सरकार चालू वित्त वर्ष में 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने के लिए हिंदुस्तान जिंक में अपनी अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री और शिपिंग कॉरपोरेशन के निजीकरण पर भरोसा कर रही है क्योंकि आईडीबीआई और कंटेनर कॉरपोरेशन (कॉनकॉर) में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष तक खिंच सकती है। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने श्रीमी चौधरी और अरूप रॉय चौधरी से विनिवेश संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
चालू वित्त वर्ष के लिए 65,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में से सरकार ने अब तक आधा भी पूरा नहीं किया है। आगे की क्या योजना है?
लक्ष्य निर्धारित करने के बाद उसे पूरा करने यानी टॉपलाइन दृष्टिकोण के बजाय ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। यदि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) में विनिवेश पूरा हो जाता तो हम लक्ष्य पार कर जाते। पिछले तीन वर्षों के दौरान विकसित देशों में भी स्थितियां काफी बदल गई हैं और इसलिए कोई रूपरेखा तैयार करना फिलहाल कठिन है। इस प्रकार की दीर्घावधि एवं सतत योजना वास्तव में बाजार केंद्रित सौदों पर निर्भर नहीं करती है।
नीतिगत क्षेत्रों में सौदे की जांख-परख में काफी समय लगता है। हम उम्मीद करते हैं कि हिंदुस्तान जिंक में शेष हिस्सेदारी की बिक्री पूरी हो जाएगी। साल 2014 के बाद अब तक विनिवेश से सरकार को करीब 4 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। आगे कुछ प्रमुख कंपनियों में विनिवेश की संभावना तब तक कम दिखेगी जब तक हम उसका पूरा निजीकरण नहीं करते।
आप हिंदुस्तान जिंक में विनिवेश पूरा होने की उम्मीद कर रहे हैं। क्या शिपिंग कॉरपोरेशन (एससीआई) और कॉनकॉर में विनिवेश भी इसी वित्त वर्ष में पूरा होगा?
कॉनकॉर के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआई) एक महीने के भीतर आ जाएगा लेकिन इस साल सौदा पूरा होने की संभावना नहीं है क्योंकि हाल में भूमि पट्टे की नीति को स्पष्ट किया गया है। हम रोड शो शुरू कर रहे हैं और बाद में ईओआई जारी करेंगे। उसके बाद इस प्रक्रिया में 9 से 12 महीने लगेंगे। जहां तक एससीआई का सवाल है तो हमें लगता है कि उसका विनिवेश पूरा हो सकता है क्योंकि कारोबार को अलग करने की प्रक्रिया उन्नत चरण में है।
पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरे चरण के तहत लेनदारों एवं हितधारकों की बैठक चल रही है। कंपनी मामलों के मंत्रालय के आदेश के बाद सूचीबद्ध कराने की प्रक्रिया शुरू होगी। हम उम्मीद करते हैं कि मंत्रालय का आदेश एक महीने के भीतर आ जाएगा और उसके बाद सूचीबद्धता प्रक्रिया में करीब 60 दिन लगेंगे।
क्या मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थिति विनिवेश सौदों की रफ्तार को प्रभावित कर रही है?
पूरी तरह नहीं क्योंकि मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों और मुद्रास्फीति का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग है। हालांकि इससे निवेशक धारणा प्रभावित हो रही है। इसलिए जाहिर तौर पर इसका एक सामान्य प्रभाव भी दिखेगा। उदाहरण के लिए, एलआईसी का आईपीओ चालू वित्त वर्ष के आरंभ के बजाय पिछले वित्त वर्ष के अंत में लाया जा सकता था लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां थीं।
बीपीसीएल के लिए क्या योजना है?
बीपीसीएल की चिंता लगातार बरकरार रहेगी और उसके विनिवेश की चिंता भी जारी रहेगी। इस बीच मैं समझता हूं कि बीपीसीएल नुमालीगढ़ रिफाइनरी में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया पूरी करेगी और अपने कारोबार को आगे बढ़ाएगी। हम भू-राजनीतिक परिस्थितियों के स्थिर होने तक इंतजार करेंगे और उसके बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।
आईडीबीआई सौदे की समय-सीमा क्या है?
अभिरुचि पत्र जारी कर दिए गए हैं और हमें 16 दिसंबर तक बोलियां प्राप्त होने की उम्मीद है। मार्च तक हम वित्तीय बोली आमंत्रित करने की स्थिति में होंगे। हम उम्मीद करते हैं कि अगले वित्त वर्ष में यह सौदा पूरा हो जाएगा क्योंकि प्रक्रिया में कम से कम नौ महीने लगते हैं।