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शिपिंग कंपनियों के शेयरों का बुरा हुआ हाल

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:43 PM IST

लंदन बाल्टिक एक्सचेंज के ड्राइ इंडेक्स और डर्टी टैंकर इंडेक्स के कारोबार में आई भारी गिरावट के कारण घरेलू शिपिंग कंपनियों के शेयर तेजी से नीचे आ रहे हैं।


ये दोनों एक्सचेंज शिपिंग फ्रेट (भाडे) क़े वायदा कारोबार के लिए जाने जाते हैं। बाल्टिक डर्टी इंडेक्स (बीडीआई) और डर्टी इंडेक्स में लगातार 23 सत्रों में गिरावट आई है और वर्ष 2005 की तीसरी तिमाही के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है।

हालांकि सोमवार को बीडीआई 5 प्रतिशत उपर चढा लेकिन 20 मई के11,800 अंकों से यह अब तक 40 प्रतिशत नीचे गिर चुका है। शेयर बाजार विश्लेषकों का मानना है कि प्रमुख विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शिपिंग कंपनियों केशेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले ली है। इसके अलावा घरेलू बाजार में ओपन इंटरेस्ट में 7 अगस्त के बाद से 62 प्रतिशत की नाटकीय बढ़ोतरी हुई है।

इस दौरान विभिन्न कंपनियों जैसे मर्केटर लाइन्स, ग्रेट इस्टर्न शिपिंग कंपनी, शिपिंग कार्पोशन ऑफ इंडिया, गारवारे ऑफशोर, सिंधिया स्टीम नेविगेशन और एस्सार शिपिंग के शेयरों में 5 से 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले सप्ताह एशिया के सबसे बड़े शिपिंग कंटेनर चाइना कॉस्को होल्डिंग्स के शेयरों में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि विश्व भर में जहाजों केसबसे बड़े मालिक फ्रंटलाइन के सुपरटैंकर्स के शेयरों का कारोबार उसके किराए की दर से भी नीचे हो रहा है।

शिपिंग कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट की वजह बताते हुए मुबई स्थित ब्रोकरेज हाउस नेटवर्थ स्टॉक ब्रोकिंग में शोध प्रमुख दीपक साहनी कहते हैं कि इसके  लिए सीधे तौर पर विश्वभर में कमोडिटी की कीमतों खासकर कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

उन्होंने का कि मंदी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से तेल इकट्टा करने वाले टैंकरों के भाड़े की दरों में खासी गिरावट आई है और इसकी वजह से बाल्टिक फ्रेट इंडेक्स और घरेलू बाजार में शिपिंग कंपनियों के शेयरों का कारोबार मंदा पड़ गया है। इस साल के शुरू में ऑयल टैंकरों की कमी केकारण फ्रेट दरों में जबरदस्त उछाल आया था और यह अपने रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था।

विश्वभर में कच्चे तेल के परिवहन के लिए 450 डबल हॉल वाले तेल टैंकर्स उपलब्ध हैं। शिपिंग विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी कंपनियां जिनको कि कच्चे तेल के कीमतों में इजाफा होने से फायदा हो सकता था, इस बात की संभावना है कि उन्होंने कच्चे तेल की कृत्रिम मांग उत्पन्न करने के लिए इस डबल हॉल टैंकरों में से लगभग 25 से 30 प्रतिशत का इस्तेमाल तेल के भंडारण के लिए किया है।

प्रत्येक टैंकरों में 22 लाख डॉलर टन कच्चे टन का भंडारण किया जा सकता है जिस पर कि सालाना 360 लाख डॉलर किराए के रूप में देने पड़ते हैं। ड्रिलिंग क्रूड की कीमत 10 से 15 डॉलर प्रति बैरल है। इस तरह अगर कोई रिग मालिक डबल हॉल टैंकर पर किराया वसूलता है तो ऐसी स्थिति में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल (जिसमें टैंकर का किराया भी शामिल है) 30 डॉलर प्रति बैरल बैठता है। अभी हाल में ही कच्चे तेल की कीमतें 148 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई थीं। इनमें से कुछ टैंकरों को बाजार में बेच दिया गया था और इस कारण तेल की कीमतों में गिरावट आई।

First Published : August 19, 2008 | 11:43 PM IST