इस साल वित्तीय क्षेत्र के शेयरों के कमजोर प्रदर्शन ने ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए को चौंकाया है। निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज इंडेक्स इस साल अब तक 8.1 फीसदी चढ़ा है जबकि इसकी तुलना में निफ्टी-50 इंडेक्स में 9.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। हाल तक वित्तीय क्षेत्रों का प्रदर्शन और भी ज्यादा कमजोर रहा है और इन शेयरों ने पिछले एक हफ्ते में थोड़ी मजबूती दर्ज की है।
सीएलएसए के इक्विटी रणनीतिकार विकास कुमार जैन ने कहा, भारत में वित्तीय क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन अटपटा लग सकता है क्योंंकि भारत में अच्छी गुणवत्ता वाले और सम्मानित कंपनियां इस क्षेत्र में है। इसके अतिरिक्त भारतीय बैंक कई साल के क्रेडिट चक्र से उबर रहे हैं, जिससे उनके क्रेडिट लागत में काफी कमी आनी चाहिए।
सीएलएसए ने कहा कि वित्तीय शेयरों ने इस साल दुनिया के 19 अग्रणी बाजारों में से 14 ने अपने-अपने देश के बेंचमार्कों से बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि निवेशक इस क्षेत्र को अहम रीफ्लेशन ट्रेड के रूप में देख रहे हैं।
भारत के संदर्भ में वित्तीय शेयरों के प्रदर्शन का बाजार पर काफी असर पड़ता है क्योंंकि बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी सूचकांकों उनका भारांक सबसे ज्यादा है। हॉन्ग-कॉन्ग की ब्रोकरेज फर्म को उम्मीद है कि वित्तीय शेयरों का प्रदर्शन आने वाले समय में बेहतर रहेगा। जैन ने एक नोट में कहा, कोरोना के हालिया उच्चस्तर के बाद निवेशकों का ध्यान आगामी महीनों में आर्थिक स्थिति के सामान्य होने की ओर केंद्रित होगा जबकि बैंकों का सापेक्षिक मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत से नीचे है और विदेशी संस्थागत निवेशकों के ओवरवेट का स्तर कई साल के निचले स्तर पर है। सीएलएसए के भारत केंद्रित पोर्टफोलियो में हम एचसीएल टेक को हटाकर ऐक्सिस बैंक को शामिल कर रहे हैं क्योंकि पिछले दो महीनों में मजबूत प्रदर्शन के बाद हम सुरक्षात्मक शेयरों का भारांक घटा रहे हैं।
सीएसएसए ने पाया है कि दूसरी लहर से बैलेंस शीट पर पडऩे वाले जोखिम की भरपाई के लिए भारत के लार्जकैप बैंकों के पास सरप्लस प्रोविजन है। साथ ही कई बैंक लंबी अवधि के औसत पीई मूल्यांकन से मामूली ऊपर ट्रेड कर रहे हैं।
निफ्टी-50 इंडेक्स गुरुवार को फरवरी के पिछले सर्वोच्च स्तर के पार निकल गया। बैंक निफ्टी इंडेक्स अभी फरवरी के अपने उच्चस्तर से 7 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है।
बैंंकिंग शेयरों को लेकर पहले के मुकाबले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का नजरिया अभी कम तेजी का रहा है। सीएलएसए ने एक नोट में कहा, बैंकों पर एफपीआई का ओवरवेट घटकर अप्रैल 2021 में कई साल के निचले स्तर 7.7 फीसदी पर आ गया, जो बताता है कि कई वर्षों में एफआईआई का पोजीशन इस क्षेत्र में काफी कम है। देसी म्युचुअल फंडों का बैंकों पर ओवरवेट भी 2019 के दिनों के मुकाबले काफी कम है।
