‘क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आखिर क्यों अमुक फीचर आपके उत्पादों में नदारद है?’ मैंने एक विश्वप्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनी के भारत कारोबार के प्रमुख से पूछा। उनका जवाब था, ‘यह गोपनीय है।’ मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि कहीं वह मेरी टांग तो नहीं खींच रहे हैं। मैंने उनके चेहरे पर करीबी नजर डाली और देखा कि वह अत्यंत सम्मानपूर्वक मुस्करा रहे थे। मैंने उनसे पूछा, ‘क्या आप मुझे बता सकते हैं देश में कौन सी प्रतिष्ठित कंपनियां वे उत्पाद इस्तेमाल कर रही हैं।’ उन्होंने दोबारा उसी मुस्कान के साथ मुझसे कहा कि यह बात गोपनीय है। उन्होंने आगे मुझसे कहा, ‘महोदय आपको नतीजे पर पहुंचने के लिए जिन आंकड़ों की आवश्यकता है वे सभी हमारी वेबसाइट पर मौजूद हैं।’
जल्दबाजी में उनसे विदा लेने के बाद मैंने स्वयं को गहन चिंतन में पाया। क्या दुनिया भर में अपना दबदबा रखने वाली इन बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने, जहां उक्त अधिकारी कार्यरत थे, इतने वरिष्ठ अधिकारियों को भी अपने उत्पादों की तकनीकी जानकारी हम जैसे बड़े संभावित ग्राहकों को देने से रोक दिया है? क्या ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी को यकीन नहीं है कि वे गलती नहीं करेंगे? या फिर ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि मेरे जैसे संभावित ग्राहकों को अपनी कंपनी की वेबसाइट पर ले जाकर वे खरीदारी के लिए अधिक प्रेरित कर सकते हैं। या फिर कम से कम पूरी नहीं तो भी ट्रायल ऑर्डर करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
मैंने पाया कि मेरे विचार अमेरिका के एक चर्चित नाटक से मेल खाते हैं जिसे मैंने हाईस्कूल के दिनों में पढ़ा था। वह नाटक था ऑर्थर मिलर का डेथ ऑफ अ सेल्समैन। नाटक का शीर्ष पात्र विली लोमान 63 वर्ष का है और वह न्यूयॉर्क में घूम-घूमकर सामान बेचने का काम करता है। वह सपना देखता है कि वह एक दिन बहुत संपत्ति कमाएगा और आजाद होगा। वह यह भी मानता है कि इस सफलता को हासिल करने के लिए जरूरी है कि सभी उसे पसंद करें। परंतु उसका यह भी विश्वास है कि लोग उसे उतना पसंद नहीं करते हैं जितना सफल होने के लिए आवश्यक है। मेरे जैसा स्कूली बच्चा भी इसके त्रासद अंत को पढ़कर स्तब्ध रह गया था जब विली का मित्र चार्ली उसके अंतिम संस्कार में उसकी तारीफ में कहता है, ‘कोई इसे दोष नहीं दे सकता। तुम नहीं समझते: विली एक सेल्समैन था। और एक सेल्समैन के लिए जीवन के निचले स्तर की कोई सीमा नहीं है। वह किसी नट में बोल्ट नहीं लगाता, वह आपको कानून नहीं बताता, दवाई नहीं देता। वह एक अप्रत्याशित व्यक्ति है मुस्कराता हुआ अपने चमकते जूतों में और जब उसकी मुस्कान बंद हो जाती है तो सबकुछ छिन जाता है।’
हालांकि इस नाटक को सन 1950 के दशक में अमेरिका और शेष विश्व में जबरदस्त सफलता मिली। कारोबारी दुनिया में मुस्कराते और सजधज वाले सेल्समैन को सफलता के लिए अहम माना जाता रहा। आजादी के बाद के भारत में ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबदबे के बीच कारोबारी जीवन में सफलता का अर्थ था पब्लिक स्कूल और क्रिश्चियन कॉलेज में पढऩा और जिमखाना क्लब का सदस्य होना। इसके अलावा ऐसे ग्राहकों से निपटना जो प्राय: उसी परिदृश्य से आते जिससे कि आप।
कुछ क्षेत्रों मसलन शेयर ब्रोकिंग, परिसंपत्ति प्रबंधन, स्वागत, यात्रा और भर्ती आदि में सन 2000 के दशक में भी इस कौशल को बहुत अहमियत दी जाती है। अच्छी मुस्कान और सजधज इन क्षेत्रों में अभी भी आपको काम दिलाते हैं और आपकी पहुंच इस क्षेत्र के ऐसे लोगों तक सुनिश्चित करते हैं जो आपके साथ खुशी-खुशी काम करना चाहें। वरिष्ठ कार्यकारी पदों पर बैठे ऐसे ही तमाम लोगों ने देखा कि कैसे तकनीकी बदलाव ने ब्रिटिश स्वामित्व वाली एकाधिकारवादी कंपनियों का क्षय किया और पारंपरिक भारतीय कारोबारी समूहों ने इन कंपनियों के कार्यालयों और कारखानों की जमीन पर नजर जमाई।
इसके बाद इंटरनेट का विकास हुआ। राजनेताओं ने पत्रकारों की मदद लेने के बजाय ट्विटर जैसी सोशल मीडिया वेबसाइटों पर खुद पोस्ट करना आरंभ कर दिया। बाजारविदों ने बंबई जिमखाना तथा ऐेसे ही अन्य क्लबों में ड्रिंक के साथ कारोबारी सौदे करने के बजाय गूगल तथा उसके जैसे अन्य शेयर बाजारनुमा प्लेटफॉर्म की मदद से खरीदारी करना या विज्ञापन देना शुरू कर दिया।
इस पूरे विकासक्रम के समांतर ही यह आकांक्षा भी बढ़ी कि आपको ऑनलाइन मार्केटिंग के प्रयासों की बदौलत किस तरह का भुगतान किया जाता है। सन 1990 के दशक के आरंभ से 2000 के दशक के आरंभ तक ऑनलाइन बिक्री/मार्केटिंग के शुरुआती दौर में वेबसाइटों को शायद ही विज्ञापन दिखाने के लिए कुछ भुगतान किया जाता था। इसके लिए बताना पड़ता था कि उस विज्ञापन को आपकी वेबसाइट पर कितने लोगों ने देखा। बाद में इसे और कठिन बना दिया गया और मानक यह हो गया कि किसी व्यक्ति ने कितनी बार विज्ञापन पर क्लिक किया।
इसके पश्चात नया मानक यह आया कि भुगतान तभी किया जाएगा जबकि उस विज्ञापन को देखने वाला व्यक्ति अपना नाम, मोबाइल नंबर आदि देगा। इस समय जबकि मैं यह आलेख लिख रहा हूं अब यह मानक और भी कड़ा हो चुका है: उदाहरण के लिए कई वाहन निर्माता कंपनियां विज्ञापन का पैसा तभी देती हैं जब विज्ञापन देखकर फॉर्म भरने और अपनी व्यक्तिगत जानकारी देने वाला व्यक्तिवास्तव में शोरूम जाकर वाहन की टेस्ट ड्राइव लेता है।
विपणन और सेल्स के काम में पेशेवर रुख की शुरुआत सन 1960 के दशक के आखिर में हुई और जागरूकता, रुचि, इच्छा और पहल जैसी चीजों को विपणन और बिक्री के क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवर प्रबंधकों के लिए बुनियादी गुण माना जाने लगा। डेथ ऑफ अ सेल्समैन पहचान गंवाने की समस्या और एक व्यक्ति की अपने और समाज के बदलाव के स्वीकार न कर पाने की बात को रेखांकित करता है। क्या ऐल्गरिदम (कलन विधि) आधारित इंटरनेट बिक्री की प्रक्रिया मात्रात्मकता की विचारधारा की ओर और अधिक बढ़ाएगा या फिर यह उन स्त्री-पुरुषों को अंतिम झटका देगा जो दशकों से वह संपत्ति और आजादी हासिल करते रहे हैं जो विली लोमान चाहता था। जबकि उसके पास अगर कुछ था तो सजधज और मुस्कान।
(लेखक इंटरनेट उद्यमी हैं)