पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन के मायने क्या हैं?
क्या यह अपने लक्ष्य और जोखिम को ध्यान में रखते हुए डेट और इक्विटी के बीच संतुलन स्थापित करना है।
आप फंड का मूल्यांकन करने की बात कहते हैं। मान लीजिए, मैं किसी इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड ए में छह महीने या फिर साल भर के लिए निवेश करता हूं। फिर इसकी रेटिंग गिर गई तो मैंने इसमें निवेश करना बंद कर दिया और फंड बी में निवेश करना शुरु कर दिया।
इस स्थिति में अब फंड एक की पिछले बारह माह की यूनिटों का मुझे क्या करना चाहिए। उन्हें बेचना ठीक रहेगा या फिर उन्हें तीन से पांच साल के लिए अपने पास रखना चाहिए क्योंकि इक्विटी फंडों के बेहतर रिटर्न देने की स्थिति में आने के लिए इतना इंतजार तो करना ही पड़ेगा ?
सतविंदर सिंह
हां, यह सच है। पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन पर आपकी जानकारी पूरी तरह दुरुस्त है। इसमें एसेट आवंटन अपने लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर होता है।
साथ ही इसमें डेट और इक्विटी के बीच कुछ समयांतराल के बाद संतुलन स्थापित किया जाता है। फंड के मूल्यांकन से हमारा आशय यह है कि फंड के ट्रेक रिकार्ड के आधार पर उसका मूल्याकंन करना।
इस आधार पर इस नतीजे पर पहुंचना कि जो फंड आपने जिस आधार पर चुना था, वह उन मापदंडों पर कितना खरा उतरा है।
अगर फंड की रेटिंग में कोई बड़ी गिरावट आती है तो यह आपके लिए अपने चुनाव की समीक्षा करने का समय है।
हालांकि आपके द्वारा उठाए जाने वाली किसी कदम की सिर्फ यही एक वजह नहीं होनी चाहिए। आपको एक फंड से दूसरे फंड की ओर रुख करते समय एंट्री लोड और लगने वाले कर का भी ध्यान रखना चाहिए।
मैंने छह लाख रुपये फ्रेंकलिन टेंपलटन फिक्स्ड टैन्योर फंड सीरीज-9 प्लान ए (डिविडेंट पेआउट) में मई 2008 को तीन साल के लिए निवेश किया है।
पर अब इसकी वैल्यू घटकर 5.5 लाख रुपये रह गई है। क्या कोई एफएमपी इतना नकारात्मक रिटर्न दे सकती है। क्या आप मुझे बताएंगे कि मैं इसमें निवेश जारी रखुं या फिर इस फंड से बाहर निकल जाऊं ?
टीसी बिलांदनी
फ्रेंकलिन टेंपलटन फिक्स्ड टैन्योर फंड सिरीज-9 प्लान ए (डिविडेंट पेआउट) कोई एफएमपी नहीं है। यह वास्तव में एक तीन साल की अवधि वाला डेट आधारित हाइब्रिड फंड है।
एक डेट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड होने के नाते यह 20 फीसदी तक की पूंजी इक्विटी में निवेश कर सकता है। 31 अक्टूबर 2008 तक इस फंड का इक्विटी में एक्सपोजर 16.8 फीसदी था।
26 नवंबर 2008 को फंड की एनएवी 9.23 रुपये थी। इक्विटी वैल्यू में आई गिरावट के कारण ही एनएवी कम होती है। इक्विटी में कम आवंटन वाले फंडों में निवेश स्थायी होता है क्योंकि इसमें कम गिरावट होती है, लेकिन इसके यह मायने नहीं कि इसे पूरी तरह से गिरावट से सुरक्षा मिली हुई है।
अगर शेयर बाजारों में कमजोरी बरकरार रही तो इस तरह के निवेश में तीन साल की अवधि में भी अच्छे रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है।
फंडों में निवेश करना कितना सुरक्षित है। एएमसी की लाइबिलिटी क्या है?
अनिल अरोड़ा
म्युचुअल फंड को समझने का सबसे आसान तरीका यह है कि यह किसी वाहन की सवारी जैसा ही है।
इसमें अगर आपने निवेश किया है तो इसके मायने यह है कि फंड से जुड़े सारे जोखिम में आपका एक्सपोजर हो गया है। वास्तव में म्युचुअल फंड एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो है।
यह सीधे निवेश की तुलना में अधिक सुरक्षित है। लेकिन जब यह एक वाहन की सवारी जैसा हो तो इसमें नुकसान या फिर फायदा होने की सारी संभावनाएं होती हैं।
बाजार में होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी एएमसी की नहीं हो सकती। पर भारत में म्युचुअल फंड सेबी के नियम से चलते हैं। यहां इस बात को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की जाती है कि एएमसी कंपनियां फंडों का काम पूरी ईमानदारी से करें।
सेबी की नियमावली का उल्लंघन करने वाले को भारी जुर्माना भरना पड़ता है। यहां तक की उनका लाइसेंस भी छीना जा सकता है।
मैं एसबीआई मैग्नम ग्लोबल फंड में एसआईपी के माध्यम से 3000 रुपये प्रतिमाह निवेश कर रहा हूं। वर्तमान में बाजार में आई गिरावट से मुझे काफी नुकसान हुआ है। क्या मैं अपना निवेश जारी रखुं ?
मैग्नम ग्लोबल फंड 2004 व 2005 में सबसे बेहतर इक्विटी फंड रहे थे क्योंकि इसने जिन सेक्टरों में निवेश किया था, उनके शेयरों की कीमतों में बेहद इजाफा हुआ था। लंबी अवधि के निवेश में इसने जितना रिटर्न दिया था।
वह आज तक अपने आप में इतिहास है। लेकिन इसके बाद 2008 में इसे काफी गिरावट का सामना करना पड़ा। लेकिन इसके बाद भी इसने दूसरे फंडों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
अगर आपका लक्ष्य कुछ सालों तक निवेश करने का हो तो आप एसआईपी के मार्फत निवेश जारी रख सकते हैं।
मेरी उम्र 33 साल की है। मैं एसआईपी के माध्यम से पांच साल तक 1,000 रुपये निवेश करना चाहता हूं। दूसरे 1,000 रुपये रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर 15 साल के लिए निवेश करना चाहता हूं।
कृपया मुझे इन दोनों लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अच्छे फंड बताएं।
राजेश भुवा
हम आपको सलाह देते हैं कि आप पांच साल की अवधि के लिए एक बैलेंस फंड और रिटायरमेंट के लिए एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड का चुनाव करें। शुरुआत के लिए आप 5 या फिर चार स्टार वाले फंडों को चुन सकते हैं।
बैलेंस फंडों में डीएसपीबीआर बैलैंस्ड, कैनरा रोबेको बैलेंस, एफटी इंडिया बैलेंस और कोटक बैलेंस हैं। इक्विटी फंड के लिए डीएसपी ब्लैक रॉक इक्विटी, बिड़ला फ्रंटलाइन इक्विटी, डीडब्ल्यूएस अल्फा इक्विटी और कोटक-30 आदि में से किसी को चुन सकते हैं।
आप अपनी पसंद तय करें और नियमित रूप से निवेश करना शुरु करें। हर साल के अंत तक अपनी स्थिति का जायजा जरूर लें।
अगर मैं कोई मुनाफा बाहर न निकालूं और अपना निवेश और मुनाफा दोनों उसी शेयर में फिर से निवेश कर दूं तो मुझ पर टैक्स किस आधार पर लगेगा ?
क्या हम रोजाना के लेन-देन को रिकार्ड करने के बजाय साल के अंत में शुध्द लाभ या हानि दर्शा सकते हैं ? कृपया संदेह दूर करें ?
शंकर शेखर
पहले आप यह समझ लें कि निवेशक को उस समय कर देना होता है जब वह शेयर मुनाफे में बेचता है। इक्विटी शेयर के मामले में अगर शेयर 365 दिन से अधिक तक अपने पास रखे जाएं तो इसमें अर्जित आय पर कर नहीं लगता।
अगर शेयर को खरीदने के बाद 365 दिन के भीतर बेच दिया जाए तो 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स देय होता है।
इस बात से यहां कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने शेयर को कितनी बार बेचा है। आपको लाभ के रूप में अर्जित कुल राशि पर कर देना होगा।
इसकी गणना वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर की जाती है जब आप आयकर रिटर्न भरते हैं। इसमें होल्डिंग पीरियड के आधार पर शुध्द पूंजी लाभ और नुकसान की गणना की जाती है।