रिटेल बैंकिंग के जोर पकड़ने के बाद ही बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों ने विज्ञापन देना शुरू किया।
विज्ञापनों के जरिये ये बैंक अपने आप को एक दूसरे से बेहतर दिखाने की कोशिश करते हैं। खासकर, वैल्यू ऐडेड यानी मूल्य वर्द्धित सेवाओं को लेकर ये अपने को एक दूसरे से बेहतर साबित करने के लिए वित्तीय क्षेत्र में डायरेक्ट मार्केटिंग विज्ञापनों ने खासा जोर पकड़ा है। वित्तीय संस्थान अब भावनात्मक विज्ञापनों और बेहतर सेवाओं का दावा करने वाले संदेशों के जरिये अपनी ब्रांडिंग करने पर लगे हैं।
नई पीढ़ी के ग्राहकों को लुभाने के लिए कई बैंकों ने री-ब्रांडिंग का रास्ता अख्तियार कर लिया है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस कवायद में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही आगे हैं। यूटीआई बैंक तो ऐक्सिस बैंक में तब्दील हो ही गया है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी तगड़ा प्रचार अभियान छेड़ा हुआ है।
यूनियन बैंक की पंचलाइन है ‘गुड पीपल टू बैंक विद’। यूनियन बैंक में पर्सनल बैंकिंग और कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन के महाप्रबंधक श्रीनिवास गोविंदन कहते हैं, ‘हमने युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए ही अपने ब्रांड कम्युनिकेशन और लोगो को बदला है।
इस परिवर्तन के जरिये हम संदेश देना चाहते हैं कि बैंक में अंदरूनी स्तर पर कुछ सकारात्मक बदलाव किए गए हैं और अब ग्राहकों को पहले से भी ज्यादा बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगी। हमारा कैंपेन भरोसे पर आधारित है। इसके जरिये ग्राहक बैंक के और करीब आए हैं। कैंपेन में हम ग्राहकों के लिए बेहतर सुविधाएं देने का भरोसा जगा रहे हैं।’ मुद्रा मैक्स के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक चंद्रदीप मित्रा कहते हैं, ‘प्राइवेट बैंकों के पास भी अपनी ब्रांड इमेज बनाने के लिए यह एकदम सही वक्त है।’
छवि बदलने को बेकरार हैं बैंक
आईडीबीआई बैंक भी अपनी पुरानी इमेज को बदलने के लिए पूरी कोशिशें कर रहा है। अपने अभियान के जरिये बैंक यह जताना चाहता है कि बैंक केवल बड़े प्रोजेक्ट के लिए ही नहीं है। आईडीबीआई का नया नारा है ‘बड़े-छोटे सबके लिए।’
बैंक के नये विज्ञापन में एक छोटा और बड़ा हाथी नजर आ रहा है। जिसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि चाहे आपका प्रोजेक्ट छोटा हो या बड़ा, आईडीबीआई आपकी सहायता के लिए तैयार है। अपने विज्ञापन के जरिये बैंक रिटेल बैंकिंग में अपनी दमदार मौजूदगी के बारे में भी संदेश दे रहा है।
आईएनजी वैश्य ने भी अपने ऑरेंज एकाउंट के प्रचार के लिए जबरदस्त अभियान छेड़ा हुआ है। बैंक के ऑरेंज एकाउंट में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में मसलन, आप इस एकाउंट के जरिये किसी भी बैंक से पैसे निकाल सकते हैं, वगैरह-वगैरह।
दरअसल, वित्तीय क्षेत्र में किए जा रहे विज्ञापनों के जरिये ग्राहकों को उनकी जरूरतों की पड़ताल कराई जा रही है। विज्ञापन बता रहे हैं कि आपकी जरूरत क्या है? और उस जरूरत के लिए आपके लिए सबसे फायदेमंद कौन है? यह सब अब विज्ञापन तय करा रहे हैं। ये सूचनाएं मुहैया करा रहे हैं और फैसला लेने में मददगार साबित हो रहे हैं।
ब्रांड सलाहकार हरीश बिजूर कहते हैं, ‘भावनात्मक अपील ग्राहक को ज्यादा प्रभावित करती है। मौजूदा दौर में वित्तीय संस्थानों के विज्ञापन अनिश्चितता के दौर में मददगार सािबत हो रहे हैं। ‘
बीमा कंपनियां भी मिला रही हैं ताल
बीमा कंपनियां भी प्रचार अभियान की मुहिम में किसी भी लिहाज से पीछे नहीं हैं। मैक्स न्यू यॉर्क लाइफ (एमएनवाईएल) ने भी ‘करो ज्यादा का इरादा’ के जरिये अपने अभियान को हवा दे रखी है। कंपनी के विज्ञापन संदेश दे रहे हैं कि उसके साथ जुड़कर आपका आने वाला कल और भी अच्छा और सुरक्षित हो जाएगा।
मैक्स न्यू यॉर्क ने नई प्रचार रणनीति तैयार की है। और यह अपनी कारोबारी दर्शन के जरिये संभावनाओं और नए रास्ते तलाश कर रही है। वैसे, कंपनी का कहना है ‘करो ज्यादा का इरादा’ से उसको फायदा पहुंचा है। इसी तरह इफ्को-टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (आईटीजीआई) ने भी हाल ही में अपना ‘मुस्कुराते रहो’ वाला विज्ञापन जारी किया है।
कंपनी संदेश देना चाहती है कि जोखिम और तनाव के इस माहौल में वही आपके लिए सही राह तैयार कर सकती है। इस विज्ञापन में कंपनी के ब्रांड ऐंबेसडर परेश रावल नजर आ रहे हैं जो अल्बर्ट पिंटो के रूप में कंपनी के उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
वहीं बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान आईसीआईसीआई के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं। विज्ञापन में किंग खान, बैंक के साथ अपने भावनात्मक जुड़ाव करते दिख रहे हैं और उसमें अपनी पूरी आस्था जता रहे हैं।
लेकिन इस विज्ञापन में बैंक की ब्रांड विश्वसनीयता से ज्यादा शाहरुख की स्टार वैल्यू ज्यादा दिख रही है। कुछ भी हो अब बीमा कंपनियां हों या बैंक सभी विज्ञापनों के जरिये भी एक दूसरे को मात देने में लगे हैं।