चंद्रयान-1′ की कामयाब उड़ान को हमेशा मुल्क के इतिहास में एक सुनहरे पल के रूप में याद किया जाएगा।
बुधवार की सुबह श्रीहरिकोटा से चांद की तरफ रुख करने वाले इस यान ने मुल्क को एक नए स्तर तक पहुंचा दिया है। इस तरह के प्रोजेक्टों को जब कामयाबी के साथ अमली जामा पहनाया जाता है, तो ये एक प्रतीक केरूप में लोगों के दिलों में घर बना लेती हैं।
इसका असर काफी दूर और देर तक महूसस किया जाता है क्योंकि ये मुल्क की तकनीकी क्षमता में इजाफे और संगठनों की कामयाबी को दिखलाती हैं। हो सकता है कि कई लोग इस भावना को नजरअंदाज कर दें, लेकिन भारत जैसे मुल्कों के लिए इन कामयाबियों की काफी अहमियत होती है।
दरअसल, भारत जैसे मुल्क आज भी विकास की सीढ़ियों को चढ़ रहे हैं। इसलिए उन्हें खुद पर भरोसा करना सीखना होगा। हाल ही में दुनिया ने ओलंपिक और चीनी अंतरिक्ष यात्री को स्पेस वॉक करते देख चीन की संगठनात्मक और तकनीकी ताकत को जाना। उसी तरह ‘चंद्रयान’ ने भी भारत को उसी के बारे में काफी कुछ समझा दिया।
अगर मुल्क के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम की बात करें, तो चंद्रयान को एक मील का पत्थर ही कहेंगे। भारत केवल छठा ऐसा मुल्क है, जिसने चांद की कक्षा में अपना कोई यान छोड़ा हो। पहले पांचों में से केवल अमेरिका, रूस और जापान ऐसे मुल्क हैं, जिनके झंडे चांद पर मौजूद हैं। अपना तिरंगा सिर्फ चौथा ऐसा झंडा है, जो चांद की सतह पर मौजूद होगा।
जाहिर सी बात है, इस बात की अहमियत केवल सांकेतिक हैं। दरअसल चांद किसी एक मुल्क का नहीं, पूरी इंसानियत का है। हालांकि यह चांद का रुख करने वाला दुनिया का 68वां मिशन है, लेकिन इसरो के लिए यह सिर्फ अपने अहम को संतुष्ट करने वाली बात नहीं है। दरअसल, यह ऐसी कई सवालों का जवाब ढूंढ रही है, जिनके बारे में पहले के मिशनों में ध्यान ही नहीं दिया गया।
यह चांद पर पानी की तलाश करेगा, जिसके बारे में अब तक किसी को कुछ पता नहीं है। साथ ही, यह चांद की सतह पर ऊर्जा के संभावित स्रोत वाले खनिजों, खास तौर पर हीलियम-3, की तलाश करेगा। ऊपर से, यह चांद के सतह का त्रिआयामी नक्शा भी तैयार करेगा। बड़ी बात यह है कि यह यान 2011 में चांद पर जाने वाले पहले हिंदुस्तानी के लिए जमीन भी तैयार करेगा।
इसका एक कारोबारी नजरिया भी है। इस उड़ान की मदद से इसरो को करोड़ों डॉलर के सैटेलाइटों के बाजारों में काफी मजबूती के साथ अपने पांव जमाने में जबरदस्त मदद मिलेगी। इसरो ने विदेशी ग्राहकों के लिए अब तो सैटेलाइटों को बनाने की शुरुआत भी कर दी है। बुधवार की कामयाबी के बाद अब उसके पास नए ऑर्डर आएंगे।
इस कारोबार में भारत के पास कम लागत का अच्छा खासा फायदा है। इसलिए हमें अपने मुल्क को सैटेलाइटों को बनाने और उन्हें छोड़ने के कारोबार में बड़ा नाम बनाने का पूरा अधिकार है। इसका इस्तेमाल सुरक्षा में भी किया जा सकता है।
वैसे, इस बारे में सरकार बात करने के लिए तैयार नहीं है। चंद्रयान मिशन का अनुभव भारत को अंतरिक्ष से नजर रखने और लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों के विकास में काफी मदद करेगा। हालांकि, इसकी मिशन की अभी तो शुरुआत भर हुई है। अभी तो चंद्रयान को लंबा रास्ता तय करना है।