देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों में एक और नगीना जुड़ गया। देश के वैज्ञानिकों के अथक प्रयास और देसी तकनीक की सहायता से भारत के पहले मानवरहित अभियान ‘चंद्रयान-1’ का सफल प्रक्षेपण हुआ।
साथ ही पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चंद्रमा के रहस्यों को सुलझाने वाले देशों में भारत भी छठे देश के रूप में शामिल हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख प्रक्षेपक वाहन पीएसएलवी सी-11 से चंद्रयान-1 का आज सुबह 6.22 मिनट पर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपण किया गया।
एसडीएससी के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपण के बाद ठीक 18 मिनट दो सेकेण्ड बाद यान पृथ्वी की ट्रांसफर कक्षा में पहुंच गया। पृथ्वी से न्यूनतम 250 किलोमीटर से अधिकतम 23,000 किलोमीटर की दूरी के बीच के स्थान को ट्रांसफर कक्षा का नाम दिया गया है।
इसरो के अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कहा ”प्रक्षेपण एकदम सटीक था। यह पीएसएलवी का उत्कृष्ट प्रदर्शन था। उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया गया है। इसके साथ ही हमने अभियान का पहला चरण पूरा कर लिया है। चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में 15 दिन लगेंगे।”
अगले दो सप्ताह में कुछ अन्य प्रक्रियाओं के बाद चंद्रयान-1 चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर दूर स्थित निर्दिष्ट गंतव्य तक पहुंच जाएगा। आठ नवंबर तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। अब वैज्ञानिकों का ध्यान बेंगलूर के पएन्या स्थित इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएससीआरएसी) पर केंद्रित है।
आईएससीआरएसी अगले दो वर्ष तक चंद्रयान-1 पर नजर रखेगा और इसका नियंत्रण करेगा। चंद्रयान-1 अपने साथ राष्ट्रीय ध्वज लेकर गया है जिसे मून इम्पैक्टर प्रोब चंद्रमा की सतह पर रखेगा।
चंद्रयान-1 अपने साथ 11 पेलोड लेकर गया है। इसमें दो उपकरण अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हैं जो चंद्रमा की सतह पर खनिज संसाधनों, बर्फ के भंडारों का पता लगाएंगे, ध्रुवीय क्षेत्रों को नापेंगे तथा चंद्रमा का त्रिआयामी नक्शा तैयार करेंगे।
चंद्रयान-1 चंद्रमा की सतह पर यूरेनियम के संभावित भंडारों का भी पता लगाएगा क्योंकि भारत अंतरराष्ट्रीय द्विपक्षीय परमाणु समझौतों के माध्यम से अपनी ऊर्जा क्षमता में वृध्दि करने के लिए तैयार है। इसरो प्रमुख जी माधवन नायर ने उम्मीद जताई कि भारत 2015 से पहले चंद्रमा पर मानव को भेजने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि इसरो के लिए अब अगला गंतव्य मंगल होगा।