चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए केंद्र सरकार की उधारी योजना उन लोगों को चौंकाने वाली है जिनका अनुमान था कि महामारी के दौरान राज्यों के कर राजस्व में हुई कमी की भरपाई के कारण उधारी बढ़ेगी। सरकार ने वर्ष की पहली छमाही में 12.05 लाख करोड़ रुपये के ऋण अनुमान की जगह कुल 7.02 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। जबकि शेष 5.03 लाख करोड़ रुपये की राशि दूसरी छमाही में जुटाई जानी है। इसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की क्षतिपूर्ति के लिए ली जाने वाली उधारी भी शामिल है। सरकार ने पहले यह घोषणा की थी कि जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए चालू वित्त वर्ष में 1.6 लाख करोड़ रुपये की उधारी होगी। अब जबकि उधारी कार्यक्रम में जीएसटी क्षतिपूर्ति भी शामिल है तो कुल उधारी उससे कम ही रहेगी।
यदि सरकार लक्ष्य पर टिके रहने में कामयाब रहती है तो वित्तीय घाटे का अंतिम आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 फीसदी के अनुमानित स्तर से कम रहेगा। सरकार स्पष्ट रूप से राजस्व संग्रह में इजाफे और आर्थिक सुधार में स्थायित्व पर भरोसा कर रही है। उदाहरण के लिए चालू तिमाही में अग्रिम कर संग्रह में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 50 फीसदी इजाफा हुआ है।
हालांकि आधार प्रभाव के कारण आने वाले महीनों में कर संग्रह में वृद्धि धीमी रहेगी लेकिन कुल मिलाकर इसके मजबूत रहने की उम्मीद है। बहरहाल, जैसा कि वित्त सचिव ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, सरकार उस व्यय का भी भार वहन कर रही है जो वर्ष के आरंभ में उल्लिखित किया गया था। सरकार ने इस वर्ष के आरंभ में नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण योजना दोबारा शुरू की थी। इसकी लागत करीब एक लाख करोड़ रुपये आने की आशा है। उच्च उर्वरक सब्सिडी के आवंटन तथा निर्यात प्रोत्साहन के बकाये को भी बजट में समायोजित करना होगा। प्राप्तियों की बात करें तो सरकार विनिवेश के मोर्चे पर काफी पीछे रह जाने वाली है और दूरसंचार क्षेत्र को राहत प्रदान करने के कारण गैर कर राजस्व प्राप्तियों में कमी आएगी। परंतु संभव है कि सरकार सोच रही हो कि विनिवेश में सुधार होगा। अनुमान से बेहतर राजस्व संग्रह अतिरिक्त व्यय की भरपाई के लिए पर्याप्त होगा। ऐसे में अंतिम राजकोषीय आंकड़े मौजूदा हालात के अनुमानों की तुलना में काफी अलग हो सकते हैं। मंगलवार को बॉन्ड बाजार की प्रतिक्रिया में भी यह बात नजर आई। गैर कर राजस्व को लेकर चिंता है लेकिन उच्च कर संग्रह सरकार के लिए काफी राहत लेकर आएगा। यदि गैर कर राजस्व में भी सुधार होता है तो इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि की सहायता करने के लिए व्यय बढ़ाने और उधारी कम करने की सुविधा मिलेगी। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए भी राहत की बात होगी क्योंकि वह व्यवस्था में उच्च नकदी बरकरार रखे हुए है। मोटे तौर पर वह ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि सरकार को कम दर पर उधारी कार्यक्रम पूरा करने का अवसर मिले।
यदि राजकोषीय प्रदर्शन अनुमान से बेहतर रहता है तो आरबीआई को नकदी की स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी मुद्रास्फीति संबंधी निष्कर्षों को प्रभावित करेगी। मुद्रास्फीति की दर गत वित्त वर्ष के दौरान सहज सीमा से ऊपर थी और वह चार फीसदी के लक्ष्य से लगातार ऊपर है। चालू वर्ष की स्थिति के अलावा वित्तीय बाजार मध्यम अवधि के अनुमान पर भी नजर रखेंगे। मध्यम अवधि में राजकोषीय स्थिति काफी हद तक आर्थिक सुधार की मजबूती और उसके टिकाऊ होने पर निर्भर होगी। फिलहाल यह अनिश्चित है।
