प्रॉक्सी सलाहकार फर्म इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के कंपनी शासन के तौर-तरीकों पर चिंता जताते हुए इसके शेयरधारकों से दो स्वतंत्र निदेशकों की पुनर्नियुक्ति के खिलाफ मतदान करने की सलाह दी है।
सलाहकार फर्म ने स्वतंत्र निदेशकों अशोक कुरियन और मनीष चोखानी को ज़ी के बोर्ड में दोबारा नियुक्ति को मंजूरी न देने की सलाह देते हुए कहा है कि कुरियन ज़ी समूह के संस्थापक रहे हैं और कंपनी द्वारा उन्हें गैर-प्रवर्तक का दर्जा देने के बावजूद इसके लिए कोई नियामकीय मंजूरी नहीं ली गई है। इस तरह कुरियन अब भी ज़ी समूह के एक प्रवर्तक ही माने जाएंगे।
आईआईएएस ने कहा, ‘कुरियन वर्ष 2019-20 में ऑडिट समिति के सदस्य थे और संबंधित पक्ष से हुई लेनदेन पर हुए नुकसान के लिए वह जवाबदेह भी हैं।’ फर्म ने बोर्ड में मीडिया और डिजिटल कारोबार की समझ रखने वाले पेशेवरों के सही संयोजन को लाने की जरूरत बताते हुए कहा कि पुराने प्रवर्तकों को बोर्ड में रखने से कड़े फैसले लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
ज़ी के एक प्रवक्ता ने आईआईएएस की इस आपत्ति का खंडन करते हुए कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों में ऑडिट समिति ने पारदर्शिता लाने और कंपनी शासन को मजबूती देने के लिए कई नीतियां एवं कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया में संबंधित निदेशकों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है। एनआरसी और बोर्ड ने सर्वसम्मति से निदेशकों की फिर से नियुक्ति की सिफारिश शेयरधारकों से की है। कुछ अन्य प्रॉक्सी सलाहकार फर्मों ने इसके पक्ष में संस्तुति की है।’
चोखानी के बारे में आईआईएएस ने कहा है कि ज़ी ऐंटरटेनमेंट का बोर्ड उन्हें गैर-कार्यकारी गैर-स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त करने का चाहता है। चोखानी पांच वर्ष का पिछला कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। वह वर्ष 2019-20 में ऑडिट समिति का भी हिस्सा थे।