देश के चौथे सबसे बड़े म्युचुअल फंड यूटीआई ऐसेट मैंनेजमेंट ने अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना को फिलहाल ठंढ़े बस्ते में डाल दिया है। यूटीआई के इस फैसले के पीछे खरीदारों की ओर से मिल रहे अपेक्षाकृत कम कीमत को जिम्मेदार माना जा रहा है।
इस बाबत एएमसी के एक प्रवर्तक बैंक के सूत्र ने कहा कि पिछले साल गर्मी के समय में जब यूटीआई ऐसेट मैंनेजमेंट आईपीओ लाने की योजना बना रही थी तब जो कीमतें तय हुई थी उससे कहीं कम कीमतें दी जा रही थी जिसकी वजह से यूटीआई एसेट मैंनेजमेंट को हिस्सेदारी को बेचने का फैसला टालना पडा।
बाद में फंड हाउस ने बाजार में प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए अपनी आईपीओ लाने की योजना का रद्द कर दिया। उल्लेखनीय है कि यूटीआई एसेट मैंनेजमेंट अपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी के बेचने केलिए कुछ विदेशी बैंकों और प्राइवेट इक्विटी फर्म से बात कर रही थी।
यूटीआई एसेट मैंनेजमेंट ने मुख्य रूप से प्राइवेइ प्लेसमेंट के बाद आईपीओ लाने की योजना बनाई थी जिससे इसके चार प्रवर्तकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी घटकर 51 फीसदी रह जाती।योजना चूंकि 2,500 करोड रुपये जुटाने की योजना थी।
