सेंसेक्स और निफ्टी-50 ने पिछले कुछ महीनों से शानदार तेजी दर्ज की है और नई ऊंचाइयों को छुआ है। भारत में नोमुरा के प्रबंध निदेशक और इक्विटी शोध प्रमुख सायन मुखर्जी ने एक साक्षात्कार में पुनीत वाधवा को बताया कि बाजार में जून 2021 तिमाही से आय सुधार का असर पहले ही दिख चुका है। उनका मानना है कि आगामी महीनों में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। पेश हैं मुख्य अंश:
अमेरिकी फेडरल के बाद क्या अन्य वैश्विक केंद्रीय बैंक भी अब वृद्घि में सुधार को देखते हुए आसान मौद्रिक नीति मेंं नरमी लाने पर विचार कर सकते हैं?
फेड के ताजा कदम से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक ने आगामी महीनों में बॉन्ड खरीदाररी में नरमी लाने का संकेत दिया है। हमारे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फेडरल की ओर से दिसंबर में इस नरमी की घोषणा की जा सकती है। हालांकि बाजार नजरिये से यह स्थिति उतनी ज्यादा चिंताजनक हीं है, जितनी कि 2013 में थी। बाजार इससे अवगत है। मौद्रिक नीति को सामान्य बनाए जाने की रफ्तार पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी।
उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह के लिए आगामी राह कैसी है?
भारत और उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह कैलेंडर वर्ष 2020 के स्तरों के मुकाबले धीमा पड़ा है। हालांकि चीन में आर्थिक वृद्घि को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं। इसके अलावा, अन्य देशों ने कोविड-19 मामलों में तेजी दर्ज की है, जबकि भारत में मामलों में नई तेजी नहीं देखी गई है। इसलिए, भारत को एशियाई इक्विटी बाजारों में अपेक्षाकृत स्थिर परिवेश का लाभ मिल सकता है।
अगले कुछ महीनों में भारतीय बाजारों की चाल कैसी रहेगी?
मई 2021 में भारत में कोविड-19 मामले बढऩे के बाद से भारतीय बाजारों ने उभरते बाजार प्रतिस्पर्धियों को मात दी है। भारतीय बाजार के मजबूत प्रदर्शन को काफी हद तक मूल्यांकन मल्टीपल में वृद्घि से मदद मिली है। आय उम्मीदें काफी हद तक स्थिर रही हैं। बाजार में जून 2021 तिमाही के स्तरों से आय में सुधार का असर दिख रहा है।
आय सुधार, पीएलआई योजना, और चाइना+ रणनीति अब चर्चित कारक बन गए हैं। कौन से नए कारक अगले कुछ महीनों में बाजार की चाल को बदल सकते हैं?
वृहद मोर्चे पर, यह देखना जरूरी होगा कि आगामी तिमाहियों में वृद्घि की रफ्तार कैसी रहेगी। आधार प्रभाव से परे, बाजार सतत वृद्घि दर पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। कोविड-19 का वृद्घि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और 2021 के लिए भारत की जीडीपी महामारी से पहले जताए गए अनुकान के मुाकबले 10 प्रतिशत कम रह गई। बाजार में उम्मीद है कि सरकारी नीतिगत कदमों और अनुकूल तरलता हालात से निरंतर वृद्घि सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्य जोखिम क्या हैं?
कोविड-19 एक ऐसा जोखिम बना हुआ है जिसका वृद्घि पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। उपभोक्ता धारणा कमजोर है और कॉरपोरेट पूंजीगत खर्च में तेजी आनी बाकी है। ये दो कारक सकारात्मक बनने में विफल रहे हैं जिससे मौजूदा वृद्घि अनुमानों के लिए जोखिम पैदा होगा। सख्त तरलता स्थिति भी बाजार के लिए एक संभावित जोखिम है।
ओवरवेट और अंडरवेट सेक्टर कौन से हैं?
प्रमुख ओवरवेट सेक्टर हैं इन्फ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, आईटी सेवा, और कुछ खास वित्तीय कंपनियां। चीन में इस्पात उत्पादन कटौती इस्पात क्षेत्र के लिजए सकारात्मक है। हालांकि, कोविड मामलों में तेजी की वजह से ताजा चिंताएं अमेरिका और चीन में आर्थिक वृद्घि को लेकर उभरी हैं। इसके अलावा कच्चे माल की कीमतें भी ऊंची बनी हुई हैं। इसलिए हम धातु क्षेत्र पर तटस्थ हैं। हम वाहन, उपभोक्ता और सीमेंट पर अंडरवेट हैं।
क्या अगले कुछ महीनों के दौरान बीटा दांव से पूंजी फार्मा, एफएमसीजी और आईटी जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों में जाएगी?
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर तेज होने के बाद से, आईटी और उपभोक्ता जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों ने निफ्टी-50 सूचकांक को मात दी है। हालांकि हम आईटी पर ओवरवेट बने हुए हैं, लेकिन हमने बड़ी तेजी को देखते हुए इस क्षेत्र पर हाल में भारांक घटाया है। फार्मा ने कमजोर प्रदर्शन किया है और हमें उम्मीद है कि आगामी तिमाहियों में अच्छा सुधार आ सकता है।