म्युचुअल फंड ट्रेस्टियों के लिए जिंदगी आसान बनाने के मकसद से जुड़े नियामकीय आदेश ने इस उद्योग को अनिश्चितता में डाल दिया है।
10 अगस्त के सर्कुलर में ट्रस्टियों को अपने कार्य में मदद के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य बनाए जाने की बात कही गई। इस अधिकारी की जिम्मेदारी के बारे में स्पष्टता के अभाव के अलावा, उद्योग की कंपनियों का मानना है कि इसके लिए 1 अक्टूबर की समय-सीमा का पालन करना लगभग असंभव होगा। कुछ ट्रस्टियों का मानना है कि यह नियुक्ति परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) पर निगरानी रखने की उनकी जिम्मेदारी बढ़ा सकती है।
पिछले कुछ दिनों के दौरान, ट्रस्टियों और प्रमुख एएमसी अधिकारियों में इस संबंध में समाधान तलाशने की होड़ देखी गई है। म्युचुअल फंड उद्योग संगठन एम्फी ने उद्योग की चिंता को जाहिर करते हुए नियामक को लिखे पत्र में कहा कि ट्रस्टी व्यक्तिगत तौर पर नियामक के पास पहुंच रहे हैं और इस मुद्दे पर स्पष्टता की मांग कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए, ट्रस्टियों और बड़ी एएमसी के वष्ठि अधिकारियों के बीच हुई एक ताजा बैठक में इसे लेकर बहस हुई थी कि क्या सेबी के पूर्व अधिकारी को इस जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त माना जाएगा या पूजी बाजार क्षेत्र में लंबे अनुभव वाले किसी बाहरी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
