कभी शेयर बाजारों पर पसंदीदा रहीं देश की प्रमुख उपभोक्ता उत्पाद या एफएमसीजी कंपनियों हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, नेस्ले, ब्रिटानिया और डाबर को इक्विटी निवेशकों से कम दिलचस्पी का सामना करना पड़ रहा है। देश की 10 सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण पिछले 12 महीने में महज 11 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि इस अवधि के दौरान एनएसई के निफ्टी-50 में 42 प्रतिशत की तेजी आई है।
प्रमुख सूचकांक में ताजा तेजी ने भी पिछले ढाई वर्षों के दौरान एफएमसीजी शेयरों के लिए प्रदर्शन अंतर बढ़ा दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल एफएमसीजी शेयर जनवरी 2019 की शुरुआत से औसत 22 प्रतिशत चढ़े हैं, जबकि इस अवधि में निफ्टी-50 सूचकांक में 45 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।
कुछ खास एफएमसीजी कंपनियों की बात की जाए, जो पता चलता है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार पूंजीकरण जुलाई 2020 के अंत से महज 6.5 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि आईटीसी, नेस्ले इंडिया और डाबर इंडिया के लिए यह समान अवधि में 10.1 प्रतिशत, 5.8 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत रहा। वहीं दूसरी तरफ, बिस्कुट निर्माता ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के बाजार पूंजीकरण में इस अवधि के दौरान 6 प्रतिशत की कमी आई।
टाटा कंज्यूमर का प्रदर्शन फिलहाल इस उद्योग में अलग रहा है और उसने सूचकांक को मात देते हुए इस अवधि के दौरान 66 प्रतिशत की तेजी दर्ज की।
कई विश्लेषकों का मानना है कि यह रुझान बना रहेगा, क्योंकि एफएमसीजी कंपनियों पर अल्पावधि में भी दबाव बना रह सकता है।
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘एफएमसीजी कंपनियों को आगामी तिमाहियों में वृद्घि तथा मार्जिन के मोर्चे पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, और इससे कुछ और तिमाहियों तक उन पर दबाव बना रह सकता है।’
उनके अनुसार, पिछले एक साल में जिंस और ऊर्जा कीमतों में भारी तेजी की वजह से एफएमसीजी कंपनियों के मार्जिन में कमी आने की आशंका है, जबकि कंपनियों की बिक्री वृद्घि और राजस्व पर कोविड-19 की दूसरी लहर से दबाव पड़ेगा। दबाव की स्थिति में, एफएमसीजी कंपनियों को आगामी समय में बिक्री और राजस्व गिरावट से भी जूझना पड़ सकता है।
अन्य विश्लेषक चक्रीय और हाई बीटा क्षेत्रों, जैसे धातु, खनन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और बैंक एवं वित्तीय कंपनियों में बेहतर वृद्घि की संभावनाएं देख रहे हैं। नारनोलिया सिक्योरिटीज के सीआईओ शैलेंद्र कुमार कहते हैं, ‘ग्रोथ डेल्टा अभी एफएमसीजी कंपनियों के मुकाबले चक्रीयता और जिंस उत्पादकों के लिए ज्यादा है। इससे निवेशक एफएमसीजी से पूंजी निकालकर चक्रीयता आधारित शेयरों में लगाना पसंद कर रहे हैं।’
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, सेल और हिंडाल्को जैसे धातु उत्पादक महामारी के बाद की अवधि में शेयर बाजारों पर शानदार प्रदर्शक रहे हैं। एफएमसीजी कंपनियों द्वारा हाल में कमजोर प्रदर्शन के लिए विश्लेषक उनके ऊंचे मूल्यांकन को भी जिम्मेदार मान रहे हैं। कई एफएमसीजी कंपनियां 60 से 80 गुना के पीई मल्टीपल पर कारोबार कर रही हैं जो निफ्टी-50 और सेंसेक्स जैसे प्रमुख सूचकांकों के मुकाबले करीब दोगुना है। इसके विपरीत, कुछ महीने पहले तक चक्रीयता आधारित प्रमुख शेयर वर्ष के निचले स्तर के मूल्यांकन पर थे।
कुमार ने कहा, ‘लेकिन अब एफएमसीजी शेयरों पर उनकी आय में गिरावट को देखते हुए मूल्यांकन वृद्घि पर ध्यान देना उचित है, क्योंकि चक्रीयता क्षेत्रों में मुनाफे की संभावना बढ़ी है।’
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि एफएमसीजी शेयरों के प्रदर्शन में ताजा कमजोरी को उनके पिछले शानदार प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवायजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है, ‘चूंकि हाल में, 6 महीने पहले, कई एफएमसीजी शेयरों का प्रदर्शन अच्छा था और यह तेजी अब हाई-बीटा क्षेत्रों तक फैल गई है और रक्षात्मक क्षेत्र सापेक्ष आधार पर कमजोर दिख रहा है। यह बाजार चक्र और इक्विटी निवेशकों द्वारा क्लासिक सेक्टर रोटेशन का हिस्सा है।’
वह एफएमसीजी शेयरों, खासकर प्रमुख कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन के लिए उन दीर्घावधि निवेशकों द्वारा खरीदारी अवसर के तौर पर देख रहे हैं, जो मूल्यांकन के चरम पर पहुंचने की स्थिति में अपने पोर्टफोलियो को गिरावट से बचाने पर जोर देते हैं।
