्ड को देख कर लगता है कि जिंदगी अभी भी चल रही है। मैकडॉनल्ड के काउंटर के पीछे खड़ा नाजिर दो घंटे पहले से ही ग्राहकों को सेवा देना शुरू कर चुका है।
नाजिर अपनी दुकान के नए ब्रेकफास्ट मेन्यू से यहां आने वाले ग्राहकों को रू-ब-रू करवा रहा है, जोकि सुबह के 11 बजे तक ही उपलब्ध हो सकेगा। नाजिर ने बताया, ‘मुश्किल ही है कि आज आराम करने का मौका मिले।’ नाजिर की इस बात से एक बात तो स्पष्ट है कि नए ब्रेकफास्ट मेन्यू की पेशकश से मैकडॉनल्ड की चांदी हो रही है।
हालांकि शायद ही नाजिर को इस बात की जानकारी हो कि पिछले साल दिसंबर महीने में मैकडॉनल्ड द्वारा ब्रेकफास्ट को शुरू किए जाने के बाद कंपनी के कारोबार में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। ब्रेकफास्ट मेन्यू को शुरू किया जाना वास्तव में मैकडॉनल्ड की एक ‘पायलट परियोजना’ है और अगर मैकडॉनल्ड इसमें सफल हो जाती है तो देश भर में स्थित अन्य स्टोरों में भी इस विशेष ब्रेकफास्ट सेवा को शुरू किया जाएगा।
दुनिया भर के विभिन्न देशों में मौजूद यह शीघ्र-सेवा रेस्टोरेंट चेन अब भारत में भी काफी तेजी से कारोबार कर कमाई करने की जुगत में है। देश में मैकडॉनल्ड के करीब 155 स्टोर हैं और इनमें से हरेक में प्रतिदिन आने वाले लोगों की तादाद औसतन 2,750 है। शुरुआत में इस रेस्टोरेंट में आने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी। वजह साफ है, अधिक कीमत।
लेकिन चार-पांच साल पहले ही कंपनी ने खाने के आइटम की न्यूनतम कीमत तीन से घटा कर दो अंकों में कर दी थी। कंपनी की एक तिहाई बिक्री न्यूनतम रेंज में ही होती है। यही वजह है कि जहां एक ओर महंगे रेस्टोरेंटों के कारोबार में गिरावट देखने को मिली है वहीं मैकडॉनल्ड के कारोबार में पिछली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2008) में 14 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मैकडॉनल्ड इंडिया (उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र) के प्रबंध निदेशक विक्रम बख्शी ने बताया, ‘जनवरी महीने में हमारे कारोबार में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।’ भारत में मैकडॉनल्ड के दो सयुक्त उद्यम- एक तो बख्शी (कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट) के साथ उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र के लिए और दूसरे, अमित जटिया (हार्डकैसेल रेस्टोरेंट) के साथ पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों के लिए है।
दोनों कंपनियां विपणन, मेन्यू और आपूर्ति चेन प्रबंधन को लेकर एक साथ काम करती हैं। खुदरा परामर्शदाता टेक्नोपार्क के सहायक उपाध्यक्ष पूर्णेंदु कुमार ने बताया, ‘बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए मैकडॉनल्ड अब समय में बदलाव कर सकती है। साथ ही ग्राहकों को लुभाने के लिए सस्ते उत्पादों की बिक्री भी बढ़ा सकती है।’
मुनाफे का ठिकाना
साल 2003 में मैकडॉनल्ड ने फरीदाबाद में अपना पहला डेजर्ट कियोस्क खोला। यह उन ग्राहकों के लिए खोला गया था जो बहुत जल्दी में सामान की खरीदारी करने आए हों। इसके बाद मैकडॉनल्ड ने करीब 23 स्टोरों पर भी आइसक्रीम और पेय कियोस्कों की शुरूआत की।
उन कियोस्कों की व्यवस्था प्रवेश द्वार पर ही की गई ताकि ग्राहकों को आइसक्रीम और पेय पदार्थों की खरीदारी के लिए लाइन में इंतजार करने की जरूरत न पड़े। बख्शी के मुताबिक उन कियोस्कों के खोले जाने से स्टोर की बिक्री में 10 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई।
आज से छह साल पहले शुरू किए गए इस पहल से अब बख्शी उन कियोस्कों से और भी कई चीजों की बिक्री करना चाहते हैं। बख्शी ने बताया कि वे कुछ बैंकों के साथ भी समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि मैकडॉनल्ड स्टोरों पर एटीएम की व्यवस्था की जाए। इसके लिए मैकडॉनल्ड मासिक किराया लेगी।
निस्संदेह इससे कंपनी को कमाई एक दूसरा जरिया मुहैया हो जाएगा। बख्शी ने बताया कि 2010 तक भारत में 40 नए मैकडॉनल्ड रेस्टोरेंट खोले जाएंगे और भविष्य में उन स्टोरों में अनिवार्य रूप से एटीएम की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए करीब 150 करोड़ रुपये निवेश की आवश्यकता होगी।
होम डिलीवरी
2004 में मैकडॉनल्ड ने पहली बार दिल्ली में होम डिलीवरी की सेवा की शुरुआत की। शहरी इलाकों में तेज भागती जिंदगी और रेंगते ट्रैफिक के बीच होम डिलिवरी को काफी सफलता मिली। इसी के आलोक में मैकडॉनल्ड की डिलीवरी सर्विस या फिर मैकडिलीवरी का जन्म हुआ।
बख्शी के मुताबिक जिन स्टोरों से होम डिलीवरी की व्यवस्था की गई वहां बिक्री में 12 फीसदी की वृध्दि दर्ज की है। बख्शी ने बताया, ‘कुल मिलाकर कहे तो इससे हमारे कुल कारोबार में 6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।’ 30 स्टोरों में होम डिलीवरी की सेवा मुहैया कराए जाने से लागत में 3-5 फीसदी की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो जाती है। मैकडॉनल्ड इस काम के लिए कॉल सेंटर भी चला रही है। हालांकि विशेषज्ञों का माना है कि यह मॉडल बहुत फायदेमंद नहीं है।
मिले अतिरिक्त घंटे
छह महीनों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार दिल्ली सरकार ने रेस्टोरेंटों को रात के एक बजे तक खोले रखने को मंजूरी दे ही दी।
बख्शी ने बताया, ‘हम इस बात पर बहस कर रहे थे कि अगर पबों को देर रात खुले रखने को मंजूरी मिली सकती है तो भला रेस्टोरेंटों को क्यों नहीं।’
अंतत: रेस्टोरेंटों को भी सफलता मिल ही गई। अब चूंकि स्टोरों को 2 घंटे एक्सट्रा टाइम मिल रहा है, इस वजह से कमाई में करीब 4 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। बख्शी का एजेंडा है कि वे अन्य राज्यों में भी रेस्टोरेंटों को देर रात तक खुले रखने के लिए आवाज उठाएंगे।
ब्रेकफास्ट मेन्यू का कमाल
पिछले साल मैकडॉनल्ड ने यह पाया कि देश के विभिन्न शहरों में एक बहुत बड़ा तबका ब्रेकफास्ट का आदि है। उन्होंने एक रिसर्च से पाया कि शहरों में 18 फीसदी लोग घरों से बाहर जाकर अपनी इच्छा और सुविधा के हिसाब से खाना खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
दिसंबर 2008 में मैकडॉनल्ड ने यह फैसला किया कि वे ब्रेकफास्ट मेन्यू को एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू करेंगे। लिहाजा मैकडॉनल्ड ने मुंबई के पांच स्टोरों और दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में तीन जगहों पर ब्रेकफास्ट मेन्यू को शुरू किया।
दुनिया भर में मैकडॉनल्ड के लिए ब्रेकफास्ट एक बड़ा कारोबार है। उदाहरण के लिए यूरोप में ब्रेकफास्ट की शुरुआत 1980 में हुई थी। दक्षिण-पूर्वी एशिया में ब्रेकफास्ट के जरिए मैकडॉनल्ड को 12-15 फीसदी की अतिरिक्त कमाई होती है।
स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय मेन्यू को भारत के ग्राहकों के सामने परोसा जा रहा है। बख्शी ने बताया, ‘हमारे ग्राहक भारतीय व्यंजन की मांग नहीं करते हैं बल्कि वे लोकल टेस्ट के साथ इंटरनैशनल मैकडॉनल्ड फॉर्मेट की मांग करते हैं।’ मैकडॉनल्ड में चलने वाले ब्रेकफास्ट मेन्यू में खाने की सामग्री की कीमत 20 रुपये से लेकर 99 रुपये के बीच है। ये स्टोर सुबह 6 बजे खोल दिए जाते हैं।
