विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को जल्दबाजी में इक्विटी से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी के बावजूद मजबूत बनी रह सकती है
निवेशकों को कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक लगभग सभी निवेश विकल्पों में नुकसान का सामना करना पड़ा है। वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दर व्यवस्था में बड़े बदलाव के साथ साथ ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से इक्विटी, बॉन्डों, स्वर्ण और क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिफल प्रभावित हुआ है। आशंका है कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं अनुमान से ज्यादा दर वृद्धि, यूरोप में ऊर्जा किल्लत, और चीन में आर्थिक वृद्धि प्रभावित होने से ‘हार्ड लेंडिंग’ की समस्या से जूझ सकती हैं।
चूंकि रूस-यूक्रेन टकराव गहराने, और ताइवान को लेकर अमेरिका-चीन तनाव से भू-राजनीतिक हालात चिंताजनक बने हुए हैं और वृहद आर्थिक समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में कैलेंडर वर्ष 2022 के शेष समय के लिए परिदृश्य चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
इस परिवेश में यह समझना बेहद जरूरी है कि कौन सी निवेश परिसंपत्तियां ज्यादा आकर्षक बनी हुई हैं। निवेशकों को कहां निवेश करना चाहिए?
चुनौतियों के बावजूद, विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में इक्विटी सेगमेंट विश्लेषकों का पसंदीदा बना हुआ है। संभावित मंदी के बावजूद घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार आने से विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को अपनी निवेश योग्य बड़ी राशि शेयरों में लगाने पर ध्यान देना चाहिए।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) जी चोकालिंगम ने निवेशकों को अपनी 40-50 प्रतिशत पूंजी इक्विटी में, 30 प्रतिशत निर्धारित आय विकल्पों, और शेष 20 प्रतिशत सोने या रियल एस्टेट में निवेश करने का सुझाव दिया है।
उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है और जल्दबाजी में इक्विटी से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी के बावजूद मजबूती मिल सकती है। इसकी वजह यह है कि तेल कीमतें (जो भारत की मुख्य चिंताओं में शामिल है) मांग घटने के बीच गिरेंगी और भविष्य में अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। इक्विटी (मिडकैप और स्मॉलकैप) में अगले एक साल के दौरान 15-25 प्रतिशत प्रतिफल मिलने की संभावना है।’
भारतीय इक्विटी बाजार कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक सुरक्षित दांव साबित हुए हैं। सेंसेक्स और निफ्टी-50 सूचकांकों में इस साल अब तक (वाईटीडी) करीब 2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि एसऐंडपी 500 सूचकांक में इस अवधि के दौरान 23.3 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट (एमएससीआई ईएम) सूचकांक 27.7 प्रतिशत नीचे आया।