तकनीक से सब कुछ संभव है और इससे लोगों की हर मुश्किलों को हल किया जा सकता है। इस सच को साबित कर दिखाया है कनार्टक के तुमकुर जिले के एक व्यक्ति ने।
उसने नई तकनीक वाली एक ऐसी छड़ी उन लोगों को सहारा देने के लिए ईजाद की है जिनकी जिंदगी में रोशनी ही नहीं है। इस ईजाद को विदेशी बाजारों में बड़ी शोहरत जरूर हासिल होगी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया की 3 कंपनियों और अमेरिका की कुछ कंपनियों ने इसका व्यवसायीकरण करने में अपनी खासी दिलचस्पी दिखाई है।
इस नई खोज को नाम दिया गया है, ‘ब्लाइंड मेन्स स्टिक’ जो दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी में कुछ सहूलियत देकर उनकी जिंदगी की राह को थोड़ा आसान बनाएगी। नई तकनीक से बनी यह छड़ी, कई भाषाओं वाले वॉयस रिकॉडर्ेड सिस्टम के जरिए दृष्टिहीन लोगों को पानी या किसी गङ्ढे में जाने से पहले ही सतर्क कर देगी।
इस नई छड़ी के ईजाद को अंजाम देने वाले वजीर का कहना है, ‘यह अपने आप में बेहद अजूबा है क्योंकि जो लोग देख नहीं पाते, उनको यह पानी, किसी गङ्ढे या सड़क पर किसी भी बाधा का आभास दिलाते हुए संकेत दे देती है। दरअसल इसमें कई भाषाओं में एक वॉयस रिकॉर्डर जुड़ा हुआ है।
अगर कोई वाहन या कोई और दूसरी चीज भी उनकी ओर आ रही हो तो दृष्टिहीन लोगों को उस छड़ी से आने वाली तरंगों से पता चल जाता है कि रास्ते में कोई बाधा है। इसको लेकर चलना बेहद आसान है और इसकी बैटरी को केवल एक घंटे चार्ज करके आप 50 घंटे काम कर सकते हैं।’
इसकी कीमत हैं महज 950 रुपये। वजीर ने भारत में पहले ही इस छड़ी के 250 पीस को बेचा है। इस छड़ी को इन्फ्रा रेड लाइट इमिटिंग डायोड्स (लेड), इन्फ्रा रेड सेंसर्स, मॉयश्चर सेंसर्स और वॉयरलेस हेडफोन से बनाया गया है। रास्ते में कोई भी बाधा आने पर छड़ी की इन्फ्रा रेड लाइट सेंसर्स पर वापस चली जाती है फिर अलार्म से आवाज आने लगती है।
अगर रास्ते के बायीं तरफ कोई बाधा है तो अलार्म बाएं हेडफोन स्पीकर में बजने लगेगा और उसी तरह यह दायीं तरफ भी होगा। अगर कोई बाधा सामने के हिस्से में है तो दोनों अलार्म बजने लगेंगे। जब सड़क पर पानी भी होगा तो अलार्म बजने लगेगा।
इसके अनुसंधानकर्ता ने अपने प्रोडक्ट को आगे बढ़ाने के वास्ते वित्तीय सहयोग के लिए विकल्प तलाशने शुरू कर दिए हैं।
अहमदाबाद के एक एनजीओ, सोसाइटी फॉर रिसर्च ऐंड इनीशिएटिव फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज एंड इंस्टीटयूशंस (सृष्टि) इस खोज को वित्तीय सहयोग देने के लिए कोशिश कर रही है और इसको कारोबार के लिए भी मदद दी जा रही है।
सृष्टि से जुड़े स्वतंत्र अनुसंधानकर्ताओं को राह दिखाने वाले विजया विट्टाला का कहना है, ‘हमारा मकसद यही है कि हम जमीन से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं का विकास कर सकें और उन्हें बौद्धिक संपदा अधिकार दिलाया जाए। सृष्टि ने वजीर को सहयोग दिया और उनके ईजाद का पेटेंट कराने के लिए उत्साह बढ़ाया है और कारोबार के लिए भी उसे मुहैया कराने के लिए सहयोग दे रही है।
हमलोगों ने अनुसंधानकर्ता को उनके प्रोडक्ट को और बेहतर बनाने में मदद दी है। हमारी कोशिश यही है कि उनका संपर्क सही लोग से हो जाए और वे अपने सामान को बेच सकें। इसके अलावा हम उन्हें आगे भी इस तरह के प्रोडक्ट के लिए तकनीकी सहयोग भी दे रहे हैं। फिलहाल हम तो कुछ ऐसे लोगों की तलाश में हैं जो इस नई खोज के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये की मदद भी कर सकें।’