चीन की अचल संपत्ति कंपनी एवरग्रैंड की संभावित विफलता को लेकर पश्चिमी टीकाकारों की बातों में उल्लास महसूस किया जा सकता था। चीन के लोगों को पता था कि यह होने वाला है। चीन ने वृद्धि का जो चमत्कार हासिल किया वह काफी समय से कर्ज पर आधारित था। अब उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ रही थी।
एवरग्रैंड की समस्या शुरू होने के करीब दो सप्ताह बाद कंपनी तीसरे दौर के बॉन्ड भुगतान करने में चूक गई। लेकिन कंपनी के व्यापक वित्तीय तनाव को लेकर बहुत अधिक चिंता नहीं जताई जा रही। चीन की अर्थव्यवस्था के पतन की भविष्यवाणी करना कोई नई बात नहीं है। टीकाकार हमें दशकों से बता रहे हैं कि चीन के ऋण का बुलबुला बस फटने वाला है। पहले सरकारी दबदबे वाले बैंकिंग तंत्र मेंं सरकारी ऋण को ही कर्ज का रूप दिया जाता था। जानकारों ने हमें आसन्न बैंकिंग संकट की चेतावनी दी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय चीन केे बैंक संकट से उबरने में कामयाब रहे।
बाद में वह कॉर्पोरेट कर्ज के सहारे आगे बढ़ा, खासतौर पर उसका अचल संपत्ति क्षेत्र। आवास की आपूर्ति ने मांग को पीछे छोड़ दिया। ऐसे में कर्ज चुकता करने की क्षमता समाप्त हो गई और अचल संपत्ति क्षेत्र में देनदारी में चूक और दिवालिया होना अपरिहार्य हो गया।
चीन के सकल घरेलू उत्पाद में अचल संपत्ति क्षेत्र की हिस्सेदारी 25 फीसदी से अधिक है। विशेषज्ञों का कहना था कि एवरग्रैंड की दिक्कतों का चीन की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर संकट में बदलना तय था। अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान में कई लोगों को आशा होगी कि ऐसा संकट चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को रोकने का काम करेगा। बहरहाल ऐसा नहीं होने जा रहा। चीन में लीमन ब्रदर्स जैसा संकट नहीं आया है जहां एक कंपनी की नाटकीय नाकामी ने पूरी विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया था।
अचल संपत्ति क्षेत्र या शेयर बाजार का संकट पूरी अर्थव्यवस्था के संकट में तब्दील हो यह आवश्यक नहीं है। ऐसा कोई संकट तभी व्यवस्थागत प्रभाव डाल पाता है जब इसकी वजह से विभिन्न बैंक नाकाम हों और बैंकिंग संकट पैदा हो जाए।
वर्ष 2007 के वित्तीय संकट में बुनियादी वृहद आर्थिक असंतुलन काम कर रहे थे। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर संकट इसलिए उत्पन्न हुआ क्योंकि लीमन ब्रदर्स को विफल हो जाने दिया गया। एवरग्रैंड के साथ ऐसा होने की संभावना नहीं है क्योंकि एक तो चीन का बैंकिंग क्षेत्र अच्छी स्थिति में है और दूसरा सरकार इसके प्रभाव को फैलने से रोकने का हरसंभव प्रयास करेगी।
चीन के बैंकिंग क्षेत्र के आंकड़े कई अन्य देशों से बेहतर हैं। जून 2021 में कुल ऋण में फंसे कर्ज की हिस्सेदारी केवल 1.8 फीसदी थी जो कोविड काल में बहुत बेहतर है। परिसंपत्ति पर प्रतिफल 0.83 फीसदी और इक्विटी पर प्रतिफल 10.4 फीसदी था। यह भी स्वीकार्य स्तर है। आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो प्रॉविजनिंग कवरेज अनुपात 193 फीसदी है लेकिन यह गत कई वर्षों से इसी स्तर पर है। इससे संकेत मिलता है कि चीन के बैंकों ने पश्चिमी टीकाकारों के पूर्वानुमानों को गंभीरता से लिया और आक्रामक तैयारी की। चीन के पास आज इतनी राजकोषीय गुंजाइश है कि वह जरूरत पडऩे पर कंपनियों को उबार सके। चीन का सार्वजनिक ऋण-जीडीपी अनुपात करीब 70 फीसदी है जो महामारी के बाद दौर में ठीक है। प्रशासन पूरी कोशिश करेगा कि अचल संपत्ति क्षेत्र का संकट बैंकिंग जगत अथवा अर्थव्यवस्था को अस्थिर न करे। वह ऐसी कंपनियों को चुनेंगे जिन्हें नाकाम होने दिया जाएगा। जिन कंपनियों के बचने की आशा होगी वे उनकी देनदारियों का पुनर्गठन करेंगे और उनमें पूंजी डालेंगे।
एशियाई विकास बैंक के प्रमुख ने जब यह कहा कि चीन के पास एवरग्रैंड समूह के कारण वैश्विक संकट उत्पन्न होने से रोकने के लिए पर्याप्त बचाव और नीतिगत उपाय हैं तो उनका तात्पर्य शायद यही था। चीन की अर्थव्यवस्था में जो कुछ हो रहा है वह मोटे तौर पर उसके नेतृत्व की ओर से तय प्रक्रिया के अनुरूप ही हो रहा है। उनका निष्कर्ष है कि कर्ज के माध्यम से अचल संपत्ति क्षेत्र के दम पर आ रही तेजी ठीक नहीं है। चीन अर्थव्यवस्था को नए सिरे से व्यवस्थित कर रहा है जहां अचल संपत्ति क्षेत्र की भूमिका कम होगी।
इसी तरह फिनटेक कंपनियों पर लगाम लगाई जा रही है क्योंकि चीन का सत्ताधारी दल सोशल मीडिया समेत इंटरनेट पर नियंत्रण रखना चाहता है। एडुटेक कंपनियों के खिलाफ हुई कार्रवाई शिक्षा के क्षेत्र में समान परिस्थितियां पैदा करने की कोशिश का नतीजा थीं। यदि इन प्रयासों के कारण मंदी आती है तो शायद चीन का नेतृत्व इसके लिए तैयार है। आने वाले वर्षों में चीन में 7-8 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर रहने की संभावना नहीं है। वहां 5-6 फीसदी की वृद्धि दर जरूर बरकरार रह सकती है। उस स्थिति में भी चीन अहम शक्ति बना रहेगा।
आईएमएफ में उथल पुथल
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा अपना पद बचाने में सफल रही हैं। वह उन आरोपों से बच निकलने में कामयाब रहीं जिनमें कहा गया था कि विश्व बैंक में सीईओ के पद पर रहते हुए उन्होंने अपने अधीनस्थों पर आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ करने का दबाव डाला था। आरोप के मुताबिक यह छेड़छाड़ विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रिपोर्ट में चीन की स्थिति मजबूत करने के लिए की गई। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि जॉर्जिएवा की ओर से कदाचरण के कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्री जैनेट येलन जो जॉर्जिएवा की पुरानी सहकर्मी रही हैं, ने कहा है कि आईएमएफ प्रमुख के कदमों पर नजर रखी जाएगी।
जो लोग आईएमएफ और विश्व बैंक को उनकी नाकामियों के बावजूद उपयोगी मानते हैं वे राहत की सांस लेंगे। हाल के समय में आईएमएफ अपने प्रमुखों के मामले में खुशकिस्मत नहीं रहा है। फ्रांस की एक अदालत ने जॉर्जिएवा की पूर्ववर्ती प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड को करदाताओं का पैसा एक कारोबारी को देने के मामले में लापरवाही का दोषी पाया है। हालांकि उन्हें कोई सजा नहीं दी गई। लेगार्ड के पहले आईएमफ मुखिया रहे डॉमिनिक स्ट्रास कान ने यौन हमले के आरोप के बाद इस्तीफा दिया था। एक अन्य प्रबंध निदेशक रॉड्रिगो राटो को आईएमएफ छोडऩे के बहुत बाद में गबन का दोषी पाया गया।
आईएमएफ के प्रमुख का पद यूरोप के लोगों के लिए आरक्षित है जैसे विश्व बैंक के प्रमुख के पद पर अमेरिका का दबदबा है। कुछ लोग कहेंगे कि हालिया यूरोपीय प्रमुखों से जुड़े अनुभव के बाद आईएमएफ के बोर्ड को चयन का दायरा बढ़ाना चाहिए। कुछ अन्य लोग कहेंगे कि समस्या राष्ट्रीयता में नहीं है, वित्तीय मामलों में इतनी ऊंची जगह पर बहुत ज्यादा आगापीछा करने की गुंजाइश नहीं।
