घरेलू निजी इक्विटी फंड ट्रू नॉर्थ महामारी के दौरान निवेश के मामले में काफी आक्रामक पीई फंड रहा है। हाल ही में इसने ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाता एट्रिया कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजिज से अपना निवेश बाहर निकाला है और क्वेस्ट ग्लोबल में निवेश किया है। इसके पहले इसने पॉलिसीबाजार से भी अलग होकर निजी क्रेडिट में कदम रखा था। ट्रू नॉर्थ के पार्टनर आशीष भार्गव ने राघवेंद्र कामत को दिए साक्षात्कार में कहा कि उनकी फर्म डिजिटल क्षेत्र और मेक इन इंडिया पर केंद्रित कंपनियों में अधिक निवेश करने पर जोर दे रही है। पेश हैं संपादित अंश:
पिछले 18 महीनों में कौन से क्षेत्र या विषय-वस्तु आपको आकर्षक लगे?
हमें दो-तीन बातें नजर आ रही हैं। एक बड़ा रुझान डिजिटलीकरण के इर्दगिर्द है। कई फर्म ऐसी हैं जो जन्मजात डिजिटल हैं या फिर बड़ी फर्में भी अब डिजिटल हो रही हैं। दोनों ही मामलों में उन्हें डिजिटल पर जोर देने के लिए मौजूदगी और पूंजी की जरूरत है ताकि वे ग्राहकों के लिए तगड़ा आकर्षण बन सकें। चाहे आप डिजिटल पर ही आधारित वित्तीय प्रौद्योगिकी, शिक्षा-प्रौद्योगिकी या उपभोक्ता कारोबार को लें, सबमें यह विषय-वस्तु नजर आती है। निश्चित रूप से वे हमारी दिलचस्पी का विषय हैं और हम इस पर गहराई से गौर करेंगे। कारोबार को प्रभावित कर रही दूसरी विषय-वस्तु मेक इन इंडिया की संकल्पना है जिसे सरकार भी काफी बढ़ावा दे रही है। एक तरफ हम डिजिटल उद्यमों पर नजर रखे हुए हैं। दूसरी तरफ हम अधिक से अधिक घरेलू विनिर्माण कंपनियों को बाहरी दुनिया से आयात पर निर्भरता कम करते हुए देख रहे हैं। मुझे यकीन है कि बहुत सारी कंपनियां पूंजी जुटाने की कोशिश करती हुई नजर आएंगी क्योंकि वे अधिक से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं को हासिल करना चाहती हैं।
डिजिटल कंपनियों द्वारा लाए जा रहे आईपीओ के बारे में आपकी क्या राय है?
पहली बात, आईपीओ बाजार में इन डिजिटल कंपनियों का उतरना सबके लिए खुशी का बड़ा कारण है। प्रवर्तकों को भी बधाई दी जानी चाहिए जिन्होंने छोटे स्तर से सफर शुरू करने के बाद बड़ा मुकाम हासिल किया है। इनके लिए आईपीओ बाजार अपने-आप में काफी चमकदार होगा क्योंकि वे अब मुख्यधारा में आ जाएंगी और पूंजी जुटाने के लिए सार्वजनिक बाजार अच्छा जरिया होगा।
महामारी के दौरान सौदे संपन्न करने और निवेश से बाहर निकलने में आपको किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
महामारी शुरू होने के बाद जब हमने घरों से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) शुरू किया तो व्यवस्थित होने में थोड़ा वक्त लग गया। मुझे इस नई कार्यशैली का अभ्यस्त होने में 2-3 महीने लग गए। हालांकि एक बार चीजें व्यवस्थित हो जाने के बाद हमारे लिए काम आसान हो गया। लेकिन चुनौती यह रही कि व्यक्तिगत संपर्क न होने से सामने वाले शख्स के अहसास का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। सफर पर रोक होने से काफी लचीलापन भी पाया और बैठकें ज्यादा असरदार होने लगीं। निवेश से निकासी में भी हमें ऑन साइट दौरों के सिवाय कोई खास चुनौती नहीं महसूस हुई।
क्या आपको अपेक्षित रिटर्न में किसी तरह की गिरावट देखने को मिली है?
नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता है। तरलता अच्छी थी और बिक्री-योग्य बढिय़ा एवं रोचक परिसंपत्तियों के लिए तगड़ी मांग बनी हुई थी। मजबूत तरलता और शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए नतीजे आम तौर पर अच्छे रहे हैं और हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप ही हैं।