चूंकि सुस्त वृद्घि और कमजोर तरलता के परिवेश में निवेश के लिए इक्विटी निवेशकों को संघर्ष करना पड़ा है, वहीं नकदी संपन्न आईटी सेवा निर्यातक – टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, और टेक महिंद्रा निवेशकों के नए पसंदीदा शेयर हैं। भारत के आईटी दिग्गजों के लिए निवेशकों के ताजा लगाव से इन कंपनियों के मूल्यांकन एक दशक में सर्वाधिक ऊंचे स्तरों पर पहुंच गए हैं।
भारत की प्रमुख पांच आईटी कंपनियां मौजूदा समय में औसत तौर पर अपने पिछले 12 महीने के शुद्घ लाभ के 24.9 गुना पर कारोबार कर रही हैं, जो मार्च 2011 के बाद से सर्वाधिक है। मार्च 2011 में ये शेयर अपनी पिछली आय के 25.2 गुना पर कारोबार कर रहे थे।
बुधवार को इन कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 18.4 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इस साल 30 जून को समाप्त चार तिमाहियों में संयुक्त शुद्घ लाभ करीब 73,740 करोड़ रुपये था।
प्रमुख पांच आईटी शेयरों का पीई मल्टीपल इस साल मार्च के अंत में घटकर 16.8 गुना के 10 तिमाहियों के निचले स्तर पर रह गया। हालांकि भारत की आईटी कंपनियां अभी भी प्रमुख सूचकांक के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत नीचे कारोबार कर रही हैं। निफ्टी-50 सूचकांक मौजूदा समय में अपने पिछले 12 महीनों के मुकाबले 33 गुना पर कारोबार कर रहा है, जो सर्वाधिक ऊंचाई के आसपास है।
दरअसल, प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयर सितंबर के दौरान सकारात्मक प्रतिफल देने वाले एकमात्र शेयर रहे, क्योंकि प्रमुख सूचकांक में भी कमजोरी देखी गई। प्रमुख पांच आईटी शेयरों में सितंबर में औसत तौर पर करीब 11 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, जो निफ्टी-50 सूचकांक में 1.2 प्रतिशत की गिरावट के विपरीत है।
कुछ खास कंपनियों की बात की जाए तो टीसीएस करीब 30 गुना के पीई मल्टीपल के साथ बेहद महंगी है, जिसके बाद 25.2 गुना के पीई के साथ इन्फोसिस है। विप्रो 18.3 गुना के पीई मल्टीपल के साथ प्रमुख पांच में सबसे कम महंगा शेयर है।
पिछले 6 महीने आईटी शेयरों के लिए 11 वर्षों में सबसे अच्छे रहे। प्रमुख पांच आईटी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण इस साल मार्च से 48 प्रतिशत तक चढ़ा है, जो मार्च-सितंबर 2009 (जब संयुक्त बाजार पूंजीकरण 115 प्रतिशत बढ़ गया था) के बाद से 6 महीने की अवधि में इनका सबसे अच्छा प्रदर्शन है।
विश्लेषकों का कहना है कि आईटी शेयरों में मौजूदा तेजी बैंकिंग तथा कंज्यूमर जैसे अन्य क्षेत्रों में विकास अवसरों के अभाव की वजह से भी दिखी है। आईटी कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभ 30 जून को समाप्त हुई चार तिमाहियों के दौरान सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत तक बढ़ा, जबकि उनकी शुद्घ बिक्री में 6.9 प्रतिशत तक का इजाफा दर्ज किया गया। ये दोनों आंकड़े पिछले दो वर्षों में सबसे कम थे।
सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा का कहना है, ‘इन शेयरों की वृद्घि की रफ्तार धीमी पड़ी है, लेकिन आईटी क्षेत्र में अभी भी आय संभावना बनी हुई है, जबकि कई अन्य क्षेत्रों को कोविड-19 की वजह से आय पर दबाव का सामना करना पड़ा है।’
सिन्हा के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियों के मूल्यांकन की रेटिंग में बदलाव पिछले 6 महीनों में आईटी शेयरों में दर्ज की गई वैश्विक तेजी के अनुरूप है।
आईटी कंपनियों का संयुक्त शुद्घ लाभ जून 2020 की तिमाही में सपाट रहा, जबकि इस तिमाही में निफ्टी-50 कंपनियों की संयुक्त आय में सालाना आधार पर 26 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। कई विश्लेषकों को आगामी तिमाहियों में आईटी कंपनियों द्वारा मजबूत राजस्व और मुनाफा वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है, क्योंकि वर्क-फ्रॉम-होम परिदृश्य और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएगा।
इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘महामारी ने आईटी कंपनियों के लिए नए डिजिटल अवसर पैदा किए हैं, क्योंकि ज्यादातर व्यावायिक गतिविधियां अब ऑनलाइन पर केंद्रित हो गई हैं। इससे निवेशकों में यह उम्मीद बढ़ी है कि आईटी कंपनियां अगली कुछ तिमाहियों में अच्छी आय वृद्घि दर्ज करेंगी।’
