पिछले कई दिनों से कमजोर हो रहा रुपया आखिरकार आज 79 प्रति डॉलर के पार चला ही गया। रुपये की कीमत पहली बार इतनी कम हुई है। डीलरों का कहना है कि चालू खाते का घाटा बढ़ने और विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारी पूंजी निकासी के कारण कारोबारियों ने देसी मुद्रा के खिलाफ दांव लगाना शुरू कर दिया है।
रुपया आज 79.04 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जबकि कल वह 78.97 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान आज रुपया 79.12 तक लुढ़क गया था।
हालांकि रुपये में गिरावट को आज निर्यातकों ने डॉलर बेचकर कम कर दिया क्योंकि उन्हें लग रहा है कि इस हफ्ते तेज गिरावट के बाद देसी मुद्रा अब बहुत नीचे नहीं जाएगी। इस हफ्ते रुपया डॉलर के मुकाबले 70 पैसे या 0.9 प्रतिशत गिरा, जिससे पिछले सभी तकनीकी प्रतिरोध स्तर टूट गए। सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘शुरुआती कारोबार में डॉलर की खरीद हुई क्योंकि 78.80 प्रति डॉलर का तकनीकी प्रतिरोध टूटने के बाद दांव रुपये के खिलाफ लग रहे हैं। लेकिन जैसे ही रुपया 79 प्रति डॉलर के नीचे गया तो निर्यातकों ने डॉलर की अच्छी बिक्री की। डीलर का कहना है कि आगे रुपया 79.20 प्रति डॉलर तक लुढ़क सकता है।
इस हफ्ते घरेलू विनिमय दर में इसलिए उतार-चढ़ाव दिखा क्योंकि तेल की कीमतें एक बार फिर चढ़ने लगीं, व्यापारियों ने जमकर डॉलर खरीदे और वायदा बाजार में पोजिशन बराबर कीं तथा विदेशी निवेश की भी भारी निकासी हुई।
आपूर्ति की कमी होने के डर से इस हफ्ते कच्चे तेल के भाव ऊपर-नीचे होते रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि वह क्षमता के हिसाब से ही ईंधन का उत्पादन कर रहा है। ब्रेंट क्रूड वायदा शुक्रवार को 2 फीसदी चढ़कर 110 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। तेल के दाम चढ़ने से भारत में चालू खाते का घाटा बढ़ने का भी जोखिम पैदा होता है क्योंकि यहां तेल का आयात भारी मात्रा में किया जाता है। माना जा रहा है कि महंगाई पर काबू के लिए अमेरिका का फेडरल रिजर्व दरों में इजाफा जारी रख सकता है, जिस कारण रुपये पर अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिका में ब्याज दर ऊंची होने पर जोखिम वाले उभरते बाजारों में परिसंपत्तियों के लिए आकर्षण कम रहता है।
नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के आंकड़ों से पता चला है कि विदेशी निवेशकों ने 2022 में अब तक शुद्ध रूप से 28.5 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय शेयर बेचे हैं, जो अब तक की सबसे अधिक पूंजी निकासी है। रुपये और चालू खाते के घाटे से दबाव कम करने के लिए सरकार ने आज ही सोने पर आयात शुल्क बढ़ा दिया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज रिसर्च के विशेषज्ञ दिलीप परमार ने कहा, ‘जोखिम से बचने और विदेशी रकम की निकासी के बीच रुपया 79 प्रति डॉलर के पार चला गया। सोने पर आयात शुल्क बढ़ाने और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर कर लगाने के सरकारी कदमों से भी रुपये में गिरावट नहीं थमी।’ उन्होंने कहा, ‘बढ़ता घाटा, पूंजी निकासी और डॉलर की कम आपूर्ति की चिंता स्थानीय मुद्रा पर असर डालती हैं। विश्लेषकों को निकट भविष्य में रुपया 79.30 से 78.70 प्रति डॉलर के दायरे में दिख रहा है।’इस बीच विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये का लुढ़कना कम हुआ है और इस हफ्ते उभरते बाजारों की अधिकतर मुद्राओं के मुकाबले उसे कम नुकसान हुआ है।
