तेजी के बारे में कुछ कहना संभव नहीं
सुभाष कुमार श्रीनिवास
आयकर, निवेश और बीमा सलाहकार, कैन्टूमैंट पंप हाउस के पास, बबीना कैंट, झांसी, उत्तर प्रदेश
विदेशी निवेशकों का धन प्रवाह और विदेशी बाजारों में तेजी का होना, भारतीय बाजार में हाल में आई तेजी का मुख्य कारण है। तेजी होते हुए भी जानकारों का कहना है कि अभी बाजार के फंडामेंटल में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। इसलिए यह कहना कठिन होगा कि यह तेजी टिकाऊ है। वैश्विक और भारतीय बाजार में जब तक फंडामेंटल्स में उचित सुधार नहीं किया जाता, तब तक यह कहना जल्दबाजी होगी कि तेजी अभी या आगे टिकाऊ होगी।
टिकाऊ समझना होगी भूल
मीनाक्षी सिंह
शिक्षिका, गोमतीनगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
बाजार में ऐसी तेजी के बुलबुले कई बार आकर गायब हो चुके हैं। इसलिए इस तरह के दौर को स्थाई समझ लेना भूल होगी। मेरा मानना है कि मंदी अभी भी कायम है। यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इसलिए बाजार में घुसने से पहले छोटे और मझोले निवेशकों को कई बार सोचना होगा।
इधर मंदी के दौर में काफी अच्छे पेंशन फंड और बैंकों की जमा योजनाएं आई है, जिन पर भरोसा किया जा सकता है। इस समय लंबे निवेश के लिए शेयर बाजार उचित जगह नहीं है। जो भी हो छोटे और मझोले निवेशकों को सोच समझकर फैसला करना चाहिए।
शेयर बाजार में रहेगी अस्थिरता
सुनील जैन ‘राना’
छत्ता जम्बूदास, सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
यदि यह पता चल जाए, तो निवेशकों के वारे न्यारे ही न हो जाए। शेयर बाजार की सटीक भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता। शेयर बाजार पूर्णत: अनुमान पर आधारित है। पिछले महीने टिकाऊ दौर चल रहा था कि एकाएक सत्यम फर्जीवाड़ा सामने आने से बाजार फिर से धराशायी हो गया।
आने वाले दिनों में चुनावों के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार तो बनती दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में खिचड़ी सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों की योग्यता पर बाजार निर्भर करेगा। ऐसा भी हो सकता है कि आपस की तनातनी और विशेष मंत्रालय की चाहत में खिचड़ी सरकार भी न बन पाए। तब सोचो शेयर बाजार का क्या हाल हो सकता है?
बाजार में जारी रहेगी रौनक
संतोष सांगले
शेयर बाजार निवेशक, कांदीवली (पूर्व), मुंबई
मौजूदा दौर में जारी तेजी न केवल भारतीय शेयर बाजारों में देखी जा रही है, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अमूमन यही हाल है। साथ ही फेडरल रिजर्व द्वारा अभी हाल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों के बयान देने के बाद अमेरिकी बाजारों में जबरदस्त उछाल का माहौल रहा।
मसलन भारतीय बाजार में रौनक साफ तौर पर देखा जा सकता है। इसके अलावा बिजनेस स्टैंडर्ड में हाल ही में छपी रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू संस्थागत निवेशक, विदेशी संस्थागत निवेशकों की तुलना में खरीदारी के लिहाज से महज थोड़ी ही दूरी पर खड़े हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि शेयर बाजार पुन: अपने शबाब पर होगा।
रही बात चुनावों की अनिश्चितता का, तो यहां भी तस्वीर साफ हो रही है कि वामदल दोबारा कांग्रेस का दामन थामकर मजबूत सरकार चलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस प्रकार, शेयर बाजार में तेजी का दौर अब काफी लंबा चलने वाला है।
अनिश्चित है मौजूदा दौर
योगेश कर्नावट
पैन्टालून्स ट्रेजर आइसलैंड, एम. जी. रोड, इन्दौर, मध्य प्रदेश
विगत 16 मई से शेयर बाजार ने जिस उतार चढ़ाव का दौर देखा है, उसका आकलन करते हुए यह कहा जा सकता है कि बाजार की अनिश्चितता का दौर बरकरार है। अस्थिरता के इस दौर में कभी सेंसेक्स 300 से 400 अंकों की छलांग लगा लेता है, तो अगले ही दिन धराशायी भी हो जाता है।
बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अभी भी निवेशक बाजार के प्रति आश्वस्त नहीं हैं। यह ठीक है कि पिछले कुछ दिनों में सेंसेक्स ने तेजी दिखाते हुए 11000 के अंक को पार कर लिया है। आंशिक तेजी का कुछ दौर दिखाई दे रहा है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि शेयर बाजार का मौजूदा दौर टिकाऊ है।
आम चुनाव के परिणाम आने तक यह तेजी रह सकती है, लेकिन एक निश्चित दिशा तो केंद्र में स्थायी सरकार के गठन के बाद ही मिल सकेगी। संवेदनशीलता बाजार की सहज प्रवृत्ति बन चुकी है। इसलिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि बाजार फिर लुढ़क सकता है।
चार दिन की चांदनी है यह तेजी
राजकुमार गुप्ता
पर्चेज ऑफिसर, कच्छी ट्रस्ट कंस्ट्रक्शन, चेंबूर, मुंबई
जिस प्रकार शेयर बाजार में तेजी का दौर जारी है, वह महज चार दिन की चांदनी है। 16 मई को आम चुनावों के नतीजे आ रहे हैं और यहीं से शुरू होगी बाजार की गिरावट। अब तक सामने आ रहे है रुझानों में तस्वीर यही झलक रही है कि सरकार बनाने के लिए काफी रस्साकशी होगी और इसका परिणाम बाजार की चाल पर पडेग़ा।
इसके अलावा इस हफ्ते बाजार में मुनाफावसूली का दौर तेजी के साथ आगे बढ़ेगा, जो पूरे महीने जारी रहने के आसार हैं। चुनावी नतीजों का असर अर्थव्यस्था पर भी साफ देखा जाएगा और स्वाइन फ्लू ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। आखिरकार किस किस से बाजार लोहा लेगा? नतीजतन चारों ओर से केवल बाजार की गिरावट की तस्वीर ही झलक रही है, जो संभवत: 7000-7500 के स्तर पर थम सकता है।
शेयर बाजार की तेजी है अस्थायी
राजेन्द्र प्रसाद मधुबनी
व्याख्याता मनोविज्ञान, फ्रेंड्स कॉलोनी, मधुबनी, बिहार
भारत की उदारीकरण और भूमंडलीकरण के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बदल रही आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर चार्टर्ड एकाउंटेंटों ने नए तौर तरीके अपनाकर प्रगतिशील मनोवृति अपनाया, ताकि राष्ट्र अन्य देशों से जल्द सशक्त बन जाए। इसी कठिन परीक्षा की घड़ी में कई कंपनियों ने अपनी साख बचाने के लिए मनोवांछित निष्कर्ष प्रकाशित करने लगे।
हमारी चूक यह रह गई कि कमोबेश सभी कंपनियों के साथ प्रत्येक संस्थान सरल राह अपनाकर अपनी साख बनाने लगा। सत्यम घोटाला उजागर हुआ और राष्ट्र की साख बचाते हुए तात्कालिक समाधान के तौर इसे दूसरी कंपनी ने खरीद लिया।
आज अधिकांश कंपनी अपनी स्वच्छ छवि दिखाने के लिए ऑडिट सुधारने में लग गई है। बाजार भी धीरे धीरे सुधरने लगा है। लेकिन मौजूदा सुधार पूर्णत: केंद्र सरकार की स्थिरता पर निर्भर करता है। शेयर बाजार की तेजी अस्थाई है। परिस्थिति बदलने पर यह स्थाई भी हो सकता है।
दिल्ली की चाल से तय होगी रफ्तार
योगेश
चर्नी रोड़, मुंबई
बाजार के सामने इस समय दो बड़ी अनिश्चितता है। एक, कैसी होगी सरकार और दूसरा वित्तीय हालात। निवेशक इस बात को लेकर साफ संकेत देखना चाहते हैं कि वित्तीय स्थिति को कैसे सही किया जाएगा। लेकिन देश में लंबी अवधि में विकास की कहानी अब भी बरकरार है।
बचत की ऊंची दर, संभावनाएं रखने वाले घरेलू बाजार, कम निजी कर्ज, ये सभी चीजें देश की विकास दर को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही हैं। इसीलिए अगला एक दो महीना तो बहुत ही अनिश्चितता भरा होगा, लेकिन आने वाले 3 से 6 महीने शेयर बाजार की सेहत के लिए काफी अच्छे रहने वाले हैं।
मंदी के आलम में बाजार नहीं स्थिर
राजेश कपूर
भारतीय स्टेट बैंक, एल. एच. ओ., लखनऊ, उत्तर प्रदेश
जब तक विश्व स्तर पर आर्थिक मंदी दूर नहीं होगी, शेयर बाजार की तेजी टिकाऊ नहीं हो सकती है। इस समय किसी भी विकसित देश में कोई भी अवांछनीय घटना हो जाती है, तो शेयर बाजार वैश्विक स्तर पर प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। भारत भी इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। यहां की अर्थव्यवस्था किसी न किसी रूप से विकसित देशों से जुड़ी हुई है। इसलिए जब तक वैश्विक मंदी है, शेयर बाजार अस्थिर रहेगा।
यह तेजी टिकाऊ नहीं
गौतम पारिख
डायमंड ब्रोकर्स, गोरेगांव, मुंबई
आज भारतीय बाजार वैश्विक चाल का अनुसरण करते हैं। अमेरिका में अभी बैकिंग संकट टला नहीं है। यूरोप में मंदी रंग दिखा रही है। जापान भी मंदी की गिरफ्त में आ चुका है। चीन में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है।
ऐसे में शेयर बाजार में तेजी का दौर कैसे शुरू हो सकता है। देश में राजनीतिक अस्थिरता दिख रही है। इसीलिए मार्च महीने में आई तेजी में ज्यादातर फंड हाउसों ने हिस्सा नहीं लिया। देश की अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं है, क्योंकि भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। अगर स्थायी या सही सरकार बनती है, तो बाजार सही रहेगा, नहीं तो गिरावट होना तय है।
बाजार संभलने में लगेगा वक्त
रवि प्रताप भारती
नई दिल्ली
बाजार जब चढ़ना शुरू हुआ, तो विशेषज्ञों ने आम निवेशकों को सबसे ज्यादा प्रोत्साहित किया कि वे ज्यादा से ज्यादा पैसा बाजार में लगाएं। मंदी ने जहां एक ओर छोटे निवेशकों को बाजार से बाहर कर दिया, वहीं बड़े निवेशकों ने अपने निवेश को सुरक्षित रखा है।
बाजार में सुधार हो तो रहा है, लेकिन अभी बाजार को एक झटका मिलना बाकी है। यह झटका बाजार को तब लगेगा, जब बड़े निवेशक अपनी हिस्सेदारियां बेचकर भागेंगे। इसके बाद का निवेश स्थायी होगा। बाजार की ओर निवेशकों का विश्वास बनने में अभी काफी वक्त है और बाजार के सभंलने में भी।
मंदी के दौर में टिकाऊपन कैसा
हरनारायण जाजू
बैंक अधिकारी, कालकादेवी रोड, मुंबई, महाराष्ट्र
कहते हैं कि शेयर बाजार देश की अर्थव्यवस्था का आईना होता है, लेकिन शेयर बाजार का इतिहास देखने से तो यही लगता है कि यह पूर्णतया सट्टा बाजार है। हम सभी जानते हैं कि हर्षद मेहता के समय की तेजी हो या केतन पारिख के समय की, एक ही व्यक्ति ने पूरे बाजार को अपनी मर्जी से चलाया है। यही हाल पिछले चार पांच साल से देखा जा रहा है।
बाजार में जब विदेशी संस्थागत निवेशक खरीदारी कर रहे थे, तो बाजार हर रोज नई ऊंचाइयां छू रहा था। जैसे ही उन्होंने बेचना शुरू किया, तो बाजार धड़ाम से गिर गया। अभी वैश्विक मंदी का दौर खत्म नहीं हुआ है। इसलिए बहुत बड़ी तेजी का कोई कारण नजर नहीं आता है।
इस समय सावधानी से काम लें
गोपाल दत्त गौड़
रिटायर्ड ट्रेजरी ऑफिसर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
शेयर बाजार ने काफी चूना लगा दिया है और अब लोगों के मन में डर समा गया है। एक-दो महीनों तक नहीं, कई महीनों तक इस पर नजर रखनी होगी, तब जाकर माहौल निवेशकों के फैसला लेने लायक होगा। इस समय बाजार में तेजी चुनाव के चलते भी हो सकती है। केंद्र की सरकार दिखाना चाहती हो, कि हमारे यहां सब ठीक है। कोई गड़बड़ नहीं है। इसलिए मेरा मानना है कि दूध के जले का छाछ भी फूंक फूंक कर पीना चाहिए।
स्थिर सरकार देगी बाजार को आधार
मुकुंद माधव
रामदरबार, चंडीगढ़, पंजाब
बाजार की दशा धीरे-धीरे सुधर रही है। वैसे भी बाजार कई?कारकों पर निर्भर करता है। सरकार की स्थिरता, विदेशी संस्थागत निवेशकों की भूमिका, कंपनियों के नतीजे आदि बाजार निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल में कंपनियों के नतीजों से थोड़ी राहत जरूर मिली है। सेंसेक्स भी धीरे धीरे ऊंचाई की ओर है। कुछ ही दिनों में केंद्र में एक नई सरकार भी बन जाएगी।
दो कारक तो बाजार के पक्ष में है और तीसरे के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। जाहिर सी बात है कि राजनीतिक स्थिरता बाजार को एक नई?दिशा देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी। इसलिए हम कह सकते हैं कि बाजार की तेजी का टिकाऊ होना, बहुत कुछ राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करता है।
पुरस्कृत पत्र
टिकाऊ कहना जल्दबाजी होगी
रश्मि देव
नालासोपारा, ठाणे-महाराष्ट्र
शेयर बाजार के मौजूदा दौर को टिकाऊ नहीं कहा जा सकता है। पिछले कुछ दिनों में बाजार 40 फीसदी तक चढ़ चुका है, जिससे अब मुनाफावसूली कभी भी आ सकती है। देश में अभी राजनीतिक संकट चल रहा है।
बाजार का रुख बहुत कुछ सरकार पर निर्भर करेगा और अमेरिकी बैंकों पर मंडरा रहा संकट अभी पूरी तरह से टला नहीं है। इसीलिए यह कहना कि तेजी टिकाऊ है, थोड़ी जल्दबाजी होगी, लेकिन इस साल बाजार पिछले साल की अपेक्षा मजबूत जरूर होंगे, क्योंकि मंदी की हवा निकलने लगी है।
अभी कुछ दिनों में देश का राजनीतिक भविष्य तय होगा, तब जाकर बाजार की सही दिशा का पता चल पाएगा। इसके अलावा मंदी के बादल छंटने का दौर भी शुरू हो गया है, लेकिन किसी भी सूरत में मौजूदा स्थिति को सत्य मान लेना भूल होगी।
सर्वश्रेष्ठ पत्र
तेजी के दौर की आशा तो है
दीपिका जैन
72, इन्द्रमणि नगर, गोला माता रेसकोर्स रोड के पीछे, ग्वालियर-मध्य प्रदेश
जनवरी 2008 में सेंसेक्स 21000 अंकों पर था। गिरते गिरते यह 8000 अंक तक आ गया। इसके बाद क्रमश: सुधार करते हुए इसने 11000 अंक तक की मंजिल तय कर ली। विश्व के आर्थिक परिदृश्य में आए आंशिक सुधार को देखते हुए यह आशा तो बनी है कि बाजार में तेजी का दौर बना रहेगा।
विगत कई वर्षों में भी बाजार ने उतार चढ़ाव के दौर तो देखे ही हैं, इस बार भी बाजार ने अपना निम्तम स्तर देख लिया है। फिलहाल तो यह अब निरंतर सुधार की दिशा में अग्रसर है। केंद्र में अगर स्थायी?सरकार हो, तो भी तेजी की आशा है।
टिकाऊ दौर अभी जारी रहेगा
अरुण महाजन
मकान संख्या- 07, मीरपुर कॉलोनी, पठानकोट-पंजाब
भारत सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से बुनियादी सुविधाओं और पैसे की तरलता के लिए जो अच्छे आर्थिक निर्णय और सख्त मौद्रिक उपाय हुए हैं, उससे रेपो और रिवर्स रेपो दर में कमी, बैंकों द्वारा ब्याज में कमी, महंगाई दर में कमी, सत्यम प्रकरण के हल से साख की बहाली हुई है।
कंपनियों के सालाना नतीजे भी उम्मीद से अच्छे आ रहे हैं। चुनाव परिणाम के बाद अगर स्थिर और अच्छी सरकार आ जाए, तो बाजार में तेजी का मौजूदा दौर टिकाऊ तो होगा ही, और सेंसेक्स को आप 15 हजार के पार भी देखेंगे। यह दौर अभी जारी रहेगा।
बाजार निश्चित तौर पर सुधरेगा
रोली सिंह
निदेशक, एम्पायर प्लाईवुड, लखनऊ-उत्तर प्रदेश
अभी फंडामेंटल सही हैं और इसी वजह से कंपनी के नतीजे भी अच्छे आ रहे हैं। इसलिए मैं समझती हूं कि आने वाले दिनों में शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशक भी बड़ी संख्या में आएंगे और कुछ समय के बाद केंद्र सरकार द्वारा पेंशन और सावधि जमा में दिए गए भारी फंडों की वजह से भी हालात सुधरेंगे। इसलिए बाजार में उछाल नहीं होने की कोई वजह नहीं है। बाजार निश्चित तौर पर सुधरेगा। मंदी के आलम के बाद बाजार द्वारा ऊंचाई हासिल करना इस बात का संकेत भी है।
नई सरकार का होगा इंतजार
अन्जू कपूर
21181, इन्द्रा नगर, लखनऊ-उत्तर प्रदेश
शेयर बाजार में जरा सी तेजी आने से ही हम काफी आश्वस्त हो जाते हैं और ऊंचे ऊंचे सपने देखने लगते हैं, जबकि यह तेजी परिस्थितिजनक ही होती है। शेयर बाजार में तेजी की मुख्य वजह एक स्थायी सरकार की मजबूत आर्थिक नीतियां, बाजार पर निवेशकों का भरोसा और मंदी का न होना ही होता है। इन सभी का होना तब ही स्पष्ट होगा, जब नई सरकार आएगी। हमें नई सरकार के गठन का इंतजार करना चाहिए। जब तक एक स्थायी सरकार बनने के संकेत नहीं मिलते हैं, तब तक बाजार की दिशा तय कर पाना मुश्किल है।
बकौल विश्लेषक
बाजार में दिख रहा सुधार टिकाऊ लग रहा है
संदीप सिंघल
शाखा प्रमुख, वेंचुरा सिक्योरिटीज, लखनऊ
इसमें कोई शक नहीं है कि बाजार में तेजी का दौर बना रहेगा। एक बात जरूर है कि बाजार में करेक्शन हो सकते हैं। ऐसा होना भी लाजिमी है। हम मंदी के सबसे बुरे दौर से बाहर हैं, ऐसा लग तो रहा है। ऐसा लगने की कई वजहें भी हैं। अगर हम इन दिनों आ रहे कंपनी के तिमाही और फिर सालाना नतीजे देखें, तो हालात सुधरने का पता चल जाता है।
अब शेयर बाजार को ऊपर जाने के लिए जिन मौलिक कारणों की दरकार होती है, वे सभी तो मौजूद ही हैं। एक बात और देखने वाली है कि इस बार बाजार में जो तेजी दिखाई दे रही है, वह कृत्रिम नहीं है। मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर बाजार मेहरबान रहा है। छठा वेतनमान लागू कर दिए जाने के बाद बाजार में पैसा आया है। मझोले निवेशक भी अब फिर से कमर कस रहे हैं।
उनका पैसा बाजार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार बाजार में अगर छोटे और मझोले निवेशक उतरेंगे, तो विदेशी निवेशक भी लौटना शुरू कर देंगे। ऐसी स्थिति पैदा होने पर विदेशी निवेशक बाजार से किसी सूरत में दूर नहीं रह सकते हैं। लिहाजा अगर बाजार को अभी देखें, तो उसकी चाल विश्वास से भरी नजर आ रही है।
बाजार अंधाधुंध तरीके से ऊपर नहीं भागा है, बल्कि ठोस तरीके अपनाकर ऊपर गया है। जून के महीने में कुछ और सुखद समाचार मिल सकते हैं। इसलिए निवेशकों को थोड़ा बहुत आशावादी होकर बाजार के प्रति भरोसा रखना चाहिए। इधर खास बात देखने में आई है कि म्युचुअल फंडों की एनएवी में सुधार देखने को मिला है, खास तौर पर इक्विटी बेस्ड फंडों में।
बातचीत- सिद्धार्थ कलहंस
यह साल शेयर बाजार के लिए अच्छा साबित होगा
हितेश अग्रवाल
हेड ऑफ रिसर्च, एंजल ब्रोकिंग, मुंबई
बाजार तकनीकी रूप से मजबूत दिखाई दे रहा है। विदेशी निवेशक वापस आने लगे हैं और वैश्विक स्तर पर मंदी भी थमने लगी है। लेकिन शॉर्ट टर्म की बात की जाए, तो बाजार में गिरावट आ सकती है, क्योंकि पिछले दो सप्ताह के अंदर शेयर बाजार 40 फीसदी चढ़ चुका है।
बाजार जब तेजी के साथ ऊपर चढ़ता है, तो मुनाफावसूली होना लाजिमी है। ऐसे में बाजार 20 फीसदी तक गिर भी सकता है। लेकिन मीडियम टर्म या लॉन्ग टर्म की बात की जाए, तो बाजार ऊपर ही जाने वाला है। बाजार के लिए अगले एक दो महीने काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं, क्योंकि इसी समय देश में नई सरकार भी बनने वाली है।
सरकार किस तरह की बनेगी, इस पर भी शेयर बाजार की चाल निर्भर करने वाली है। बाजार के मौजूदा हालातों का अध्ययन करने पर यह तो कहा जा सकता है कि अगले 3 से 6 महीने में बाजार मजबूत होगा। सेंसेक्स इस साल 12500 अंक तक की ऊंचाई पर दिखाई दे सकता है और करेक्शन भी आता है, तो 8000 से नीचे नहीं जाने वाला है, क्योंकि बाजार 40 फीसदी चढ़ चुका है। इसलिए 900 से 1000 अंकों तक की गिरावट संभव है।
बाजार को मजबूत करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बैंकिग क्षेत्र की रहने वाली है, क्योंकि इनमें ही पिछले साल सबसे ज्यादा गिरावट भी हुई थी। बैकिंग के अलावा विनिर्माण क्षेत्र में पैसा लगाया जा सकता है, जबकि ऑटो और टेलीकॉम कमजोर क्षेत्र के रूप में देखे जा रहे हैं। भारत की विकास दर 5 से 6 फीसदी रहने वाली है, जबकि दुनिया केदूसरे देश की विकास दर इससे कम ही आंकी जा रही है। यह बाजार सुधरने के संकेत हैं।
बातचीत- सुशील मिश्र
…और यह है अगला मुद्दा
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