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  लेख  व्यवस्था बनाने के बाद जरूरी है उसका पालन
लेख

व्यवस्था बनाने के बाद जरूरी है उसका पालन

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —February 5, 2009 2:28 PM IST0
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उस समय मैं जिस कंपनी में काम करती थी, उसका अधिग्रहण न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबध्द किसी कंपनी की सहायक कंपनी ने कर लिया।
नतीजे के तौर पर अचानक हमें उस कंपनी (या फिर उसकी मूल कंपनी) और  सरवेन्स ऑग्जले कानून (एसओएक्स) की पध्दति और प्रक्रिया का अनुपालन करना पड़ा।
अधिग्रहण के कारण ऑफिस की गतिविधियां चक्रवात में बदल गई और इसकी तपिश मेहनतकश मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) और उनकी टीम ने झेला। बाहर से देखने पर कर्मचारी वहां भारी भरकम कागजी काम से लदे और हांगकांग स्थित मुख्यालय से शिष्ट तरीके  से लेकिन तार्किक लहजे में बातचीत में जुटे दिखते थे।
हम बाहर से जब नजारा देखने में कामयाब हो गए तो हमने पाया कि ऑफिस में मदद वाले हाथ हमारे लैपटॉप पर बेतरतीब तरीके से स्टिकर चिपका रहे थे। बाद में हमें किसी ने ई-मेल के जरिए बताया कि कंपनी केमिशन और वैल्यूज हमारे इंट्रानेट पर उपलब्ध थे। हमें इसका जवाब देना था और यह बताना था कि हमें यह ई-मेल मिल गया।
इसके अलावा किसी ने हमारे मोबाइल फोन (जिसका बिल ऑफिस द्वारा भरा जाता था) पर एक नंबर लोड कर दिया। स्पष्ट रूप से यह आपातकालीन नंबर था जिस पर हम अपने एशिया-पैसिफिक मुख्यालय में बात कर सकते थे, अगर ऑफिस में आग लग जाए। हमें बताया गया कि कारोबार जारी रखने की योजना (बीसीपी) के तहत यह आवश्यक था। इसके बाद फायर ड्रिल का आयोजन किया गया आदि…
अंत में एक एसओएक्स ऑडिटर का आगमन हुआ और उसने जांच शुरू की। वह एक अनाकर्षक महिला थी, पर अनुमानत: उसमें थोड़ी बहुत दक्षता थी। वैसे माहौल में मुझे अपने स्कूल के वे दिन याद आ गए, जब स्थानीय इंस्पेक्टर स्कूल पहुंचा करते थे। कड़े नियंत्रण के बीच हम शीशे वाले कॉन्फ्रेंस हॉल की तरफ चोरी छिपे देख रहे थे कि आखिर वह कैसे काम कर रही है। तीन दिन बाद वह चली गई और कारोबार एक बार फिर पहले की तरह चल पड़ा।
अमेरिका में एनरॉन, वर्ल्डकॉम, टायको और दूसरी बड़ी कंपनियों के खाता-बही में बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आने केबाद साल 2002 में एसओएक्स कानून बना था। अमेरिकी एक्सचेंज में सूचीबध्द कंपनियों (और उनकी सहायक कंपनियों) को एसओएक्स द्वारा तय मानदंडों का कडाई से पालन करना पड़ता था ताकि ऐसी धोखाधड़ी दोबारा न होने पाए।
वैधानिक अंकेक्षण से अलग एसओएक्स अंकेक्षण ज्यादा पेचीदा था क्योंकि इसमें न सिर्फ वित्तीय अंकेक्षण होता था बल्कि मानव संसाधन, कानूनी अनुपालन, बीसीपी, आईटी और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी।
इसके अलावा इसमें प्रमोटर्स और मैनेजमेंट की तरफ से ज्यादा से ज्यादा घोषणा (डिस्क्लोजर) आवश्यक थी ताकि उनकी जवाबदेही निर्धारित की जा सके। एसओएक्स अंकेक्षण में अनायास जांच को भी तवज्जो दी जाती है (जिसमें कंपनी को कुछ दिन का नोटिस दिया जाता है) ताकि सच्चाई का पता आसानी से लगाया जा सके। इस तरह से यह क्लाइंट, साझेदार, निवेशक और वैश्विक कारोबार से जुड़े दूसरे पक्षकारों के लिए महत्त्वपूर्ण मानक बन गया।
यहां पते की बात यह है कि सत्यम का भी एसओएक्स अंकेक्षण होना चाहिए था क्योंकि इसके अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट नैसडेक में सूचीबध्द हैं। पिछले महीने हालांकि जब तक राजू ने घोटाले की बाबत कबूलनामा पेश नहीं किया था, कड़ी जांच की यह प्रक्रिया भी घोटाले का पता लगाने में नाकाम रही।
वैधानिक अंकेक्षक प्राइस वाटरहाउस संभावित मिलीभगत की बाबत अब कठघरे में है। कंपनी का दावा है कि वह पूरी तरह निर्दोष है क्योंकि उन्हें जांच के लिए जाली दस्तावेज दिए गए थे। कागजी कार्रवाई की सत्यता की जांच ने अब इसके फरेंसिक अंकेक्षण का रास्ता खोल दिया है।
अब तक यह स्थापित नहीं हो पाया है कि क्या प्राइस वाटरहाउस का दावा उचित है। जैसा कि सत्यम घोटाले से पता चलता है – प्रमोटर्स और मैनेजर्स की घोषणा (इस बाबत उनकी एकता) सारे अंकेक्षण के मूल में है। जैसा कि एक कंपनी के सीईओ ने मुझसे कहा – पारदर्शिता वहीं तक है, जहां तक कि मैं उसकी घोषणा करने की इच्छा रखता हूं।
कुछ साल पहले ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर के पूर्व सीईओ निक मैसे ने कहा था – सिर्फ सिस्टम का होना ही अच्छे प्रशासन की निशानी नहीं है। अच्छा प्रशासन वही है, जहां ऐसे सिस्टम के साथ चलने का चलन हो। यह उस कंपनी के लिए सही था, जहां मैं काम करती थी।
इसकी साख वित्त के मामले में ऊंचे मानदंडों को अपनाने में थी, लिहाजा एसओएक्स अंकेक्षण आवश्यक था, न कि खराब चीजों को हटाने का मौका। इस चीजों के मद्देनजर देखा जाए तो सत्यम के पास भी अनुपालन करने योग्य सिस्टम था।
निश्चित रूप से इसकेबिना वह न तो कमा सकता था और न ही क्लाइंट बना सकता था। अब यह साफ हो चुका है कि राजू और उनकी टीम ने इन चीजों का पालन करना जरूरी नहीं समझा।
भारतीय प्रमोटरों की ईमानदारी पर संदेह (बिना किसी अपवाद के) निवेशकों और विशेषज्ञों के लिए लंबे समय से मुख्य मुद्दा रहा है। इन संदेहास्पद लोगों में से काफी को माफी दी जा चुकी है। संदेह को दबा दिया गया जब उनकी कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया और उदार रूप से बोनस एवं लाभांश का वितरण किया।
वैश्विक कारोबार के अगले चरण में पहुंचने के लिए अच्छा दिखाने से ज्यादा ईमानदारी का महत्त्व बढ़ रहा है। जैसा कि अमेरिका में प्रदर्शित किया है कि कारोबार के मामले में नैतिकता में लचीलापन डरावना या भयावह हो सकता है।

accepting of administration is needful after establishing it
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