वित्त मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (निवेशकों की समस्याओं पर विचार करेगी। इसके तहत वैकल्पिक निवेश फंडों के लिए ‘व्यापक आधार’ (ब्रॉड-बेसिंग) वाले नियमों को लागू करने की व्यवहार्यता का मूल्यांकन किया जाएगा। वर्तमान में वैकल्पिक निवेश फंडों ने इस तरह का नियमन नहीं है जिसमें बड़ी संख्या में निवेशकों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होती है।
पीई और वीसी फंड आम तौर पर स्टार्टअप या गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इस तरह के फंडों में निवेशकों के एक छोटे समूह का पैसा होता है और कई बार अकेला निवेशक भी हो सकता है।
घटनाक्रम के जानकार दो लोगों ने बताया कि समझा जाता है कि सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय समिति ने म्युचुअल फंडों के लिए लागू कुछ व्यापक आधार वाले मानदंड को वैकल्पिक निवेश फंडों पर लागू किए जाने के बारे में चर्चा की है।
वर्तमान में म्युचुअल फंडों में निवेशकों के व्यापक आधार की जरूरत होती है। नियमों के अनुसार प्रत्येक म्युचुअल फंड योजनाओं में कम से कम 20 फीसदी निवेशक की जरूरत होती है जबकि एक निवेशक के पास योजना के प्रबंधन वाली कुल संपत्तियों का 25 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है।
एक व्यक्ति ने कहा, ‘इसका अंदेशा होता है कि निवेशकों का छोटा समूह पोर्टफोलियो की बुनावट और कोष प्रबंधक को प्रभावित कर सकता है। स्पष्ट मानदंड होने से निवेशकों के मूल्यांकन कार्यप्रणाली, कारोबार की प्रकृति आदि पर एक समझ मिलेगी। इससे बड़े निवेशकों तथा निवेश जुटाने वाली कंपनी के मकसद को समझने में मदद मिलेगी।’
विशेषज्ञ समिति ने चार बड़ी लेखा फर्मों और इंडियन वेंचर ऐंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन सहित उद्योग के अन्य हितधारकों से विस्तृत प्रतिक्रिया मांगी है। एक सूत्र ने बताया कि यह उद्योग की चिंता को दूर करने के लिए किया गया है। उक्त शख्स ने आगे कहा कि समिति सेबी सहित अन्य संबंधित विभागों से भी सलाह दे रही है ताकि मौजूदा नियमन की खामियों का पता लगाया जा सके।
एक सूत्र ने बताया कि इस मामले में मिली प्रतिक्रिया पर विचार करने के लिए समिति की इस हफ्ते बैठक हो सकती है। समिति 7 दिसंबर तक अपनी रिपार्ट सौंप सकती है। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि नियमों में बदलाव म्युचुअल फंडों की तरह सख्त नहीं होंगे।
आईसी यूनिवर्सल लीगल में सीनियर पार्टनर तेजस चितलांगी ने कहा, ‘वैकल्पिक निवेश फंड निजी नियोजन वाली इकाई है। फिलहाल म्युचुअल फंड से इतर इसमें निवेशकों के व्यापक आधार की जरूरत नहीं होती है। वैसे तो इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होना चाहिए लेकिन कुछ बदलाव होते भी हैं तो वे
वैकल्पिक निवेश फंडों के चुनिंदा श्रेणियों के लिए हो सकते हैं। इसमें व्यापक बदलाव की उम्मीद नहीं है।’
मौजूदा ढांचे के अनुसार पीई/वीसी फंडों में आम तौर पर धनी निवेशकों का पैसा होता है, जिसमें प्रयोजक और प्रबंधक होता है। प्रबंधक फंडों की ओर से न्यासी के साथ अनुबंध करता है और फंड के प्रबंधन का अधिकार देता है।
प्रायोजक को 5 करोड़ या कोष का 2.5 फीसदी (जो भी कम हो) लगाना होता है। अगर प्रबंधक या प्रायोजक इकाई विदेशी है तो ऐसे वैकल्पिक निवेश फंड को घरेलू इकाई नहीं कहा जा सकता है और उसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी नियमों का पालन करना होता है।