बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और कच्चे तेल में तेजी से सितंबर के दौरान बाजार द्वारा बनाई गई बढ़त प्रभावित हुई। 5 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी के बाद सेंसेक्स महीने के आखिर में महज 2.7 प्रतिशत की बढ़त दर्ज करने में सफल रहा। महज पांच कारोबारी सत्रों में अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में 25 आधार अंक की तेजी के बीच वैश्विक निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली के कारण गुरुवार को, इस सूचकांक में लगातार तीसरे दिन गिरावट आई।
30 शेयर वाला सेंसेक्स 59,126 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक गिरकर 17,618 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स सोमवार को दिन के कारोबार में दर्ज किए गए 60,412 के ऊंचे स्तर से 1,286 अंक नीचे आ चुका है। विश्लेषकों का कहना है कि यदि छोटे और घरेलू निवेशकों से खरीदारी समर्थन हासिल नहीं हुआ तो वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से यह सूचकांक और नीचे आ सकता है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में खुदरा शोध के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘निफ्टी लगातार तीन सत्रों से गिरा है, जो करीब दो महीने में इस सूचकांक के लिए सबसे लंबी गिरावट है। हालांकि निफ्टी में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई और दिन के कारोबार की बिकवाली के बाद उसमें कुछ सुधार दर्ज किया गया, लेकिन तथ्य यह है कि निफ्टी लगातार तीन सत्रों से नीचे बंद हुआ जो कुछ हद तक चिंताजनक है।’
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्घि, तेल कीमतों में वृद्घि का प्रभाव और चीन संकट जैसी चिंताओं से निवेशक धारणा प्रभावित हो रही है।
उनका कहना है कि अगस्त से आई भारी तेजी के बाद निवेशक अब अपनी परिसंपत्ति आवंटन रणनीतियों में बदलाव कर रहे हैं। वैश्विक के साथ साथ घरेलू बॉन्ड प्रतिफल में और ज्यादा तेजी से रिस्क-रिवार्ड इक्विटी बाजार के लिए प्रतिकूल साबित हो सकता है।
इस बीच, अमेरिका में सरकारी रियायत आगे बढ़ाने की कोशिश और केंद्रीय बैंक के आश्वासन ने निवेशक धारणा को ज्यादा नकारात्मक बनने से रोका है।
बॉन्ड प्रतिफल में वृद्घि को लेकर पैदा हुई चिंताओं के बीच अमेरिका और यूरोप में केंद्रीय बैंकों से प्रतिक्रियाओं ने निवेशकों का भरोसा फिर से लौटाया है।
बुधवार को, अमेरिकी सीनेट मैजॉरिटी लीडर चुक शुमर ने कहा कि शुक्रवार को सरकारी सख्ती टालने पर सहमति बनी थी और सरकारी खर्च को 3 दिसंबर तक बढ़ाया गया है।
चीन में फैक्टरी उत्पादन महामारी फैलने के बाद से सितंबर में पहली बार नीचे आया। देश का मैन्युफेक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सितंबर में 49.5 पर था।
विश्लेषकों का कहना है कि पीएमआई में गिरावट से चीनी अर्थव्यवस्था में कमजोरी का संकेत मिलता है, क्योंकि देश को विद्युत किल्लत और कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट का सामना करना पड़ रहा है। इस सप्ताह के शुरू में गोल्डमैन सैक्स ने चीन के लिए अपना आर्थिक अनुमान घटाया था और इसके लिए विद्युत किल्लत से पैदा हुए दबाव का हवाला दिया। यह ऊर्जा संकट ओलिम्पिक से पहले उत्सर्जन घटाने के चीन सरकारी के प्रयासों के बीच पैदा हुआ है और इससे बड़ी तादाद में घरों तथा कारखानों, ऐपल तथा टेस्ला जैसे आपूर्तिकर्ताओं के लिए बिजली कटौती को बढ़ावा मिला है।
