निवेश के दौरान म्युचुअल फंड में लोड के नाम पर भारी कटौती से परेशान निवेशक अब लोड की रकम को पूरी तरह बचा पाएंगे, बशर्ते भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) बदले जाने योग्य यानी वेरिएबल लोड ढांचे को मंजूरी दे देता है।
इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद निवेशक फंड वितरक से बातचीत कर अपनी शर्तों पर लोड जितना चाहे कम करा सकते हैं। लेकिन ऐसे नकद फंडों के निवेशक घाटे में भी रह सकते हैं, जिनमें फिलहाल कोई एंट्री लोड नहीं है। इनमें एंट्री लोड वसूलना शुरू किया जा सकता है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारतीय म्युचुअल फंड संघ (एएमएफआई), फंड हाउसों और सेबी के बीच इस सिलसिले में बातचीत हो रही है। सेबी वेरिएबल लोड ढांचे के लिए नियम तैयार कर रहा है और कुछ ही हफ्तों में इस सिलसिले में नियम पेश किए जाने की उम्मीद है।
एएमएफआई के चेयरमैन ए पी कुरियन ने बताया, ‘सभी फंडों के लिए वेरिएबल लोड ढांचे का प्रस्ताव है। इससे निवेशकों को एंट्री लोड पर वितरक के साथ सौदा करने की छूट मिल जाएगी। कई देशों में यही व्यवस्था है और अगर ऐसा भारत में भी हो जाता है, तो हमें खुशी होगी।’
नए नियमों के तहत एसेट मैनेजमेंट कंपनी की व्यवस्था से इतर वितरक और निवेशक 6 फीसदी से कम लोड पर राजी हो सकते हैं। निवेश आवेदन पत्र के साथ अलग से स्थान छूटा होगा, जिसमें दोनों पक्षों की ओर से तय लोड दिया गया होगा और उस पर निवेशक तथा वितरक के दस्तखत भी होंगे।
एसेट मैनेजमेंट कंपनी वितरकों के कमीशन, लागत और फंड प्रबंधन शुल्कों को मिलाकर लोड तय करती हैं। फिलहाल डेट फंड पर 1 फीसदी तक का लोड होता है, जबकि इक्विटी फंडों पर 2.25 से 2.75 फीसदी तक का एंट्री लोड होता है।
लेकिन इस प्रस्ताव से एसेट मैनेजमेंट कंपनियां मायूस हो जाएंगी क्योंकि अब लोड तय करना पूरी तरह से उनकी मर्जी पर नहीं रह जाएगा।
सेबी की म्युचुअल फंड कंपनियों और उनके संघ से बातचीत
लोड वसूलने के ढांचे में आ सकता है बदलाव
निवेशकों को मिलेगी लोड तय करने की पूरी छूट
एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को घाटा