भारतीय शेयर बाजारों में कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान शानदार बढ़ोतरी दर्ज हुई है और एसऐंडपी बीएसई इंडेक्स 19 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। बीएसई पर मिडकैप व स्मॉलकैप सूचकांकों में बढ़ोतरी इससे भी ज्यादा रही है और इनमें क्रमश: 38 फीसदी व 54 फीसदी की उछाल आई है।
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट का प्रसार और लॉकडाउन व आवाजाही पर भारत में लगी पाबंदी, कच्चे माल समेत प्रमुख जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी व महंगाई व महंगाई पर उसका असर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत प्रमुख वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से नीतिगत सख्ती की संभावना आदि प्रमुख अïवरोध रहे हैं, जिसका बाजार ने कामयाबी के साथ सामना किया है।
ऐसे मेंं दिसंबर में क्या हो सकता है? क्या बाजारों में क्रिसमस की तेजी दिखेगी? कई मानते हैं कि ऐसी तेजी तब आती है जब लोग जनवरी में कीमतों बढऩे की उम्मीद में शेयर खरीदते हैं, जिसे जनवरी इफेक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
पिछले 10 वर्षों में बाजार ने पांच मौकों पर सकारात्मक रिटर्न दिया है और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 0.4 फीसदी से लेकर 8.2 फीसदी तक चढ़ा है। विश्लेषक इस बात से सहमत हैं कि इक्विटी को लेकर बाजार का परिदृश्य मजबूत है और हालिया गिरावट के बाद बाजार का मूल्यांकन ठीक हो गया है, साथ ही बाजार में कम से कम अल्पावधि में बड़ी तेजी नहींं आनी है। काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व व भारतीय रिर्ज बैंक का ब्याज दरों पर क्या रुख रहता है और ओमीक्रोन वायरस को लेकर किस तरह के घटनाक्रम सामने आते हैं।
इस पृष्ठभूमि में विश्लेषकों का मानना है कि कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान हुई बढ़त को बाजार एकीकृत करेगा। उनका मानना है कि यहां से आगे की राह कंपनियों की आय व अन्य चीजों से तय होगी। मजबूत आर्थिक फंडामेंटल और आईएमएफ का मानना है कि भारत वित्त वर्ष 22-23 में सबसे तेज गति से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था होगी, चालू खाते का अधिशेष, विदेशी मुद्रा भंडार 640 अरब डॉलर, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई के नीचे रहने, स्थिर रुपया और कर आदि में सुधार जैसे कारक भारतीय बाजारों में निवेशकों की दिलचस्पी बनाए रखेंगे।
क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा है, हमें लगता है कि 2022 में इक्विटी रिटर्न के लिहाज से आय अहम होगी। हमारे आय अनुमान के मुताबिक, हम 2022 में एक अंकों में इक्विटी रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं, जो 2021 में दो अंकों मेंं रहा।
इसके अलावा प्राथमिक बाजार की गतिविधियों का द्वितीयक बाजार की नकदी पर असर होगा और यह भी अहम होगा कि सूचकांकों का प्रदर्शन कैसा रहता है। नवंबर में पेटीएम ने प्राथमिक बाजार से 18,000 करोड़ रुपये जुटाए और कुल 16 आईपीओ के जरिये 22,000 करोड़ रुपये दिसंबर मेंं जुटाए जाएंगे। भारतीय फर्में पहले ही इस साल आईपीओ वॉल्यूम का रिकॉर्ड पार कर चुकी हैं और कैलेंडर वर्ष में अब तक 1.16 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं।
