दिसंबर का माह हमेशा बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स के लिए मुनाफा देने वाला साबित होता आ रहा है।
पिछले 14 सालों में 10 बार बंबई शेयर बाजार (बीएसई) के सूचकांक ने सकारात्मक रिटर्न दिया है। खंडवाला सेक्योरिटीज के अनुसार वास्तव में इन दस सालों में नवंबर की तुलना में दिसंबर का औसतन रिटर्न 1.15 फीसदी (1998) और 9.96 फीसदी (2003) के बीच में रहा है।
दूसरी तरफ जब उन चार सालों में जब दिसंबर का माह सेंसेक्स के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ उस समय इसका औसतन मासिक नुकसान 2.7 फीसदी 3.6 फीसदी के बीच रहा।जारी वर्ष में सेंसेक्स नवंबर 2008 की तुलना में 2.83 फीसदी नीचे 9,455 अंकों के औसत पर कारोबार कर रहा है।
अत: सेंसेक्स को इस माह सकारात्मक रिटर्न देने की स्थिति में आने के लिए उसे 12 कारोबारी दिवसों में 9,690 अंकों के स्तर को बरकरार रखना होगा।
दिसंबर माह में अगर सेंसेक्स एक बार 13,500 के स्तर पर कम से कम एक बार चला जाए और फिर 9,185 अंकों के स्तर को शेष 11 दिनों में बरकरार रखने में सफल रहे तो इस साल भी सेंसेक्स के इस मुनाफा कमाने की स्थिति में पहुंचने में रहेगा।
खंडवाला सिक्योरिटीज ने पिछले माह की औसत वैल्यू और सूचकांक की औसत वैल्यू के आधार पर सेंसेक्स की गणना की। इन आंकड़ों में पिछले 15 सालों में सेंसेक्स के क्लोजिंग स्तर को शामिल किया है।
1994 से ही बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई ) के प्रवेश, रोलिंगओवर सिस्टम की शुरुआत और प्रतिभूतियों के डिमटेरियालाइजेशन को अनुमति मिलने से बाजार में सकारात्मक बदलाव आने शुरु हुए थे।
इसमें सबसे रोचक बात यह समाने आई कि सेंसेक्स ने दिसंबर, जनवरी और फरवरी आदि ठंड के तीन माह में सबसे अधिक रिटर्न दिया था।एक तिहाई समय में इन तीन माहों ने शेष दूसरे माहों की तुलना में निवेशकों की जेब में बेहद छोटी सेंध लगाई। खंडेवाला प्रतिभूति के अध्ययन के अनुसार ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए दिसंबर का महीना सालाना खाते बंद करने का समय होता इसके अतिरिक्त यह आंकड़े सेंसेक्स का अन्य कोई रुझान नहीं बताते।
इस अध्ययन से सेंसेक्स एक और रुझान पता लगा है वह यह है कि मार्च का माह इन अधिकतर सालों में निवेशकों के लिए नुकसान देने वाला साबित होता आ रहा है। यह महीना घरेलू यानी देशी संस्थागत निवेशकों और कंपनियों के लिए सालाना एकाउंट बंद करने का समय होता है।