भारत का नया स्टॉक एक्सचेंज यूनाइटेड स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (यूएसई) इक्विटी गठजोड़ या तकनीक प्राप्त करने के लिए जाने माने विदेशी एक्सचेंजों से बातचीत कर रहा है।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि शिकागो स्थित शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (सीएमई) से पहले से ही बातचीत चल रही है। इसके अलावा, यूएसई वैसे अग्रणी विदेशी एक्सचेंजों से भी बातचीत कर रहा है जिनकी उपस्थिति अभी तक भारत में नहीं है।
बातचीत के प्राथमिक चरण में होने से सूत्र ने विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया। यूएसई के प्रवक्ता ने भी इस पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं दी। हालांकि, यूएसई एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) से भी बातचीत कर रहा है और उसे इक्विटी हिस्सेदारी की पेशकश भी की है।
घरेलू एक्सचेंज होने की वजह से बीएसई इस नए एक्सचेंज में अधिकतम 15 फीसदी तक की हिस्सेदारी ले सकता है। यह बात अलग है कि बीएसई ने इस बाबत अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों ने इक्विटी हिस्सेदारी ली है जिनमें बैंक ऑफ इंडिया प्रमुख है।
हाल ही में पंजाब नैशनल बैंक ने यूएसई में 2 प्रतिशत की इक्विटी हिस्सेदारी ली है। दो निजी बैंकों ने भी इक्विटी हिस्सेदारी ली है। इस एक्सचेंज की शुरुआती पूंजी 150 करोड़ रुपये की है। इसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की और 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कारोबारी कंपनी मिनेरल्स ऐंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (एमएमटीसी) की हिस्सेदारी इस एक्सचेंज में 15 फीसदी की है। दिल्ली स्थित जेपी कैपिटल सर्विसेज ने इस एक्सचेंज में प्रमुखता से निवेश किया है। यूएसई एक्सचेंज के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के चयन करने के अंतिम चरण में है।
तकनीकी और अन्य जरूरतों को इसके तुरंत बाद निपटाया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराने वालों से बातचीत चल रही है। जेपी समूह डेरिवेटिव बाजार में बड़ा कारोबार करने वालों में शामिल है।
अनुमान है कि जेपी और एमएमटीसी कारोबार में बढ़ोतरी करेंगे। एमएमटीसी का विदेशी मुद्रा में निवेश काफी अधिक है क्योंकि यह जिंसों के प्रमुख आयातकों में से एक है। जेपी समूह डेरिवेटिव बाजार में बड़ा कारोबार करने वालों में शामिल है। अनुमान है कि जेपी और एमएमटीसी कारोबार में बढ़ोतरी करेंगे।
