शराब की इस कंपनी का मार्च की तिमाही में बेहतर होता लेकिन कंपनी के ऊपर कर्ज का बोझ है।
दिसंबर 2008 की दुखद तिमाही, जिसमें पेराई में विलंब होने की वजह से शीरे की कीमतें बढ़ गई थीं और इस कारण कंपनी के परिचालन मार्जिन में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी, में यूनाइटेड स्पिरिट्स का आंकड़ा मार्च तिमाही के नजरिये से बढ़िया था।
स्टैंड-एलोन राजस्व 20 प्रतिशत से कम बढ़ कर 908 करोड रुपये रहा। यद्यपि परिचालन लाभ मार्जिन 1.10 आधार अंक घट कर लगभग 16 प्रतिशत के स्तर पर आ गया जिससे कर-पश्चाात लाभ 14.5 प्रतिशत घट कर 55.6 करोड रुपये रहा।
परिणामस्वरूप, राजस्व में 21.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो ने बावजूद साल 2008-09 का शुध्द लाभ 5 फीसदी से कम घट कर 297 करोड रुपये रहा। विश्लेषकों का अनुमान है कि यूनाइटेड स्पिरिट्स का एक स्कॉच ह्विस्की ह्वाइट ऐंड मैके, जिसका अधिग्रहण मई 2007 में किया गया था, का योगदान परिचालन लाभ मार्जिन के स्तर पर देखा जाएगा लेकिन इसका असर शायद शुध्द लाभ के स्तर पर न हो।
अधिग्रहण के बाद से स्कॉच की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है लेकिन ह्वाइट ऐंड मैके का फायदा उस कीमत पर निर्भर करता है जिसके अंतर्गत करार किए गए हैं। आकलित तौर पर इसके राजस्व का 70 प्रतिशत अनुबंधों से होने वाली बिक्री से आता है।
इसके अतिरिक्त, ऐसा संभव है कि वर्तमान परिस्थिति में स्कॉच की खपत वैश्विक स्तर पर कम हो और कीमतों में गिरावट देखने को मिले। इन दोनों बातों से ह्वाइट ऐंड मैके को नुकसान होगा। प्रबंधन ने कहा कि ह्वाइट ऐंड मैके कंपनी पर वित्तीय बोझ नहीं है लेकिन अंकेक्षित परिणाम ही सही तस्वीर दिखा पाएंगे।
इस साल अनुमान है कि यूनाइटेड स्पिरिट्स का समेकित राजस्व लगभग 6,600 करोड़ रुपये होगा जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 फीसदी अधिक है। जबकि आय में 15 से 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी चाहिए। इस कंपनी पर कर्ज का बोझ अधिक है। अनुमान है कि शुध्द कर्ज परिचालन लाभ का लगभग 4 गुना है।
निश्चय ही, कंपनी के पास ट्रेजरी स्टॉक है जिसे बेचा सकता है और किसी नीतिगत साझेदार को इक्विटी हिस्सेदारी बेचने की बात भी चल रही है। कल के सत्र में इस शेयर की कीमतें 4 प्रतिशत घटीं। 710 रुपये पर इसके शेयरों का कारोबार साल 2009-10 की अनुमानित आय के 19 गुना से कम पर किया जा रहा है, जो सस्ता नहीं है।
सिप्ला: विदेश में सब खैरियत नहीं
रुपये के अवमूल्यन की वजह से मार्च तिमाही में इस दवा कंपनी का निर्यात प्रदर्शन दुखी करने वाला रहा है। अनुमान से कम विदेशी मुद्रा विनिमय घाटा और तकनीकी लाइसेंस के शुल्क अधिक होने से मार्च 2009 की तिमाही में सिप्ला के शुध्द लाभ में बढ़ोतरी हुई है।
घरेलू फॉर्मूलेशन में लगभग 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी उद्योग के प्रदर्शन की तुलना में बेहतर थी लेकिन इस तिमाही के दौरान रुपये में 20 प्रतिशत से अधिक का अवमूल्यन होने से इस प्रमुख दवा कंपनी का अपेक्षाकृत निर्यात कम रहा।
निर्यात किए जाने वाले फॉर्मूलेशन में केवल 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो दिसंबर 2008 को समाप्त हुए नौ महीनों के 36 प्रतिशत से काफी कम है। इस प्रकार अनुमान है कि साल 2008-09 में सिप्ला का शुध्द लाभ लगभग 12से 14 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इनमें 10 प्रतिशत से कम बढ़ोतरी हुई और यह 768 करोड रुपये रहा।
प्रबंधन के संकेतों के अनुसार वर्तमान वर्ष में राजस्व और लाभों में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी (स्थिर मुद्रा आधार पर)। हालांकि, यह वृध्दि दर पारंपरिक लगती है क्योंकि घरेलू बाजार अपेक्षाकृत तेजी से बढ रहा है।
240 रुपये पर इस कंपनी के शेयरों का कारोबार साल 2009-10 की अनुमानित आय के लगभग 18 गुना पर किया जा रहा है, जिसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह खर्चीला है।
