कथित ‘रेड फ्लैग लिस्ट’ (विदेशी शेयरधारिता पर नजर रखने के लिए व्यवस्था) में शामिल शेयरों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। सितंबर में इस सूची में सिर्फ एक शेयर शामिल था: प्रॉक्टर ऐंड गैम्बल हाइजीन ऐंउ हेल्थकेयर। तब से, नोवार्टिस इंडिया, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी बैंक, और सूची में हाल में शामिल ग्लैंड फार्मा इसमें जगह बना चुके हैं।
इस सूची में शेयरों की संख्या में वृद्घि घरेलू शेयर बाजारों के प्रति विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है। अक्टूबर से, वैश्विक निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में 17 अरब डॉलर की रकम लगाई है।
जब भी विदेशी शेयरधारिता कुल सीमा या सेक्टोरल कैप के 3 प्रतिशत से कम होती है, रेड-फ्लैग की सक्रियता बढ़ जाती है। रेड-फ्लैग लिस्ट में सभी एफपीआई की कुल एफपीआई शेयरधारिता सीमा 71 प्रतिशत है। पिछले सप्ताह, पांच शेयरों में एफपीआई धारिता 71.1 और 73.3 प्रतिशत के दायरे में थी। एनएसडीएल के पास उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, पिछले निवेश में नोवार्टिस इंडिया 52 करोड़ रुपये के साथ शामिल थी, जबकि एचडीएफसी बैंक के लिए यह आंकड़ा 16,500 करोड़ रुपये था। वैश्विक निवेशकों ने रेड-फ्लैग सूची में शामिल शेयरों के कारोबार को लेकर सतर्क रुख अपनाया है। जब कोई शेयर इस सूची में शामिल होता है, तो एफपीआई द्वारा खरीदारी इस शर्त पर स्वीकार्य होती है कि वे पांच कारोबारी दिनों में अतिरिक्त होल्डिंग घटाने को तैयार होंगे। यदि इसमें एक शेयरधारक से ज्यादा होता है तो होल्डिंग आनुपातिक आधार पर बेची जाती है। यह निगरानी व्यवस्था एचडीएफसी बैंक में शेयरधारिता उल्लंघन के बाद 2017 में शुरू की गई थी। वैश्विक निवेशकों ने आरबीआई द्वारा एचडीएफसी बैंक के शेयर खरीदारी पर प्रतिबंध (उसका स्वामित्व चुका पूंजी के 74 प्रतिशत से नीचे पहुंच जाने पर) हटाने के बाद इस शेयर को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। 2017 में, एफपीआई निजी बैंकों, खासकर एचडीएफसी बैंक को लेकर बेहद उत्साहित थे।
मौजूदा समय में इस सूची पर दवा क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है, जो इस साल सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में से एक रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि एफपीआई द्वारा लगातार खरीदारी को देखते हुए कई कंपनियां इस सूची में शामिल हो सकती हैं। सरकार ने कहा है कि अप्रैल से प्रभावी खास कंपनियों में सीमा स्वत: ही क्षेत्रीय सीमा तक बढ़ जाएगी।
