अगस्त से ही देश की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था ने अवसर पर खरा उतरने की असाधारण काबिलियत प्रदर्शित की है। इस दौरान कुछ दिनों में तो रोज कोविड-19 टीके की 80 लाख से एक करोड़ तक खुराक भी लगीं। कुल मिलाकर अगस्त में टीकाकरण की गति अच्छी रही और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 18 करोड़ लोगों को टीके लगे जबकि जी 7 देशों में मिलाकर 10.1 करोड़ खुराक दी गईं।
चीन को छोड़ दिया जाए तो रोज लगने वाली खुराक के मामले में भारत ब्राजील से आगे है। इन आंकड़ों को लेकर गर्व किया जाना कुछ हद तक उचित है लेकिन तथ्य यह है कि भारत को संपूर्ण वयस्क आबादी को टीका लगाने में अभी लंबा सफर तय करना है। कुल आंकड़े प्रभावित करते हैं। देश में 10 सितंबर तक 72.5 करोड़ लोगों को टीके लग चुके थे। कुल 40 फीसदी लोगों को टीके की एक खुराक लगी है जो मजबूत सुरक्षा नहीं देती। केवल 12.5 फीसदी लोगों को दोनों खुराक लगी हैं। इस तरह देखें तो सरकार जून तक एक तिहाई आबादी का पूर्ण टीकाकरण करने के लक्ष्य से काफी पीछे है। जाहिर है ये आंकड़े बताते हैं कि यदि भारत को 2022 की पहली छमाही तक पूर्ण टीकाकरण करना है तो उसे अगस्त की टीकाकरण की गति को बरकरार रखना होगा। केरल उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह कोविन पोर्टल में बदलाव करे ताकि लोग टीके की दूसरी खुराक 84 दिन के बजाय चार सप्ताह में (सशुल्क केंद्रों पर) लगवा सकें। यदि ऐसा किया गया तो टीकाकरण की गति में और अधिक तेजी आएगी। हकीकत तो यह है कि भारत ने ज्यादा टीके लगाने की संस्थागत क्षमता प्रदर्शित की है और ऐसे में सरकार अगर पहली और दूसरी खुराक के बीच का अंतर कम कर सके तो बेहतर होगा। बहरहाल, टीकाकरण में तेजी लाना कोविड-19 से मुकाबले का केवल एक हिस्सा है। पर्याप्त आईसीयू बेड और ऑक्सीजन मुहैया कराने, चिकित्सा क्षेत्र का बुनियादी ढांचा मजबूत करने आदि जैसी बातों पर भी तत्काल ध्यान देना होगा। अब विशेषज्ञों ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वायरस अपना स्वरूप बदलता रहेगा और यह बीमारी स्थानीय बन जाएगी और सामूहिक प्रतिरक्षा हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि समय रहते इस संभावित आपात स्थिति की तैयारी शुरू कर दें। यह बात ध्यान देने लायक है कि देश को टीकाकरण को किफायती स्तर तक पहुंचाने के लिए नियमों में कुछ बदलाव करने पड़े और इन सब में आठ महीने का वक्त लगा। जो कमियां थीं भी उनकी वजह थी सरकार की कमजोर तैयारी। दुनिया का सबसे बड़ा टीका आपूर्ति वाला देश होने के बावजूद भारत ने जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत के समय बहुत कम टीकों का ऑर्डर दिया। जबकि कई अन्य देशों ने नवंबर में ही बड़े-बड़े ऑर्डर दे दिए थे। इतना ही नहीं पड़ोसी मुल्कों को टीके देकर टीका कूटनीति की शुरुआत भी कर दी गई। अब सरकार दवा उद्योग के साथ मिलकर कोविड-19 के कई स्वरूपों पर काम करने वाली औषधि विकसित कर रही है। एक दवा कंपनी को डीएनए प्लाज्मिड टीका बनाने की मंजूरी मिल चुकी है।
ये अग्रसोची कदम हैं जिनकी मदद से ही देश की आबादी को कोविड-19 से स्थायी रूप से बचाव दिलाया जा सकता है। परंतु अनुभव बताते हैं कि इरादे और क्रियान्वयन में काफी अंतर हो सकता है। सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि विनिर्माण क्षमताएं और आपूर्ति प्रणाली की परीक्षा हो और आबादी को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके ताकि दूसरी लहर की त्रासदी न दोहराई जाए।
