Skip to content
  रविवार 29 जनवरी 2023
Trending
January 29, 2023IND Vs ENG Women U 19 World Cup : भारत ने जीता अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप, इंगलैंड को हरायाJanuary 29, 2023उत्तर प्रदेश में महंगी होगी शराब, दामों में फिर बढ़ोत्तरी करेगी सरकारJanuary 29, 2023वायु प्रदूषण के कारण पता करना होगा आसान, लॉन्च होगी सुपर साइट व मोबाइल वैनJanuary 29, 2023Adani Group को FPO के सफल होने का भरोसाJanuary 29, 2023पंत की कमी खलेगी लेकिन भारत को स्वदेश में हराना लगभग असंभव: चैपलJanuary 29, 2023यूपी: निजी इंडस्ट्रियल पार्कों में 75% से ज्यादा प्लॉट एसएमई कोJanuary 29, 2023Jobs: दिसंबर-2022 में गैर-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरियां बढ़ीं: रिपोर्टJanuary 29, 2023बीते साल विलय एवं अधिगहण, अन्य कॉरपोरेट सौदे महामारी-पूर्व के स्तर से पार : रिपोर्टJanuary 29, 2023आटे के बाद पाकिस्तान में पेट्रोल-डीजल भी महंगा, एक झटके में 35 रुपये लीटर बढ़ी कीमतेंJanuary 29, 2023Delhi में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मिलेगी रफ्तार, सड़क पर दौड़ेंगे 1,500 ई-स्कूटर
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  नए सुधारों के लिए जरूरी है केंद्र-राज्यों के बीच तालमेल
लेख

नए सुधारों के लिए जरूरी है केंद्र-राज्यों के बीच तालमेल

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —August 14, 2021 12:18 AM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

गत माह उन बड़े आर्थिक सुधारों का यशोगान किया गया जिन्हें नरसिंह राव सरकार ने तीन दशक पहले जुलाई 1991 में शुरू किया था। मीडिया में सरकार के नेताओं, अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने गत 30 वर्षों में सुधारों के सफर पर काफी कुछ लिखा। संक्षेप में कहें तो इन टिप्पणियों ने दो रुझानों को रेखांकित किया।
पहला, राव सरकार के शुरुआती 100 दिनों में व्यापार, उद्योग और राजकोषीय नीतियों को लेकर की गई जोरदार पहलों के रूप में हुए आर्थिक सुधारों के बाद मोटे तौर पर इनकी गति काफी ज्यादा धीमी रही है। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बाद की सभी सरकारों ने इन्हें जारी रखा। 

दूसरा, सुधारों और उनके क्रियान्वयन को लेकर विभिन्न सरकारों का रुख एक जैसा नहीं रहा है। यही कारण है कि संयुक्त मोर्चा सरकार ने तेजी से स्थिर और कम प्रत्यक्ष कर व्यवस्था पेश की जबकि वाजपेयी सरकार ने अप्रत्यक्ष कर सुधारों को धीमी गति से अंजाम दिया। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने अधिकार आधारित नीतिगत सुधार किए और ऐसे कानून बनाए जिन्होंने नागरिकों को सूचना, खाद्य, ग्रामीण कार्य और शिक्षा के क्षेत्र में पहुंच सुनिश्चित की।
मोदी सरकार निजीकरण की जरूरत को स्वीकारने में बहुत धीमी रही। वह कई वर्षों से एयर इंडिया के निजीकरण का प्रयास कर रही है और अब उसने सार्वजनिक क्षेत्र को लेकर एक नीति बनाई है जो गैर रणनीतिक क्षेत्र के कई सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की इजाजत देती है। परंतु केंद्र में सात वर्ष से होने के बावजूद उसने अब तक एक भी कंपनी का निजीकरण नहीं किया। इसके विपरीत वाजपेयी सरकार ने राजनीतिक विरोध के बावजूद एक दर्जन से अधिक सरकारी उपक्रम बेच दिए थे।

पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली शुरू की लेकिन क्रियान्वयन में कई कमियां रह गईं। अर्थव्यवस्था में बैलेंस शीट की दोहरे घाटे की समस्या दूर करने के लिए सरकार ने झटपट ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया निस्तारण कानून की शुरुआत की। हालांकि इस पहल का भी अब विरोध हो रहा है। दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मानक शिथिल किए लेकिन सुधारों को इस तरह अंजाम दिया गया कि पर्यवेक्षक उसे संरक्षणवादी और मनमाना मानते हैं। सरकार ने कई क्षेत्रों में आयात शुल्क बढ़ा दिया ताकि घरेलू उद्योग को कारोबार का उचित अवसर मिल सके तथा चुनिंदा क्षेत्रों में घरेलू निवेशकों को वित्तीय प्रोत्साहन मिले।
इन टीकाओं में एक पहलू गायब था और वह था यह आकलन कि आखिर क्यों विगत 30 वर्षों के आर्थिक सुधारों की पहुंच अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों तक सीमित रही। किसी ने भी इस बात का विस्तृत विश्लेषण नहीं किया है कि आखिर क्यों स्वास्थ्य और शिक्षा, कृषि, श्रम, भूमि, नियमन एवं चुनावी फंडिंग जैसे अहम सामाजिक क्षेत्रों में जरूरी सुधार या तो धीमे हैं या नदारद।

दूसरे दौर के सुधार आरंभ कर पाने में विफलता का स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि ये पहले दौर के नीतिगत बदलावों की तुलना में बहुत कठिन थे। मसलन 1991 के सुधारों में ऐेसे कदम उठाए गए जो आसान थे। व्यापार, उद्योग और राजकोषीय नीति में सुधार के लिए साहस और स्पष्ट दृष्टिकोण जरूरी था लेकिन वे सब केंद्र सरकार के अधीन थे। अब यदि निजीकरण में देरी हो रही है तो शायद इसलिए कि सरकार इसके राजनीतिक असर को लेकर हिचकिचा रही है। जबकि वाजपेयी सरकार ने उनका सामना किया था।
नियमन और चुनावी फंडिंग में सुधारों का नसीब भी ऐसा ही रहा। सरकारें विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्र नियामकीय संस्थाएं बनाने में विफल रहीं। चुनावी फंडिंग में भी सार्थक पहल नहीं हो सकी। 
बीते कई दशकों में नियामकीय संस्थाओं पर सेवानिवृत्त अफसरशाहों को काबिज कर दिया गया जो तत्कालीन सरकार के करीबी रहे। विभिन्न पंचाट और अपील पंचाट भी कमजोर हुई हैं और सदस्यों तथा चेयरपर्सन स्तर पर पद रिक्तियां लगातार बढ़ रही हैं। कई अपील पंचाट के काम को उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव भी है जबकि वे पहले से मामलों के बोझ तले दबे हैं।
चुनावी फंडिंग के कानून बदले हैं लेकिन हालात और बिगड़े हैं। चुनावी बॉन्ड से जुड़ा नया कानून राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे में अपारदर्शिता लाता है। विभिन्न चुनावी वर्षों के फंडिंग संबंधी आंकड़े बताते हैं सत्ताधारी दल को सबसे अधिक चुनावी चंदा मिलता है। संक्षेप में कहें तो इस सुधारों का लक्ष्य सीमित रहा है। नियामकों के लिए न तो मजबूत ढांचा बना है और न ही उनकी स्वतंत्रता बढ़ी है। चुनावी फंडिंग की प्रक्रिया भी पारदर्शी और पूर्वग्रह से मुक्तनहीं हुई है। 
परंतु सुधारों की कोशिश में अन्य प्रमुख क्षेत्रों की उपेक्षा निराश करने वाली है। दशकों की प्रतीक्षा और मंत्रणा के बाद मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों के जरिये सुधार पेश किए। महामारी के बीच इन कानूनों को संसद के जरिये पारित किया गया लेकिन उनका व्यापक इरादा और लक्ष्य अस्पष्ट रहा। इनके जरिये जो भी सुधार होने थे वे लंबे समय से लंबित थे। इसके बावजूद किसानों के लगातार विरोध और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इन कानूनों को स्थगित रखा गया है। नए श्रम कानून एक वर्ष से ज्यादा पहले पारित हुए थे लेकिन इनके लिए नियम बनाने और अधिसूचना जारी होने का काम बाकी है क्योंकि राज्य एकमत नहीं हैं।
अब मोदी सरकार ने बिजली क्षेत्र के अगले चरण के सुधारों की पेशकश की है। इसके तहत बिजली वितरण को लाइसेंसमुक्त किया जाना है। कुछ राज्यों ने पहले ही इसका विरोध किया है क्योंकि उन्हें लग रहा है कि यह राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर डालेगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण कानून को शिथिल बनाने की कोशिशों का तीव्र राजनीतिक विरोध हुआ था। बाद में वह पहल त्यागनी पड़ी।
भूमि, श्रम, कृषि और बिजली क्षेत्र के सुधारों के इस सफर से यह साफ है कि जब तक कोई बड़ा सुधार न हो, इन्हें अंजाम देना संभव नहीं है। इस सुधार को केंद्र और राज्यों के बीच मजबूत रिश्ते के निर्माण के साथ अंजाम देना चाहिए। इस दौरान ऐसे नीतिगत बदलाव के लिए सहयोग और मशविरे की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। याद रहे कि भारतीय संविधान केंद्र को इन क्षेत्रों में कानून बनाने का एकाधिकार नहीं देता। केंद्र जब भी इन क्षेत्रों में योजना बनाए उसे राज्यों से मशविरा करना चाहिए। 
जिस तरह जीएसटी को पेश किया गया उससे मिलने वाले सबक आसानी से नहीं भुलाए जा सकते। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मशविरा प्रक्रिया के जरिये इसे पेश किया था जिससे राज्यों को वस्तुओं और सेवाओं के कर की दर तय करने का अधिकार छोडऩे के लिए मनाया जा सका। ऐसी भावना दोबारा पैदा करनी होगी। जब तक केंद्र और राज्यों के बीच ऐसा विश्वास नहीं पनपता स्वास्थ्य, शिक्षा, भूमि, श्रम, बिजली और कृषि क्षेत्र के सुधार समस्याओं से घिरे रहेंगे और इनका विरोध और इनमें देर होती रहेगी। 

businessEconomistfiscal deficitIndustry
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

Related Posts

  • Related posts
  • More from author
आज का अखबार

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सवाल

January 27, 2023 10:14 PM IST0
आज का अखबार

उपभोक्ता धारणा में मजबूती जारी रहने की उम्मीद

January 27, 2023 10:01 PM IST0
आज का अखबार

राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर

January 27, 2023 9:38 PM IST0
आज का अखबार

संतुलित रुख जरूरी

January 25, 2023 10:12 PM IST0
अन्य

भारत में Covid-19 के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 1,842 हुई

January 28, 2023 11:15 AM IST0
अन्य

सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ शिकायतों पर गौर करने के लिए जीएसी अधिसूचित

January 28, 2023 9:12 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

नार्थ कोरिया को मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा साउथ कोरिया

January 27, 2023 7:46 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Covid 19 : साउथ कोरिया ने चीन से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध की अ‍वधि बढ़ाई

January 27, 2023 4:54 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी इकॉनमी में सुस्ती जारी, पर पिछली तिमाही में ग्रोथ रेट बढ़ा

January 27, 2023 10:10 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Nepal plane crash: सिंगापुर में होगी ब्लैक बॉक्स की जांच

January 27, 2023 9:57 AM IST0

Trending Topics


  • Stocks to Watch Today
  • FIH Hockey World Cup 2023
  • Gold Rate Today
  • Share Market Crash
  • Nepal plane crash
  • Adani Total Gas Limited
  • Air India
  • Pathaan Box Office Collection
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


IND Vs ENG Women U 19 World Cup : भारत ने जीता अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप, इंगलैंड को हराया

January 29, 2023 8:50 PM IST

उत्तर प्रदेश में महंगी होगी शराब, दामों में फिर बढ़ोत्तरी करेगी सरकार

January 29, 2023 8:14 PM IST

वायु प्रदूषण के कारण पता करना होगा आसान, लॉन्च होगी सुपर साइट व मोबाइल वैन

January 29, 2023 8:07 PM IST

Adani Group को FPO के सफल होने का भरोसा

January 29, 2023 7:40 PM IST

पंत की कमी खलेगी लेकिन भारत को स्वदेश में हराना लगभग असंभव: चैपल

January 29, 2023 6:59 PM IST

Latest News


  • IND Vs ENG Women U 19 World Cup : भारत ने जीता अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप, इंगलैंड को हराया
    by भाषा
    January 29, 2023
  • उत्तर प्रदेश में महंगी होगी शराब, दामों में फिर बढ़ोत्तरी करेगी सरकार
    by बीएस संवाददाता
    January 29, 2023
  • वायु प्रदूषण के कारण पता करना होगा आसान, लॉन्च होगी सुपर साइट व मोबाइल वैन
    by बीएस संवाददाता
    January 29, 2023
  • Adani Group को FPO के सफल होने का भरोसा
    by भाषा
    January 29, 2023
  • पंत की कमी खलेगी लेकिन भारत को स्वदेश में हराना लगभग असंभव: चैपल
    by भाषा
    January 29, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
59330.90 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स59331
-8741.45%
निफ्टी59331
-8740%
सीएनएक्स 50014875
-2971.96%
रुपया-डॉलर81.49
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.556.34
Bajaj Auto3937.705.93
Supreme Inds.2538.155.23
AIA Engineering2602.954.82
Emami438.954.52
Kajaria Ceramics1097.304.51
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.606.34
Bajaj Auto3936.755.90
Supreme Inds.2538.955.18
AIA Engineering2598.754.71
Kajaria Ceramics1097.554.66
Tata Motors-DVR225.154.58
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks to Watch TodayFIH Hockey World Cup 2023Gold Rate TodayShare Market CrashNepal plane crashAdani Total Gas LimitedAir IndiaPathaan Box Office CollectionUnion Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us