दिग्गज कार कंपनी फॉक्सवैगन ने कम ईंधन खपत और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाली कारें पेश की हैं। कंपनी इन कारों को एक ब्रांड और एक तकनीक के तले पेश करना चाहती है। फॉक्सवैगन ने इस खास तकनीक को नाम दिया है ‘ब्लू मोशन तकनीक’। बता रहे हैं, श्रीनिवास कृष्णन
वैसे तो, फॉक्सवैगन ने इस मौके को ‘ब्लू डे’ के तौर पर प्रचारित किया था लेकिन यह वैसा नजर आ नहीं रहा था। शहर के नजारे को देखते हुए ऐसा लग रहा था मानो बर्फ के टुकड़े सीधे स्वर्ग से ही इस धरती को चूमने के लिए बेताब हो रहे हैं।
महज, चंद मिनटों के अंतराल में बर्फ की सफेद चादर ने धरती की सतह को अपने आगोश में ले लिया। मौसम के ऐसे मिजाज के बावजूद फॉक्सवैगन के लिए यह अभी तक ‘ब्लू डे’ ही था। कंपनी ने इस दिन को खासतौर से अपनी खास कारों को पेश करने के लिए चुना था।
ये कारें ईंधन खपत के साथ-साथ कम कार्बन उत्सर्जन करेंगी, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचेगा। इनमें से कुछ बन चुकी हैं, जबकि कुछ निर्माण की प्रक्रिया में हैं और जल्द ही बाजार की राह पकड़ने की तैयारी कर रही हैं। फॉक्सवैगन का कहना है कंपनी ने पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी ओर से की गई कोशिश के तहत ही इन कारों का निर्माण किया है।
कंपनी इन कारों को एक ब्रांड और एक तकनीक के तले पेश करना चाहती है। फॉक्सवैगन ने इस खास तकनीक को नाम दिया है ‘ब्लू मोशन तकनीक’ इसके तहत ब्लूमोशन, ब्लू टीडीआई और टीएसआई इकोफ्यूल नाम वाली कारें पेश की जाएंगी। ये कारें में नई किस्म की ब्रेकिंग प्रणाली, स्टार्ट-स्टॉप फंक्शन, हाइब्रिड और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एनओएक्स एमिशन कंट्रोल लगा हुआ है।
साथ ही इन कारों को चलाने के लिए वैकल्पिक ईंधनों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इनको चलाने में आपको गोल्फ जीटीआई और यहां तक कि नई साइरोको जैसा ही आनंद मिलेगा। इनकी खास बातें हम आपके सामने पेश कर रहे हैं।
तुआरेग वी 6 टीएसआई
क्या है इसकी खासियत?
इसके बारे में जो सबसे खास बात है वह यह कि यह फॉक्सवैगन की पहली हाइब्रिड पावरटे्रन है। इस तरह, नई हाइब्रिड तकनीक के लिए इससे काफी कुछ मिल सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें वी 6 टीएसआई इंजन लगा है।
इसमें एक सुपरचार्ज्ड डाइरेक्ट इंजेक्शन पेट्रोल इंजन है। साथ ही इसमें एक इलेक्ट्रिक मीटर भी लगा है। इसमें एक नया सिस्टम लगाया गया है। इसका 8 स्पीड ऑटोमेटिक गियरबॉक्स गाड़ी को पावर देने के लिए काफी है।
चलने में कैसी है?
आम लोगों के लिए टॉरेज किसी युद्धक टैंक से कम नहीं। इलेक्ट्रिक मोटर 50 बीएचपी की पावर देता है जबकि वी 6 330 बीएचपी की पावर देता है। शहर के अंदर अगर आप 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कार को दौड़ाते हैं तब तक इलेक्ट्रिक मीटर ही काम करता है ।
लेकिन जैसे ही रफ्तार की सुई 50 के मीटर को पार करती है तो हल्की सी आवाज होती है, समझ लीजिए कि अब वी 6 काम पर लग गया है। लेकिन अगर आप तूफानी रफ्तार की चाहत रखते हैं तो आप बूस्ट मूड का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें वी 6 और इलेक्ट्रिक मीटर मिलकर 372 बीएचपी की पावर और 55 केजीएम का टॉर्क देते हैं, लेकिन इससे पर्यावरण को बचाने की तकनीक की कोई उपयोगिता नहीं रह जाएगी।
शानदार फीचर:
स्विचओवर और बूस्ट मोड इसके सबसे शानदार फीचर हैं।
पैस्सट ब्लू मोशन
क्या है इसकी खासियत?
यह फॉक्सवैगन की दूसरी पीढ़ी की ब्लू मोशन तकनीक है। इसमें ईंधन की कम खपत को तवाो दी गई है और उर्त्सजन भी काफी कम होता है। कंपनी का दावा है कि ईंधन खपत के लिहाज से यह अब तक की सबसे बेहतर पैस्सट है।
फॉक्सवैगन के मुताबिक कार एक लीटर ईंधन में 20.4 किलोमीटर तक चलती है। नहीं, अरे नहीं, भई अपनी स्विफ्ट डीजल से इसकी तुलना मत कीजिए। खैर, फॉक्सवैगन ने ऐसा करने में कैसे कामयाबी हासिल की। इसमें लंबे गियर रेशियोज, लो फिक्शन ड्राइव शाफ्ट्स और हल्की स्टील के पहिए लगाए गए हैं। इसके अलावा, ड्रैग को घटाकर कार को थोड़ा एयरोडायनमिक बनाया है।
कैसी है चलने में ?
वैसे इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिसको नोटिस किया जाए। इस पैस्सट में 2.0 लीटर कॉमन टर्बोडीजल इंजन लगा है जो 109 बीएचपी की पावर और 1,500 आरपीएम पर भी 25 केजीएम का टॉर्क देता है। इसमें पर्याप्त पावर है और मुश्किल से ही मोटर की जरूरत पड़ती है।
इसमें सबसे अहम स्टार्ट-स्टॉप सिस्टम है। यह कुछ इस तरह है कि आप किसी सिग्नल पर आकर रुकें और कार को न्यूट्रल कर दें तो इंजन अपने आप ही बंद हो जाता है और जैसे ही सिग्नल ग्रीन होता है, आप बस क्लिच को थोड़ा दबाइये, इंजन अपने आप स्टार्ट हो जाएगा।
शानदार फीचर:
निश्चित रूप से स्टार्ट-स्टॉप। बस बात एयरकंडीशनर पर आकर ठहर जाती है। अगर इंजन का तापमान कम है तो एसी एकदम ठीक काम करेगा लेकिन अगर बैटरी पूरी तरह से चार्ज नहीं है तो फिर यह धोखा दे सकता है।
पैस्सट ब्लू टीडीआई
क्या है इसकी खासियत?
यूरो फाइव मॉडल के इस साल सितंबर तक और यूरो 6 के 2014 तक आने की उम्मीद है। लेकिन ब्लू टीडीआई पैस्सट यूरो 6 मानक के लिए तैयार है। इसमें वही तकनीक इस्तेमाल की गई है जो डैमलर क्रिसलर, मर्सिडीज बेंज के ब्लू टेक मॉडल में करती है।
इसमें लगाया गया हाई टेक सेलेक्टिव कैटालिटिक रिडक्शन (एससीआर)कैटालिटिक कनवर्टर और एक अतिरिक्त एड ब्लू उत्सर्जन में कमी करता है। एससीआर कैट कनवर्टर, नाइट्रोजन ऑक्साइड को नाइट्रोजन और जल में बदल देता है जबकि एड ब्लू सॉल्यूशन में एक विशेष ऑक्सिलरी टैंक होता है जो ऐसा करने में मदद करता है।
इस तरह से पैस्सट ब्लू टीडीआई, दुनिया भर में मौजूद डीजल की कारों में से सबसे कम प्रदूषण करने वाली कार बन जाती है।
चलने में कैसी है?
शानदार। बेहद शानदार। इसमें 2000 सीसी वाला चार सिलिंडर 141 बीएचपी वाला कॉमन रेल टर्बोडीजल लगा है जो पैस्सट को अधिकतम 210 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ा सकता है। इसकी परफॉमर्स भी शिकायत का कोई मौका नहीं देती है।
शानदार फीचर:
एससीआर कैटालिटिक कनवर्टर और एड ब्लू इंजेक्शन ही इसके सबसे शानदार फीचर हैं। यह भारत के हिसाब से काफी हाई टेक है क्योंकि इसके लिए बेहद साफ डीजल चाहिए।
पैस्सट टीएसआई इकोफ्यूल
क्या है इसकी खासियत?
अब यह बात कोई राज नहीं रह गई है कि कार में सीएनजी किट लगाने से उसकी परफॉमर्ेंस पर असर पड़ता है और फिर कार को चलाने में उतना मजा नहीं आता। लेकिन फॉक्सवैगन ने टीएसआई इकोफ्यूल के जरिये इस धारणा को तोड़ दिया है।
इसकी सबसे बड़ी खासियत इसको 1.4 इनलाइन फोर है जो टि्वनचार्ज्ड है। इंजन को 7 स्पीड वाले शानदार डीएसची गियरबॉक्स के साथ जोड़ा गया है। इसमें प्राकृतिक गैस के लिए हल्के स्टील के तीन टैंक और एक गैसोलीन टैंक है। इन सबको इतनी कारीगरी के साथ जगह दी गई है कि कार के अंदर आपके सामान के लिए जगह की कमी नहीं पड़ती।
कैसी है चलने में?
148 बीएचपी की पावर और 22 केजीएम का टॉर्क कार को काफी पावर दे देता है। अतिरिक्त टैंकों के वजन के बावजूद कार की रफ्तार मंद नहीं पड़ती। फॉक्सवैगन का दावा है कि कार 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार केवल 9.7 सेकंड में पकड़ लेती है और यह अधिकतम 210 किलोमीटर प्रति घंटे की तेजी से दौड़ सकती है।
इसके आकार को देखते हुए यह ठीक-ठाक लगता है। दिक्कत इसके इंजन की आवाज को लेकर हो सकती है जो थोड़ा ज्यादा शोर करता है। इस पर ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता’ वाला जुमला एकदम फिट बैठता है।
शानदार फीचर:
प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के लिए इंजन में बदलाव।
(लेखक को फॉक्सवैगन ने अपनी ब्लू मोशन तकनीक का जायजा लेने के लिए जर्मनी बुलाया था।)