विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई द्वारा रीपो दर और नकदी आरक्षी दर (सीआरआर) में वृद्घि से बैंकों पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें बाह्य बेंचमार्क से जुड़े उधारी पोर्टफोलियो पर ऊंचे प्रतिफल का लाभ मिलेगा। हालांकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ज्यादा नुकसान हो सकता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों का कहना है, ‘अग्रिम वृद्घि में तेजी, सुधरते परिसंपत्ति मिश्रण और नीतिगत दरों में लगातार वृद्घि से वित्त वर्ष 2023 के लिए ऊंचे प्रतिफल को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि जमा दरों में वृद्घि और मांग परिवेश में ठोस सुधार पर भी नजर रखने की जरूरत होगी, लेकिन हम बैंकिंग व्यवस्था में मार्जिन को लेकर सकारात्मक बने हुए हैं।’
शेयर बाजारों पर, निफ्टी बैंक और फाइनैंशियल सर्विसेज सूचकांक दिन के कारोबार में करीब 2-2 प्रतिशत की तेजी के बाद सपाट बंद हुए। निफ्टी बैंक 0.09 प्रतिशत नीचे आ गया, जबकि फाइनैंशियल सर्विसेज सूचकांक 0.15 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुआ। तुलनात्मक तौर पर निफ्टी-50 सूचकांक 0.03 प्रतिशत चढ़कर बंद हुआ।
विश्लेषकों के अनुसार, रीपो दर में वृद्घि से जमा और उधारी दरों में तेजी को बढ़ावा मिलेगा, जो पीएसयू बैंकों के मुकाबले निजी बैंकों के लिए ज्यादा अनुकूल होगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रीपो दरों के लिए बाह्य बेंचमार्क दर (ईबीआर)-केंद्रित ऋण का अनुपात दिसंबर 2021 तक बढ़कर 57 प्रतिशत हो गया, जबकि पीएसयू बैंकों के लिए यह 28 प्रतिशत पर था।
ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषण से पता चलता है कि पीएसयू बैंकों की फ्लोटिंग दर वाले 60 प्रतिशत से ज्यादा ऋण अभी भी एमसीएलआर से जुड़े हुए हैं।
ब्रोकरेज का कहना है कि वाहन और पर्सनल/कंटिंजेंसी/गोल्ड जैसे बड़े उद्योगों के लिए 71 प्रतिशत/60 प्रतिशत/61 प्रतिशत ऋण अभी भी एमसीएलआर से जुड़े हुए हैं और इन सेगमेंटों को बैंकों द्वारा एमसीएलआर में बदलाव किए जाने का लाभ मिलेगा।
मार्जिन और प्रतिफल पर प्रभाव
जेफरीज के अनुसार, रीपो दर में वृद्घि से बैंकों को रिटेल और एसएमई दरें बढ़ाने में मदद मिलेगी। ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में एनआईएम में 5 आधार अंक के बदलाव का कर-पूर्व लाभ (पीबीटी) अनुमानों पर 1-4 प्रतिशत तक प्रभाव पड़ सकता है।
ब्रोकरेज ने कहा है, ‘प्रभावी दर वृद्घि सीआरआर और ऋण मूल्य निर्धारण में बदलाव के प्रभाव के साथ समायोजित होगी। हालांकि इनका मार्जिन पर अनुकूल असर हो सकता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान बैंक सीमित दायरे में एनआईएम को बरकरार रखने में सफल रहे थे और हमें यह रुझान बरकरार रहने की संभावना है।’
वहीं, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का मानना है कि थोक बिक्री जमाओं में 125 आधार अंक की वृद्घि और छोटी सावधि जमाओं में 100 आधार अंक वृद्घि का कुल जामाओं की लागत पर 30-40 आधार अंक का प्रभाव पड़ेगा।
उसका मानना है कि कुल मिलाकर, एक साल की अवधि में 100 आधार अंक की ब्याज दर वृद्घि का शुद्घ ब्याज आय (एनआईआई) पर 2-5 प्रतिशत और परिसंपत्ति पर प्रतिफल (आरओए) पर 5-15 आधार अंक का अनुकूल असर पडऩे की संभावना है।
पिछले दो दिनों में 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 4 प्रतिशत तक चढ़ गया था और गुरुवार को यह 7.4 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया।
