वैश्विक बाजारों के साथ भारतीय बाजारों में तेजी आई क्योंंकि कोरोना के नए रूप को लेकर चिंता और फेड चेयरमैन जीरोम पॉवेल की आक्रामक टिप्पणी से बाजार में आई गिरावट के बाद जोखिम लेने की अवधारणा में सुधार दर्ज हुआ।
विशेषज्ञों ने कहा, गिरावट में खरीदारी और पिछले दो दिनों में जारी मजबूत आर्थिक आंकड़ों से उपजे आशावाद से बाजार ने छलांग लगाई।
अमेरिकी बाजारों में मंगलवार रात गिरावट के बाजवूद बेंचमार्क सेंसेक्स मजबूत खुला। सेंसेक्स ने 620 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 57,684 अंक पर कारोबार की समाप्ति की। दूसरी ओर निफ्टी 183 अंक चढ़कर 17,167 पर बंद हुआ। यूरोपीय व अमेरिकी वायदा बाजार में मजबूती से सेंटिमेंट सुधरा।
बाजार में चढऩे व गिरने वाले शेयरों का अनुपात सकारात्मक रहा और बीएसई पर 1,827 शेयर चढ़े जबकि 1,431 में गिरावट आई। सेंसेक्स में शामिल दो तिहाई से ज्यादा शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। इंडसइंड बैंक सेंसेक्स के शेयरों में सबसे ज्यादा 5.7 फीसदी चढ़ा। धातु कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी आई और मेटल इंडेक्स बीएसई पर 2.4 फीसदी चढ़कर बंद हुआ।
इंडिया वीआईएक्स 8 फीसदी नीचे आया। सितंबर तिमाही में जीडीपी में 8.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई क्योंंकि टीकाकरण में तेजी आई और आवाजाही पर पाबंदी में नरमी देखने को मिली। मंगलवार को जीडीपी के आंकड़े बाजार बंद होने के बाद जारी हुए। 8.4 फीसदी की बढ़ोतरी निचले आधार की पृष्ठभूमि में हुई है। पिछले साल समान अवधि में जीडीपी की रफ्तार -7.4 फीसदी रही थी।
नवंबर में जीएसटी संग्रह 1.31 लाख करोड़ रुपये रहा, जो साल 2017 में इस कर के लागू होने के बाद दूसरा सबसे ऊंचा मासिक संग्रह है। इसके अतिरिक्त नवंबर में जीएसटी राजस्व एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा और 2019-20 में कोविड से पहले की समान अवधि के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा रहा।
भारत की विनिर्माण गतिविधियों ने भी जोर पकड़ा और 10 महीनों में इसकी गति सबसे तेज रही।
आईएचएस मार्किट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) नवंबर में बढ़कर 57.6 पर पहुंचा, जो इससे एक महीने पहले 55.9 रहा था। नवंबर के आंकड़े जनवरी के बाद के सर्वोच्च आंकड़े हैं और लगातार पांचवें महीने पीएमआई बढ़ा है, जब पीएमआई 50 से ज्यादा हो।
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, हाल के महीनों में प्रमुख आर्थिक संकेतक मजबूत रहे हैं और यह स्थिर आर्थिक गतिविधियों व स्थिर आय की रफ्तार को प्रतिबिंबित कर रहा है। पेट्रोल व डीजल पर कर कटौती के जरिए जिंस की ऊंची कीमतों को शांत करने की सरकार की कोशिश रंग ला रही है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आरबीआई की संदर्भ दर से नीचे है। इससे आरबीआई ब्याज दरों को मौजूदा दायरे में रख सकता है, जो रिकवरी को सहारा देगा।
बुधवार को ज्यादातर एशियाई बाजार चढ़े क्योंकि ट्रेडरों ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के परिदृश्य का आकलन किया, जब अग्रणी दवा निर्माताओं ने ओमीक्रोन को लेकर अपने टीके के प्रभाव पर अपनी-अपनी राय सामने रखी, साथ ही फेडरल रिजर्व की टिप्पणी का भी असर पड़ा।
