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  लेख  व्यापार गोष्ठी: आतंकी हमलों से गिरेगी कारोबारी छवि?
लेख

व्यापार गोष्ठी: आतंकी हमलों से गिरेगी कारोबारी छवि?

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —December 7, 2008 11:21 PM IST0
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तार-तार हुई छवि


अमेरिका और यूरोप में छाई मंदी से देश का कारोबार तो बुरी तरह प्रभावित था ही, अब आतंकी हमलों से भारत की कारोबारी छवि तार-तार हो गई है।

सर्राफा बाजार में 1200 करोड़ रुपये का नुकसान व सेंसेक्स लुढ़कने से एफडीआई सहित बाजार में गिरावट से घरेलू कारोबार पर ग्रहण लग गया है। आतंकवाद पर नकेल कसी जाए तथा कारोबारी तंत्र को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

हर्ष वर्धन कुमार
विजय नगर, दिल्ली

साख पर बट्टा

देश की साख में बट्टा तो लगा ही है, लेकिन अब पुलिस, सेना, नौसेना और गुप्तचर एजेंसियों को आरोप-प्रत्यारोप करने और विफलता की टोपी पहनाने के बजाय एकजुटता दिखानी होगी। इन हमलों से भी यदि सबक लेकर आगे की तैयारी करें तो हम सुरक्षित माहौल तैयार कर सकते हैं।

 सरोजनी
मलाड, मुंबई

थोड़ा है असर

मुंबई में आतंकी हमला निश्चय ही राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाती है लेकिन इसके बाद भी देश की कारोबारी छवि पर केवल अल्प एवं अल्पकालीन प्रभाव ही पड़ेगा और इसे भी दूर करने में भारत जल्दी ही सफल होगा।

वैश्विक मंदी के चलते भारत जैसे विशाल बाजार एवं विगत दशक में उसकी उभरी आर्थिक ताकत की उपेक्षा केवल इस हमले से संभव नहीं है। हालांकि वैश्विक स्तर पर सहयोग के संकेत सही हैं।

डॉ. जी. एल. पुणताम्बेकर
रीडर, वाणिज्य विभाग, सागर, मप्र


आर्थिक हमला

यह हमला सिर्फ देश की आर्थिक राजधानी में नहीं बल्कि हमारे स्वाभिमान, साख और सहनशीलता पर हुआ है। बड़े होटलों में हमला करके भारत में आने वाले विदेशी मेहमानों के मन में डर भरने का इरादा है, जिसे भारत की छवि खराब हो सके और बाहर से आने में लोग डरे। यह अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की एक साजिश है।

तिलकधारी यादव
कलवा, ठाणे

विश्वास रखें

यह सही है कि इतने बड़े देश में मुंबई हमारी अर्थव्यवस्था का दिल है। पर वह पूरा हिन्दुस्तान नहीं है। भारतीयों के मेहमाननवाजी और हमारे दोस्ताना रवैये की वजह से लोग हम पर हमेशा से विश्वास करते रहे हैं।

बस हमें विश्वास को बरकरार रखना है। मुंबई पर आतंकी हमले से भारत की कारोबारी छवि पर कोई व्यापक नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। हमारे मुल्क की उदार छवि काफी समय से बनी आई है। इस कारण पूरा विश्व समुदाय हमारे साथ है।

विवेक कुमार राय
223, रचना नगर, भोपाल


साख तो गिरी

भारत के कारोबार की साख विश्वव्यापी मंदी के साथ ही साथ मुंबई के आतंकी हमलों से भी काफी गिरी है।

कॉरपोरेट जगत अपने सर्वोत्कृष्ट मानव संसाधन को आतंकवाद की भेंट नहीं चढ़ाना चाहता है इसलिए देशी और विदेशी कारोबारियों ने भारत से दूर रहना चालू कर दिया है।

परिणामस्वरूप पर्यटन उद्योग 30 फीसदी गिर गया है। रुपया पच्चीस पैसे टूट गया है। विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो रहे हैं। ये सभी साख में भारी गिरावट के लक्षण हैं।

कुसुमलता (अर्थ-चिंतिका)
बीकानेर, राजस्थान


भारत में है दम

मुंबई में हुए आतंकी हमले ने कारोबारियों के साथ-साथ आम आदमी को भी बुरी तरह झकझोर दिया है। इससे आहत हुए उद्यमियों को संभलने में काफी पैसा और समय लगेगा।

फिर भी भारतीय कारोबार की नींव बहुत मजबूत है।  भारतीय अर्थव्यवस्था में अब भी इतना दम है कि वह विश्व में अपनी विदेश पहचान बनाए रखेगी।

ताहिरा खानम
छात्रा, एमए (अर्थशास्त्र), जमशेदपुर


ज्यादा दिन नहीं

आतंकी हमलों का सबसे ज्यादा असर निर्यात कारोबार पर पड़ेगा। ताज और ओबरॉय जैसे प्रतिष्ठित होटलों में आतंकियों के हमले से होटल, पर्यटन और विदेशी व्यापार काफी प्रभावित होगा।

वैश्विक समर्थन को देखते हुए कहा जा सकता है कि इससे देश की छवि तो खराब हुई है लेकिन इसका असर ज्यादा दिन तक नहीं रहने वाला है।

गणेश गुप्ता
अध्यक्ष-एफआईईओ, मुंबई


भरपाई मुश्किल

आर्थिक हितों पर इस आतंकी हमले से चोट पहुंची है और इस नुकसान की भरपाई मुश्किल भी है। आज हमारा देश उन देशों में शुमार हो गया है, जहां आतंक के खतरे सबसे ज्यादा हैं। जाहिर है ऐसे देशों में निवेश करने में विदेशी उद्यमी कतराते हैं।

बड़ी मुश्किलों से भारत में जो निवेश का माहौल बना था, उसे आतंकी हमले कर दहशतगर्दों ने मात देने की कोशिश की है। पर गिर कर संभालना हमारी फितरत रही है और इस बार भी यही होगा। संकट की घड़ी में देश के लोग एकजुट हो गए हैं।

जितेंद्र खन्ना
एलारसिन फार्मा, लखनऊ


फौरी असर पड़ेगा

भारत एक मजबूत देश है और बावजूद इसके कि यहआतंकी हमला अब तक का सबसे बड़ा हमला है। हालांकि इससे केवल फौरी असर ही पड़ेगा। आशा है कि देश का तंत्र लोगों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब होगा कि आर्थिक हित सुरक्षित है और आगे ऐसे हमलों को दोहराना आसान नहीं होगा।

जहां तक हमलों का सवाल है तो अमेरिका पर इससे कहीं ज्यादा खतरनाक हमला हुआ पर उसकी साख में बट्टा नहीं लगा और वहां का कारोबार प्रभावित नहीं हुआ। हमारे राजनेता भी अमेरिका से सबक लें।

रोली सिंह
निदेशक, एंपायर प्लाईवुड, लखनऊ

गहरा झटका

यह सही है कि लगातार हो रहे आतंकी हमलों से विदेशी निवेशक और कई विदेशी कंपनियां दक्षिण एशिया में खास तौर से भारत में बढ़ते आतंक के कारण निवेश करने से पीछे हट रही हैं।

जहां एक ओर मंदी की मार ने भारतीय आर्थिक विकास-दर को पीछे धकेला है, वहीं बढ़ते वैश्विक आतंक से भी विकास दर को गहरा झटका लगा है।

श्रवण कुमार ठाकुर
जनसंचार विभाग, भोपाल


पहली शर्त सुरक्षा

आर्थिक राजधानी पर हुए हमले व्यापारिक व आर्थिक क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करते हैं, जिससे लोगों की आस्था व विश्वास घटता है। व्यवस्थित कारोबार के लिए पहली शर्त है सुरक्षा व स्थायित्व।

प्रो. के.डी. सोमानी
उजैन

पर्यटन पर असर

भारत की कारोबारी छवि को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि सभी देश जानते हैं कि यह फिदायन हमला है, जो किसी देश पर हो सकता है।

लेकिन भारत का जो पर्यटन उद्योग है, उस पर जरूर इन आतंकी हमलों का असर होगा। लेकिन जो आयात और निर्यात व्यापार है, उस पर इन हमलों का असर नहीं होगा।

किशोर खाबिया
मुंबई


जरूर असर पड़ेगा

फिलहाल तो कारोबारी जगत सहमा है और निवेश पर जरूर असर पड़ेगा। मंदी के इस दौर में ऐसी घटनाएं कोढ़ में खाज का काम करती हैं।

मेरा मानना है कि भारत में दो तरफा प्रयास चल रहे हैं एक तरफ तो सरकार मंदी से निपटने के तरीके तलाश रही है तो दूसरी ओर अब सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

संदीप सिंघल
ब्रांच हेड, वेंचुरा सिक्योरिटीज, लखनऊ


फिर चमकेगा

इससे पहले भी मुंबईवासियों को ऐसी आतंकी त्रासदी को झेलना पड़ा है। 2006 में हुए सीरियल ब्लास्ट, लोकल ट्रेन में ब्लास्ट, अन्य हादसे और हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद सहयोग के लिए मुंबईवासियों के हाथ स्वत: ही आगे बढ़ जाते हैं। मुंबईवासियों ने कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं सीखा है।

जहां तक भारत की कारोबारी छवि गिरने का प्रश्न है, अस्थायी रूप से कुछ समय के लिए आंशिक प्रभाव पड़ सकता है लेकिन अंतत: कारोबारी छवि में स्थायित्व बना रहेगा।

डॉ. हेमलता कर्नावट
उजैन, मध्य प्रदेश


सकारात्मक सोचें

हाल ही में मुंबई में हुए इस तरह के आतंकी हमलों से छवि तो खराब हुई ही है। पर्यटन में इसका सीधा असर भी देखने को मिलेगा।

लेकिन संकट की इस घड़ी में सकारात्मक तरीके से सोचना चाहिए और अपना ध्यान विकास से हटने नहीं देना है।

जिससे पूरी दुनिया के सामने यह संदेश जाए कि लगातार गहराती वैश्विक मंदी और अपनी धरती पर अब तक हुए सबसे बड़े आतंकी हमले को झेलने में हम पूरी तरह से सक्षम हैं।

महेश वनकर
नालासोपार, ठाणे, महाराष्ट्र


बकौल विश्लेषक
फिर आएगी रौनक, मगर सुरक्षा का मसला रहेगा

अमित मित्रा
महासचिव, फिक्की

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकी हमले और बंधक ड्रामा ने मुंबईवासियों को ही नहीं बल्कि पूरे देशवासियों को झकझोर कर रख दिया। आज लोग यह समझने लगे हैं कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। इसके निदान के लिए संस्थागत प्रशासनिक तौर तरीके को दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।

इस हमले के बाद लोगों में इस बात को लेकर निराशा होने लगी थी कि अब भारत में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो जाएंगी। लेकिन ऐसा कुछ खास हुआ नहीं। एक बात समझने वाली है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत एक बहुत बड़ा बाजार है।

व्यापारिक अवसरों और मांग को मद्देनजर रखते हुए आज दुनिया का कोई भी देश भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। वैसे भी लोकतांत्रिक ढांचे में 7.5 फीसदी विकास दर को बरकरार रखने वाला देश भारत उपेक्षित कैसे रह सकता है।

लेकिन इन सब दलीलों के बीच जो एक बात सामने उभरकर आती है, वह है सुरक्षा का मसला। यह आतंकी हमला किसी न किसी रूप में सुरक्षा एजेंसियों और तंत्रों की विफलता को दर्शाता है। इस घटना के बाद यह भी कयास लगाए जाने लगे कि भारत में व्यापारिक सेमिनारों और ग्लोबल बैठकों के कार्यक्रम में काफी तब्दीली आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

जाहिर सी बात है कि आतंक के पैरोकार के मंसूबे कितने भी खौफनाक क्यों न हों, भारत के आर्थिक ढांचे को वे तोड़ नहीं सकते। आतंकवाद से हम पिछले कई दशकों से लड़ते आ रहे हैं और इसके बावजूद हमने अपनी विकास यात्रा जारी रखी है।

इसलिए इन हमलों से लोगों की भावनाओं पर तो असर होता ही है, लेकिन व्यापारिक संदर्भ में इसका कोई दूरगामी असर नहीं पड़ेगा। हम अपना आर्थिक सफर फिर उसी जज्बे के साथ शुरू करने का माद्दा रखते हैं। 

बातचीत: कुमार नरोत्तम

गुजरात को देखिए, खुद ही मिल जाएगा इसका जवाब

भरत झुनझुनवाला
अर्थशास्त्री

दिनों-दिन बढ़ती आतंकी हमलों से तो एफडीआई और विदेशी पर्यटक निश्चित रूप से प्रभावित होंगे। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि यह नुकसानदेह होगा। मेरा मानना है कि उनका प्रभावित होना देश के लिए लाभप्रद होगा।

अगर एफडीआई कम आता है तो उससे देश को कोई नुकसान नहीं होगा और विदेशी पर्यटकों में जो कमी आएगी उससे देश को सांस्कृतिक लाभ होगा। विदेशी पर्यटकों के आने से संस्कृति की जो हानि होती है, उसके कारण भी आर्थिक विकास दर गिरती है।

आर्थिक विकास के लिए मनोबल की ज्यादा जरूरत है न कि धन की। मेरा मानना है कि इन आतंकी हमलों से चूंकि विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ एफडीआई में कमी आएगी, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचेगा।

जहां तक देश की आर्थिक राजधानी पर हुए हमले से प्रतिकूल असर की बात है तो कारोबारियों को उतना डर नहीं लगता है क्योंकि उन्हें यह सब झेलने की आदत हो गई है।

जब गुजरात में दंगे और आतंकी घटनाएं हुई थी तो यह कहा जा रहा था कि गुजरात की विकास दर फिसल जाएगी और अन्य राज्यों से पीछे रह जाएगा।

लेकिन जब रिपोर्ट कार्ड आया तो पता चला कि गुजरात पहले नंबर है। वास्तव में आतंकी घटनाएं हमें सतर्क करती हैं और सुशासन लाने के लिए प्रेरित करती हैं। मेरा मानना है कि सरकार द्वारा निर्यात आधारित और विदेशी निवेश आधारित पहल करना बिल्कुल ही गलत नीति है।

देश में लगातार हो रहे आतंकवादी हमलों के लिए भारत सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। असमानता और अमेरिका का पिछलग्गू, ये दो मुख्य कारण हैं जिसकी वजह से हमारे देश में आतंकी हमले हो रहे हैं। इसे जल्द से जल्द मिटाने की आवश्यकता है। 

बातचीत: पवन कुमार सिन्हा

पुरस्कृत पत्र
मंदी की कोढ़ में यह बनेगा खाज

शंकर केजरीवाल
अध्यक्ष-हिन्दुस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स, मुंबई

मुंबई में हुए आतंकी हमलों से प्रत्यक्ष रुप से पर्यटन, विदेशी निवेश आदि सर्वाधिक प्रभावित होने के साथ ही व्यापारी मुंबई आने से बचना चाहेंगे, निवेशकों का भरोसा कम होगा,

जिससे पहले से ही मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत खराब असर होगा। वर्तमान माहौल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, प्रभावी खुफिया तंत्र के साथ प्रशिक्षित सुरक्षा दस्ते की स्थाई व्यवस्था करने की जरूरत है।

…और यह है अगला मुद्दा

सप्ताह के ज्वलंत विषय, जो कारोबारी और कारोबार पर गहरा असर डालते हैं। ऐसे ही विषयों पर हर सोमवार को हम प्रकाशित करते हैं व्यापार गोष्ठी नाम का विशेष पृष्ठ।

इसमें आपके विचारों को आपके चित्र के साथ प्रकाशित किया जाता है। साथ ही, होती है दो विशेषज्ञों की राय। इस बार का विषय है राहत पैकेज के ऐलान, कितने होंगे कारगर?

अपनी राय और अपना पासपोर्ट साइज चित्र हमें इस पते पर भेजें:

बिजनेस स्टैंडर्ड (हिंदी),
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ई-मेल goshthi@bsmail.in
आशा है, हमारी इस कोशिश को देशभर के हमारे पाठकों का अतुल्य स्नेह मिलेगा।

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