जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने अपने पोर्टफोलियो में बड़ा बदलाव किया है। एचडीएफसी बैंक वित्तीय सेगमेंट में उनका पसंदीदा दांव बनकर उभरा है, क्योंकि उनके एशिया एक्स-जापान लॉन्गओनली पोर्टफोलियो में एचडीएफसी में उनका दांव बैंक के मुकाबले कमजोर पड़ जाएगा।
वुड का मानना है कि वित्त क्षेत्र में, एसबीआई, बजाज फाइनैंस, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस और कम्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (कैम्स) उनके भारतीय इक्विटी पोर्टफोलियो में शामिल हैं। वुड ने निवेशकों को अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में लिखा है, ‘भारत में लॉन्ग् ओनली पोर्टफोलियो र्में एचडीएफसी में निवेश समाप्त हो जाएगा और इसकी जगह एचडीएफसी बैंक में निवेश बढ़ जाएगा। हालांकि एचडीएफसी बैंक में निवेश जुड़ने से इंडिया लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस में निवेश एक प्रतिशत तक घट जाएगा।’
वुड का कहना है कि आरबीआई द्वारा ताजा दर वृद्धि सकारात्मक थी और भारतीय केंद्रीय बैंक आखिरकार दर वृद्धि के परिणाम को लेकर चिंतित था।
वुड ने लिखा है, ‘शुरुआती अनिश्चितता को देखते हुए यह सकारात्मक है। आरबीआई ने 8 जून को रीपो दर 50 आधार अंक तक बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दी और वित्त वर्ष 2023 के लिए अपना मुद्रास्फीति अनुमान 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई की अगस्त के शुरू में होने वाली अगली नीतिगत बैठक में अन्य 50 आधार अंक की वृद्धि का अनुमान जताया जा रहा है।’
रियल एस्टेट
मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरों की चिंताओं के बावजूद, जेफरीज भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर पर उत्साहित बनी हुई है और उसका मानना है कि आवासीय चक्र की रफ्तार मजबूत बनी रहेगी।
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदुरकर ने अभिनव सिन्हा के साथ तैयार की गई रिपोर्ट में लिखा है, ‘1990 के दशक के आखिर से लेकर 2003 तक, मॉर्गेज दरें करीब 15 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत रह गईं, लेकिन यह चक्र नीचे बना हुआ है। वहीं 2004-13 की तेजी के दौरान, मॉर्गेज दरें बढ़कर 11 प्रतिशत पर पहुंच गईं। आरबीआई की मौजूदा सख्ती से रुपये में स्थिरता आ सकती है, जो वृद्धि में कमी के मुकाबले ज्यादा है और हम नहीं मानते कि इस समय कोई नया बदलाव है।’
जेफरीज का मानना है कि भारत में आवासीय संपत्ति बाजार में सुधार पहले ही दिखने लगा है और पिछले 12 महीनों के दौरान बिक्री में 35 प्रतिशत तक का सुधार आया है तथा कीमतें पिछली 4-6 तिमाहियों के दौरान कुछ शहरों में दो अंक में बढ़ी हैं।
नंदुरकर और सिन्हा ने लिखा है, ‘वर्ष 2013 से 2020 के बीच सात साल की मंदी से जूझ चुके आवासीय चक्र में मांग बढ़ी है। भले ही आवासीय बिक्री वर्ष 2022 में 50 करोड़ वर्ग फुट के सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंची है, लेकिन यह वर्ष 2010 से महज करीब 1 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढी है।’
