टाटा केमिकल्स लिमिटेड (टीसीएल) ने पर्यावरण को बचाने की अपनी मुहिम में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
कंपनी गुजरात के समुद्री तट पर 4 साल से व्हेल शार्क संरक्षण का कार्यक्रम चला रही है। इसी कड़ी में टीसीएल अब समुद्री शैवालों को बचाने की कवायद में जुट गई है। इसमें मदद के लिए उसने कई और सहयोगी भी जुटा लिए हैं।
सौराष्ट्र के मीठापुर क्षेत्र में व्हेल शार्क और शैवालों की विलुप्त होती प्रजातियों के बारे में जागरूकता फैलाने और शोध के लिए टाटा केमिकल्स, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) और नैशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओशियनोग्राफी ने गुजरात वन विभाग के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस अभियान के लिए टाटा केमिकल्स 2 करोड़ रुपये की राशि देगी जिससे जल संरक्षण के लिए एक शोध केंद्र स्थापित किया जाएगा। टाटा केमिकल्स के प्रबंध निदेशक होमी खुसरोखान कहते हैं, ‘हमारी कंपनी पर्यावरण के संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम जिन स्थानीय लोगों के साथ जुड़े हैं, उनके भले का भी तो हमें ख्याल रखना है। हम इस अभियान के जरिये समुद्री जीवों की विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।’
इस अभियान के जरिये एक अध्ययन किया जाएगा। इस अध्ययन में कई पहलुओं की पड़ताल की जाएगी। मसलन, शार्क व्हेल के पर्यावास, उनका विस्थापन, जीवन चक्र, उनका रहने-सहने का लहजा, संख्या और अनुमान जैसे पहलुओं को इस अध्ययन में शामिल किया जाएगा।
दूसरी ओर, समुद्री शैवालों के बारे में भी ऐसा ही अध्ययन किया जाएगा। जिसमें उनमें विभिन्नता, उनके रहने का स्थान, पर्यावास, उन पर आए खतरे और उससे निपटने के लिए किए जाने वाले उपायों को इस अध्ययन में शामिल किया जाएगा।
साथ ही इस अभियान में कोरल प्लांटेशन पर भी जोर दिया जाएगा। देश में यह अपनी तरह की पहली योजना है। इस अध्ययन में इस क्षेत्र में व्हेल शार्क पर्यटन की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा।
वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के समन्वयक धीरेश जोशी कहते हैं, ‘मीठापुर में 2 किलोमीटर के क्षेत्र में समद्री शैवाल फैले हुए हैं। कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र में भी हम इनकी मौजूदगी चाहते हैं।’ मीठापुर क्षेत्र में मौजूद समुद्री शैवालों की वजह से जलीय जैव विविधता बची हुई है।
फिलहाल अभी तक राज्य के वन विभाग ने 80 व्हेल शार्क को छोड़ा है। राज्य में वन विभाग के प्रमुख सचिव एस. के. नंदा कहते हैं, ‘यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तौर पर एक बड़ी पहल है। दरअसल, बढ़िया जलवायु की वजह से शार्क व्हेल के लिए सौराष्ट्र का तटीय इलाका बहुत अच्छा है। इससे व्हेल शार्क पर्यटन भी बढ़ेगा जिससे स्थानीय लोगों को भी फायदा होगा। ‘
राज्य के वन विभाग ने अनजाने में पकड़ी गई व्हेल शार्क को वापस छोड़ने के दौरान जाल के क्षतिग्रस्त या खो जाने के बदले 25,000 रुपये देने की घोषणा की है।