बाजार के झंझावातों ने म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं में निवेशकों की तरफ से किए गए निवेश पर काफी कम असर डाला है। मई में इक्विटी फंडों में शुद्ध रूप से 18,529 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो सकारात्मक निवेश का लगातार 15वां महीना है। यह निवेश पिछले 12 महीने के औसत निवेश 15,442 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रहा जबकि नए फंड ऑफर पर पाबंदी लगी हुई है।
पिछले महीने देसी बाजारों में तेज बिकवाली देखने को मिली क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बाजार से निवेश निकासी की। इसकी वजह महंगाई, रूस-यूक्रेन के कारण पैदा हुए अवरोध और चीन में लॉकडाउन से जोखिम वाली परिसंपत्तियों पर दांव से दूरी बढ़ी।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, पुराने दिन पीछे छूट गए जब हमारे निवेशक बाजारों में गिरावट पर निवेश निकासी करते थे। वास्तव में अब हम एक ऐसी प्रवृत्ति देख रहे हैं जहां निवेशक बाजारों में गिरावट के दौर में ज्यादा निवेश जारी रखे हुए हैं। उन्हें भरोसा है कि भारत में बढ़त को लेकर कहानी पहले की तरह बरकरार है और बाजार तब सकारात्मक हो जाएगा जब मुश्किलों की धुंध छंटेगी।
इक्विटी योजनाओं की उप-श्रेणियों में सकारात्मक शुद्ध निवेश देखने को मिला। फ्लेक्सीकैप फंड, लार्जकैप फंड, थिमेटिक फंड और लार्ज व मिडकैप फंडों में 2,000-2,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध निवेश हासिल हुआ। यह जानकारी उद्योग निकाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों से मिली।
मॉर्निंगस्टार की वरिष्ठ विश्लेषक कविता कृष्णन ने कहा, खुदरा निवेशकों का इक्विटी योजनाओं पर भरोसा बना हुआ है, जो गिरावट में खरीदारी के मौके के इस्तेमाल का अवसर देता है। पारंपरिक निवेश पर अपेक्षाकृत कम रिटर्न से भी इक्विटी बाजारों को लेकर आकर्षण बढ़ा है।
मई में बेंचमार्क सेंसेक्स 2.62 फीसदी टूटा जबकि बीएसई मिडकैप इंडेक्स व बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में क्रमश: 5.22 फीसदी व 7.83 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। उधर, एफपीआई ने देसी शेयरों से करीब 40,000 करोड़ रुपये की निकासी की। इक्विटी सेगमेंट में मजबूत निवेश को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) से भी सहारा मिला। मई में एसआईपी के जरिये 12,286 करोड़ रुपये हासिल हुए, जो अप्रैल के मुकाबले 423 करोड़ रुपये ज्यादा है। एसआईपी खातों की संख्या नए उच्चस्तर 5.48 करोड़ पर पहुंच गई, जो इससे पिछले महीने 5.39 करोड़ थी।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य बिजनेस अधिकारी अखिल चतुर्वेदी ने कहा, लगातार हो रहा एसआईपी निवेश इक्विटी के शुद्ध बिक्री आंकड़ों को सहारा दे रहा है। मौजूदा उतारचढ़ाव में भी हमने खुदरा निवेशकों को इक्विटी एमएफ के लिए आवंटन जारी रखते देखा है। नए निवेश का फैलाव विभिन्न श्रेणियों में विशाखित हुआ है। डायनेमिक व बैलेंस्ट एडवांटेज फंडों की श्रेणी में भी सकारात्मक निवेश हो रहा है और यह जोखिम व उतारचढ़ाव के प्रबंधन के लिहाज से खुदरा निवेशकों के लिए काफी अच्छा है। हाइब्रिड योजनाओं और पैसिव योजनाओं में भी मई में क्रमश: 5,123 करोड़ रुपये व 12,229 करोड़ रुपये का निवेश हासिल हुआ। हालांकि डेट फंडों से 32,722.25 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी हुई, जिसकी अगुआई मनी मार्केट फंड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों ने की।
उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के अनुमान से प्रतिफल में हो रही बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि में डेट एमएफ से निकासी हुई। इस हफ्ते 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूति का प्रतिफल तीन साल में पहली बार 7.5 फीसदी पर पहुंच गया।
कुल मिलाकर एमएफ उद्योग ने शुद्ध रूप से 7,533 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी का सामना किया, वहीं उद्योग की औसत शुद्ध प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 37.4 लाख करोड़ रुपये रही, जो अप्रैल के आखिर में 38.9 लाख करोड़ रुपये रही थी।
एलआईसी व सात अन्य की समाप्त हो रही एंकर लॉक इन अवधि
आठ कंपनियों के पिछले महीने पेश आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में एंकर निवेशकों की 30 दिन की लॉक इन अवधि समाप्त होने वाली है। विगत में एंकर निवेशकों की लॉक इन अवधि की समाप्ति वाली कंपनियों के शेयरों पर दबाव दिख चुका है। इस बार भी दबाव की संभावना है। एलआईसी का शेयर गुरुवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में टूटा। सरकारी बीमा दिग्गज के शेयर की कीमत अब इश्यू प्राइस के मुकाबले 24 फीसदी नीचे है। इसमें और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि एंकर निवेशकों को आवंटित सभी शेयरों के लिए लॉक इन अवधि सोमवार को समाप्त हो रही है। एंकर निवेशकों के पास एलआईसी के 3.5 फीसदी फ्री फ्लोट शेयरों का करीब एक फीसदी हिस्सा है। सात अन्य कंपनियों के मामले में भी एंकर निवेशकों की लॉक इन अवधि 17 जून से 30 जून के बीच समाप्त हो रही है। हालांकि इन कंपनियों के मामले में एंकर निवेशकों को आवंटित आधे शेयर ही ट्रेडिंग के लिए मुक्त हैं। बाकी आधे शेयरों सेबी की तरफ से अप्रैल में जारी नए नियमों के मुताबिक अतिरिक्त 60 दिन की लॉक इन अवधि है। एडलवाइस ऑल्टरनेटिव रिसर्च के विश्लेषण से पता चलता है कि एंकर निवेशकों के पास इन कंपनियों की 3 से 13 फीसदी हिस्सेदारी है। इन शेयरों के 50 फीसदी के लिए लॉक इन अवधि इस महीने खत्म हो रही है जबकि बाकी के लिए अगस्त में खत्म होगी। समी मोडक